उषा की कहानी

रमेश भी उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमता रहा। थोड़ी देर के बाद रजनी जी से सहा नही गया और खुद ही अपने दामाद से बोली, “अरे अब कितना तड़पाओगे। तुम्हे चूत में अंगुली या जीभ घुसानी है तो ठीक तरीके से घुसाओ। साड़ी के ऊपर से क्या कर रहे हो?” अपनी सास कि बात सुन कर रमेश बोला, “मैं क्या करता, आपने ही कहा था आप साड़ी नही उतारेंगे। इसिलिये मैं आपकी साड़ी के ऊपर से ही आपकी चूत चूम रहा हूं।”

“वो तो ठीक है, लेकिन तुम मेरी साड़ी उठा कर भी तो मेरी चूत का चुम्मा ले सकते हो?” रजनी जी ने अपने दामाद से बोली। अपनी सास कि बात सुनते ही रमेश ने जल्दी से अपनी सास की साड़ी को पैरों के पास से पकड़ कर ऊपर उठाना शुरु कर दिया और जैसे ही साड़ी रजनी जी की जांघो तक उठ गई तो रजनी जी मारे शरम के अपना चेहेरा अपने हाथों से ढक लिया और अपने दामाद से बोली, “अब बस भी करो, और कितना साड़ी उठाओगे। अब मुझे शरम आ रही है। अब तुम अपना सर अन्दर डाल कर मेरी चूत को चूम लो।” लेकिन रमेश अपनी सास कि बात को अनसुनी करते हुए रजनी जी की साड़ी को उनकी कमर तक उठा दिया और उनकी नंगी चूत पर अपना मुंह लगा कर चूत को चूम लिया। थोड़ी देर तक रजनी जी की नंगी चूत को चूम कर रमेश अपनी सास कि चूत को गौर से देखने लगा और अपनी अंगुलियों से उनकी चूत की पत्तियों और दाने से खेलने लगा। रमेश कि हरकतों से रजनी जी गरमा गई और उनकी सांस जोर जोर से चलने लगी।

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अपनी मा की हालत देख कर उषा आगे बढ कर अपनी मा की चूंचियो से खेलने लगी और धीरे धीरे उनकी ब्लाऊज के बटन खोलने लगी। रजनी ने अपने हाथों से अपने ब्लाऊज को पकड़ते हुए अपने बेटी से पूछने लगी, “क्या कर रही हो? मुझे बहुत शरम लग रही है। छोड़ दे बेटी मुझको।“ उषा अपनी काम जारी रखते हुए अपनी मा से बोली, “अरे मा, जब तुम अपने दामाद का मूसल अपने चूत में पिलवाने जा रही हो तो फिर अब शरम कैसी? खोल दे अपने इन कपड़ों को और पूरी तरफ़ से नंगी हो कर मेरे पति के लण्ड का सुख अपने चूत से लो। छोड़ो अब, मुझको तुम्हारे कपड़े खोलने दो।” इतना कह कर उषा ने अपनी मां का ब्लाऊज, ब्रा, साड़ी और फिर उनकी पेटीकोट भी उतार दिया। अब रजनी जी अपने दामाद के समने बिलकुल नंगी खड़ी थी। रमेश अपने नंगी सास को देखते ही उन पर टूट पड़ा और एक हाथ से उनकी चूंचियो को मलता रहा और दूसरे हाथ से उनकी चूत को मसलता रहा। रजनी जी भी गरम हो कर अपने दामाद का कुरता और पैजामा उतर दिया। फिर झुक कर अपने दामाद का अन्डरवियर भी उतार दिया। अब सास और दामाद दोनो एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे।

जैसे ही रजनी जी ने रमेश का मोटा मस्त लण्ड को देखा, रजनी जी अपने आप को रोक नही पाई और झुक कर उस मस्त लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। उषा भी चुपचाप खड़ी नही थी। वो अपनी मा के चूतड़ के तरफ़ बैठ कर उसकी चूत से अपना मुंह लगा दिया और अपनी मा कि चूत को चूसने लगी। रजनी जी अपने दामाद का मोटा लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी और कभी कभी उसको अपने जीभ से चाटने लगी। लण्ड को चाटते हुए रजनी जी ने अपने दामाद से बोली, “हाय! रमेश, तुमहरा लण्ड तो बहुत मोटा और लम्बा है। पता नही उषा पहली बार कैसे इसको अपनी चूत में लिया होगा। चूत तो बिलकुल फट गई होगी? मेरे तो मुंह दर्द होने लगा इतना मोटा लण्ड चूसते चूसते। वैसे मुझे पता था कि तुमहरा लण्ड इतना शानदार है”

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