उषा की कहानी

“कैसे?” रमेश ने अपने सास कि चूंचियों को दबाते हुए पूछा। तब रजनी जी बोली, “कैसे क्या? तुम जब मेरे घर में अपने शादी के बाद आये थे और रोज दोपहर और रात को उषा को नंगी करके चोदते थे तो मैं खिड़की से झांका करती थी और तुम्हारी चुदाई देखा करती थी। उन दिनो से मैं जानती थी कि तुम्हारा लण्ड की साईज़ क्या है और तुम कैसे चूत चाटते हो और चोदते हो।” तब रमेश ने अपने सास कि चूंचियों को मसलते हुए पूछा, “क्या मांजी, आपके पति यानि मेरे ससुरजी का लण्ड इतना मोटा और लम्बा नही था?” “नही, उषा के पापा का लण्ड इतना मोटा और लम्बा नही था, और उनमे सेक्स कि भावना बहुत ही कम थी। इसिलिये वो मुझको हफ़्ते में केवल एक-दो बार ही चोदते थे” रजनी जी ने बोली।

थोड़ी देर के रमेश अपनी सास को बिस्तर पर लेटा कर उसकि चूत से अपना मुंह लगा दिया और अपने जीभ से उसकि चूत को ्चाटना शुरु कर दिया। चूत में जैसे ही रमेश की जीभ घुसी तो रजनी जी अपनी कमर उचकते हुए बोली, “उम्मम्म, अह्हह, ऊइ मा, राजा अभी छोड़ो ना क्यूं तड़पाते हो, मैं जल रही हूं, तुम्हारा लण्ड मुझे चूसना है। तुम्हारा लण्ड तो घोड़े जैसे है, मुझे डर लग रहा है जब तुम अन्दर मेरे चूत मैं डालोगे तो मेरी चूत तो फ़ट जायेगी। मेरी चूत का छेद बहुत छोटा है और ज्यादा चुदि भी नही है। आज तुम पहली बार मेरी चूत में अपन लण्ड डालने जा रहे हो। आराम से डालना और बड़े प्यार से मेरी चूत को चोदना”

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तब रमेश ने अपना लण्ड अपनी सास कि चूत पर लगाते हुए बोला, “कोई बात नही मांजी, आपकी चूत को जो भी कमी पहले थी अब उसको मैं पूरा करुंगा। मैं अब रोज़ आपकी और आपकी बेटी को एक ही बिस्तर पर लेटा कर अपन लोगों कि चूत चोदुंगा।”

यह सुनते ही उषा अपने मम्मी से बोली, “मां अब तो तुम खुश हो? अब से रोज़ तुम्हारा दामाद तुमको और मुझको नंगी करके हमारी चूत चोदेगा। हां, अगर तुम चाहो तो तुम अपनी गाण्ड में भी अपने दामाद का लण्ड पिलवा सकती हो।” इतना कह कर उषा ने रमेश से बोली, “मेरे प्यारे पति, अब क्यों देर कर रहे हो। जल्दी से अपना यह खड़ा लण्ड मेरी मां कि चूत में पेल दो और उनको तबियत के साथ खूब चोदो। देख नही रहे हो कि मेरी मा तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में पिलवाने के कितनी बेकरार है। लाओ मैं ही तुम्हारा लण्ड पकड़ कर पानी मा कि चूत में घुसेड़ देती हूं,” और उषा ने अपने हाथों से पकड़ कर रमेश का लण्ड उसके सास कि चूत पर लगा दिया। रमेश का लण्ड के चूत से लगते ही रजनी जी ने अपनी कमर हिलाना शुरु कर दिया और रमेश ने भी अपनी कमर हिला कर अपना लण्ड अपने सास कि चूत में डाल दिया। रजनी जी कि चूत अपने पति के देहान्त के बाद से चुदी नही थी और इसालिये बहुत टाईट थी और उसमे अपना लण्ड डालने में रमेश को बहुत मज़ा मिल रहा था। रजनी जी भी अपने दामाद का लण्ड अपनी चूत में पेलवा कर सातवें आसमान पर पहुंच गई थी और वो बड़बड़ा रही थी, “आआअह ऊऊऊह आराम से डालो यार, मेरी चूत ज्यादा खुली हुई नहीं है। प्लीज, पूरा लण्ड मत डालो नही तो मेरी चूत फ़ट जायेगी, उई मा।म मर गई, ओह, आह, हन, मेरी चूत फ़ाड़ दो, हां, ज़ोर से, और ज़ोर से, राजा है मादरचोद रमेश आज मेरी चूत फाड़ दो आआअह आआआह ऊऊऊह ज़ोर से डालो, और ज़ोर से डालो, आज जितना ज्यादा मेरी चूत के साथ खेल सकते हो खेलो, राजा यह लण्ड पूरा मुझे दे दो, मै इस के बिना नहीं रह सकती हूं, पूरा लण्ड डालो, उम्मम्मम आआह आआआह” “उम्मम्मम आआआआह चूत में गुड, उम्मम्मम्म अह अह अह ओह्ह ओह नो। मैं चूत खाज से मरी जा रही हूं, मुझे जोर जोर से धक्के मार मार कर चोदो।” थोड़ी देर के बाद रजनी जी ने अपने दामाद को अपने चारों हाथ और पैर से बांध कर बोली, “आआअह आआह उम्मम्मम्म, चोदो मुझे ज़ोर से उम्मम्मम्म, उफ़ मादरचोद बहुत मज़ा आ रहा है, प्लीज रुकना नही, ओह मुझे रगड़ कर चोदो, ज़ोर से चोदो, अपना लण्ड पूरा मुझ को दे दो, तुम जैसा कहोगे मै वैसा ही करूंगी लेकिन मुझे और चोदो, तुम बहुत अच्छा चोदते हो, मुझे ही आज बहुत ज्यादा, चोदो भेनचोद तुम्हारा लण्ड तो तुम्हारे ससुर से भी बड़ा है, चोदो मुझे नहीं तो मै मर जाऊंगी, अभी तो तुम ने मेरी गाण्ड भी मारनी है।”

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