उषा की कहानी

थोड़ी देर के बाद उषा ने देखा कि सुमन अपना हाथ आगे कर के रमेश का लण्ड उसके पैजामे के ऊपर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी में लेकर मारोड़ रही है और रमेश सुमन कि एक चूंची अपने मुंह में भर कर चूस रहा है। अब तक उषा भी गरम हो गई थी। तभी सुमन ने रमेश का पैजामे का नाड़ा खींच कर खोल दिया और रमेश का पैजामा सरक कर नीचे गिर गया। पैजामा के नीचे गिरते ही रमेश नंगा हो गया क्योंकि वो पैजामे के नीचे कुछ नही पहन रखा था। जैसे ही रमेश रमेश नंगा हो गया वैसे ही सुमन आगे बढ कर रमेश का खड़े लण्ड को पकड़ लिया और उसका सुपारा को खोलने और बंद करने लगी और अपने होठों पर जीभ फेरने लगी। यह देख कर उषा ने अपने हाथों से पकड़ कर रमेश का लण्ड सुमन के मुंह से लगा दिया और सुमन से बोली, “लो सुमन, मेरे पति का लण्ड चूसो। लण्ड चूसने से तुम्हे बहुत मज़ा मिलेगा। मैं भी अपनी चूत मारवाने के पहले रमेश का लण्ड चूसती हूं। फिर रमेश भी मेरी चूत को अपने जीभ से चाटता है।” जैसे ही उषा ने रमेश का लण्ड सुमन के मुंह से लगाया वैसे ही सुमन ने अपनी मुंह खोल कर के रमेश का लण्ड अपने मुख में भर लिया और उसको चूसने लगी। अब रमेश अपनी कमार हिला हिला कर अपना लण्ड सुमन के मुंह के अन्दर बाहर करने लगा और अपने हाथों से सुमन कि दोनो चूंची पकड़ कर मसलने लगा। तब उषा ने आगे बढ कर सुमन के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही सुमन ने अपनी चूतड़ कुरसी पर से थोड़ा सा उठा दिया और उषा अपने हाथों से सुमन की पेटीकोट को खींच कर नीचे गिरा दिया। सुमन ने पेटीकोट के नीचे पेण्टी नही पहनी थी और इसालीये पेटीकोट खुलते ही सुमन भी रमेश कि तरह बिलकुल नंगी हो गई।

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उषा ने सबसे पहले नंगी सुमन की जांघो को खोल दिया और उसकी चूत को देखाने लगी। सुमन की चूत पर झांटे बहुत ही करीने से हटाई गई थी और इस समय सुमन कि चूत बिलकुल चमक रही थी। सुमन कि चूत से चुदाई के पहले निकलने वाला रस रिस रिस कर निकल रहा था। उषा झुक कर सुमन के सामने बैठ गई और सुमन कि चूत से अपनी मुंह लगा दिया। उषा का मुंह जैसे ही सुमन कि चूत पर लगा तो सुमन ने अपनी टांगे और फैला दिया और अपने हाथों से अपनी चूत को खोल दिया। अब उषा ने आगे बढ कर सुमन कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। उषा अपनी जीभ को सुमन कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपर तक ला रही थी और सुमन मारे गरमी के उषा का सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी। उधर रमेश ने जैसे ही देखा कि उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही है तो उसने अपना लण्ड सुमन के मुंह से लगा कर एक हलका सा धक्का दिया और सुमन अपना मुंह खोल कर रमेश का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। नीचे उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही थी और कभी कभी सुमन के दाने को अपने दांतो से पकड़ कर हलके हलके से दबा रही थी।

थोड़ी देर तक सुमन कि चूत को चाटने और चूसने का बाद उषा उठ कर खड़ी हो गई और रमेश का लण्ड पकड़ सुमन के मुंह से निकल दिया और सुमन से बोली, “सुमन अब बहुत हो गया लण्ड चूसना और चूत चटवाना चलो अब अपने पैर कुरसी के हत्थो के ऊपर रखो और रमेश का लण्ड अपने चूत में पिलवाओ। मुझे मालूम है कि अब तुम्हे रमेश का लण्ड अपने मुंह में नही अपनी चूत के अन्दर चाहिये।” और उषा ने अपने हाथों से अपने पति का खड़ा हुआ लण्ड सुमन कि गीली चूत कि ऊपर रख दिया। चूत पर लण्ड के रखते ही सुमन ने अपने हाथों से उसको अपनी चूत की छेद से भिड़ा दिया और रमेश कि तरफ़ देख कर मुसकुरा कर बोली, “लो अब तुम्हारी बीवी ने ही तुम्हारा लण्ड को मेरी चूत से भिड़ा दिया। अब देर किस बात का है। चलो चुदाई शुरु कर दो।” इतना सुनते ही रमेश ने अपना कमार हिला कर अपना तना हुआ लण्ड सुमन कि चूत के अन्दर उतार दिया। चूत के अन्दर लण्ड घुसते ही सुमन ने अपने पैर को कुरसी के हत्थों पर रख कर और फैला दिया और अपने हाथों से रमेश का कमार पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। अब रमेश अपने दोनो हाथों से सुमन कि दोनो चूंचियों को पकड़ कर अपना कमार हिला हिला कर सुमन को चोदना शुरु कर दिया। सुमन अपनी चूत में रमेश का लण्ड पिलवा कर बहुत खुश थी और वो मुड़ कर उषा से बोली,

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