उषा की कहानी

तब उषा ने शर्मा कर अपने ससुर के नगी छती में मुंह छुपाते हुए बोली, “ससुर जी मैं अपने हाथों से आपका खड़ा हुआ मोटा लण्ड पकड़ रखा है, और थोड़ी देर के बाद आप इस लण्ड को मेरी चूत के अन्दर डाल कर मेरी चुदाई करेंगे। बस अब तो खुश है न आप। अब मैं बिलकुल बेशरम होकर आपसे बात करुंगी।” इतना सुन कर गोविन्द जी ने तब उषा को फिर से पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया और अपने बहू की टांगो को अपने हाथों से खोल कर खुद उन खुली टांगो के बीच बैठ गये। बैठने के बाद उन्होने झुक कर उषा कि चूत पर दो तीन चूम्मा दिया और फिर अपना लण्ड अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बहू कि चूत के दरवाजे पर रख दिया। चूत पर लण्ड रखते ही उषा अपनी कमार उठा उठा कर अपनी ससुर के लण्ड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी। उषा कि बेताबी देख कर गोविन्द जी अपने बहू से बोले, “रुक छिनाल रुक, चूत के सामने लण्ड आते ही अपनी कमार उचका रही है। मैं अभी तेरे चूत कि खुजली दूर करुता हूं।” उषा तब अपने ससुर के छाती पर हाथ रख कर उनकी निप्पले के अपने अंगुलियों से मसलते हुए बोली, “ऊऊह्हह ससुरजी बहुत हो गया है। अब बार्दाश्त नहीं हो रहा है आओ ना ऊऊओह्हह प्लीज ससुरजी, आओ ना, आओ और जल्दी से मुझको चोदो। अब देर मत करो अब मुझे चोदो ना और कितनी देर करेंगे ससुरजी। ससुर जी जल्दी से अपना यह मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दीजिये। मैं अपनी चूत कि खुजली से पागल हुए जा रही हूं। जल्दी से मुझे अपने लण्ड से चोदिये। अह! ओह! क्या मस्त लण्ड है आपका।” गोविन्द जी अपना लण्ड अपने बहू कि चूत में ठेलते हुए बोले, “वाह रे मेरी छिनाल बहू, तू तो बड़ी चुद्दकड़ है। अपने मुंह से ही अपने ससुर के लण्ड की तारीफ़ कर रही है और अपनी चूत को मेरा लण्ड खिलाने के लिये अपनी कमार उचका रही है। देख मैं आज रात को तेरे चूत कि क्या हालत बनाता हूं। साली तुझको चोद चोद कर तेरी चूत को भोसड़ा बना दूंगा” और उन्होने एक ही झटके के साथ अपना लण्ड उषा कि चूत में डाल दिया।

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चूत में अपने ससुर का लण्ड घुसते ही उषा कि मुंह से एक हलकी सी चीख निकल गई और उसने अपने हाथों से अपने ससुर को पकड़ उनका सर अपनी चूंचियों से लगा दिया और बोलने लगी, “वाह! वह ससुर जी क्या मस्त लण्ड है आपका। मेरी तो चूत पूरी तरह से भर गई। अब जोर जोर से धक्का मार कर मेरी चूत कि खुजली मिटा दो। चूत में बहुत खुजली हो रही है।”

“अभी लो मेरे चिनल चुद्दकड़ बहू, अभी मैं तेरी चूत कि सारी कि सारी खुजली अपने लण्ड के धक्के के साथ मिटाता हूं” गोविन्द जी कमार हिला कर झटके के साथ धक्का मारते हुए बोले। उषा भी अपने ससुर के धक्के के साथ अपनी कमार उछाल उछाल कर अपनी चूत में अपने ससुर का लण्ड लेते बोली, “ओह! अह! अह! ससुरजी मज़ा आ गया। मुझे तो तारे नज़र आ रहे हैं। आपको वाकई में औरत कि चूत चोदने कि कला आती है। चोदिए चोदिए अपने बहू कि मस्त चूत में अपना लण्ड डाल कर खूब चोदिए। बहुत मज़ा मिल रहा है। अब मैं तो आपसे रोज़ अपनी चूत चुदवाऊंगी। बोलीये चोदेंगे ना मेरी चूत?” गोविन्द जी अपनी बहू की बात सुन कर मुसकुरा दिये और अपना लण्ड उसकी चूत के अन्दर बाहर करना जारी रखा। उषा अपनी ससुर के लण्ड से अपनी चूत चुदवा कर बेहाल हो रही थी और बड़बड़ा रही थी,

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