उषा की कहानी

गोविन्द जी कि बात सुन कर उषा झट से उठ कर बैठ गई और अपने ससुर के समने झुक कर अपने हाथ और पैर के बल बैठ कर अपने ससुर से बोली, “बाबू जी, अब मेरी चूत में पीछे से अपना लण्ड डाल कर चोदिये। मुझे पीछे से चूत में लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है।” गोविन्द जी ने तब अपने सामने झुकी हुई उषा की चूतड़ पर हाथ फेराते हुए उषा से बोले, “साली कुत्ती तुझको पीछे से लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है? ऐसा तो कुतिया चुदवाती है, क्या तू कुतिया है?” उषा अपना सिर पीछे घुमा कर बोली, “हां मेरे चोदू ससुरजी मैं कुतिया हूं और इस समय आप मुझे कुत्ता बन कर मेरी चूत चोदेंगे। अब जल्दी भी करिये और शुरु हो जाओ जल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालिये।” गोविन्द जी अपने लण्ड पर थूक लगाते हुए बोले, “ले मेरी रण्डी बहू ले, मैं अभी तेरी फुदकती चूत में अपना लण्ड डाल कर उसकी खबार लेता हूं। साली तू बहुत चुद्दकड़ है। पता नहीं मेरा बेटा तुझको शान्त कर पायेगा कि नही।” और इतना कहकर गोविन्द जी अपने बहू के पीछे जाकर उसकि चूत अपने अंगुलियों से फैला कर उसमे अपना लण्ड डाल कर चोदने लगे। चोदते चोदते कभी कभी गोविन्द जी अपना अंगुली उषा कि गाण्ड में घुसा रहे थे और उषा अपनी कमार हिला हिला अपनी चूत में ससुर के लण्ड को अन्दर भर कर करवा रही थी। थोड़ी देर के चोदने के बाद दोनो बहू और ससुर जी झड़ गये। तब उषा उठ कर बाथरूम में जाकर अपना चूत और जांघे धोकर अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और गोविन्द जी भी अपने कमरे जाकर सो गये।

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अगले हफ़्ते रमेश और उषा अपने हनीमून मनाने अपने एक दोस्त, जो कि शिमला में रहता है, चले गये। जैसे ही रमेश और उषा शिमला एयरपोर्ट से बाहर निकले तो देखा कि रमेश का दोस्त, गौतम और उसकी बीवी सुमन दोनो बाहर अपनी कार के साथ उनका इन्तज़ार कर रहे है। रमेश और गौतम आगे बढ कर एक दूसरे के गले लग गये। फिर दोनों ने अपनी अपनी बीवियों से परिचय करवा दिया और फिर कार में बैठ कर घर की तरफ़ चल पड़े। घर पहुंच कर रमेश और गौतम बैठक में बैठ कर पुरानी बातो में मशगूल हो गय और उषा और सुमन दूसरे कमरे में बैठ कर बाते करने लगे। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम अपनी बीवियों को बुलाकर उनसे कहा कि खाना लगा दो बहुत जोर की भूख लगी है। सुमन ने फटाफ़ट खाना लगा दिया और चारों डाईनिंग टेबल पर बैठ कर खाने लगे। खाना खाते समय उषा देख रही थी कि रमेश सुमन को घूर घूर कर देख रहा है और सुमन भी धीरे धीरे मुसकुरा रही है। उषा को दाल में कुछ काला नज़र आया। लेकिन वो कुछ नही बोली।

अगले दिन सुबह गौतम नहा धो कर और नाश्ता करने के बाद अपने ऑफ़िस के लिये रवाना हो गया। घर पर उषा, रमेश और सुमन पर बैठ कर नाश्ता करने के बाद गप लड़ा रहे थे। उषा ने आज सुबह भी ध्यान दिया कि रमेश अभी भी सुमन को घूर रहा है और सुमन धीरे धीरे मुसकुरा रही है। थोड़ी देर के बाद उषा नहाने के लिये अपने कपड़े ले कर बाथरूम में गई। करीब आधे घण्टे के बाद जब उषा बाथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिया लपेट कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने टांगे फैला कर अपनी कुरसी पर फैली आधी लेटी और आधी बैठी हुई है और उसके ब्लाऊज के बटन सब के सब खुले हुए है रमेश झुक कर सुमन की एक चूंची अपने हाथों से पकड़ चूस रहा है और दूसरे हाथ से सुमन की दूसाड़ी चूंची को दबा रहा है। उषा यह देख कर सन्न रह गई और अपनी जगह पर खड़ी कि खड़ी रह गई। तभी सुमन कि नज़र उषा पर पर गई तो उसने अपनी हाथ हिला कर उषा को अपने पास बुला लिया और अपनी एक चूंची रमेश से छुड़ा कर उषा की तरफ़ बढा कर बोली, “लो उषा तुम भी मेरी चूंची चूसो।” रमेश चुपचाप सुमन कि चूंची चूसता रहा और उसने उषा कि तरफ़ देखा तक नही। सुमन ने फिर से उषा से बोली, “लो उषा तुम भी मेरी चूंची चूसो, मुझे चूंची चुसवाने में बहुत मज़ा मिलता है तभी मैं रमेश से अपनी चूंची चुसवा रही हूं।” उषा अब कुछ नही बोली और सुमन की दूसाड़ी चूंची अपने मुंह में भर कर चूसने लगी।

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