उषा की कहानी

“आआह्हह ससुरजीईए जोर्रर्रर सीई। हन्नन सासयरजीए जूर्रर्रर जूर्रर्र से धक्कक्काअ लगीईईई, और्रर्रर जूर्रर सीई चोदिईईए अपनी बहू की चूत्तत्त को। मुझीई बहुत अस्सह्ह्हाअ लाअग्गग रह्हह्हाअ हैईइ, ऊऊओह्ह्ह और जोर से चोदो मुझे आआह्हह्ह सौऊउर्रजीए और जोर से करो आआअहहह्ह और अन्दर जोर से। ऊऊओह्हह दीआर्रर ऊऊओह्ह्ह ऊऊफ़्फ़फ़् आआह्हह्हह आआह्हह्हह्ह ऊउईईई आअह्हहह ऊऊम्मम्मा आह्ह्हह्हह ऊऊऊह्ह”

थोड़ी देर तक जोर जोर के धक्को से अपने बहू की चूत चोदने के बाद गोविन्द जी ने अपना धक्को की रफ़्तार धीमी कर दिया और उषा की चूंचियों को फिर से अपने हाथों में पकड़ कर उषा से पूछा, “बहू कैसा लग रहा है अपने ससुर का लण्ड अपनी चूत में पिलवा कर?” तब उषा अपनी कमार उठा उठा कर चूत में लण्ड की चोट लेती हुइ बोली, “ससुरजी अपसे चूत चुदवा कर मैं और मेरी चूत दोनो का हाल ही बेहाल हो गया है। आप चूत चोद ने में बहुत एक्सपर्ट है बड़ा मजा आ रहा है मुझे ससुरजी, ऊओह्हह्हह ससुरजी आप बहुत अच्छा चोदते है आआह्ह्ह ऊऊऊह्हह। ऊऊओफ़फ़्फ़ ससुरजी आप बहुत ही एक्सपर्ट है और आपको औरतों कि चूत चोद कर औरतों को सुख देना बहुत अच्छी तरह से आता है। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है यूं ही हां, ससुर जी यूं ही चोदो मुझे आप बहुत अच्छे हो बस यू ही चुदाई करो मेरी ऊओह्हह्ह खूब चोदो मुझे। गोविन्द जी भी उषा की बातों को सुन कर बोले, “ले रण्डी, छिनाल ले अपने चूत में अपने ससुर का लण्ड का ठोक कर ले। आज देखते है कि तू कितनी बड़ी छिनाल चुद्दकड़ है। आज मैं तेरी चूत को अपने हलवी लण्ड से चोद चोद कर भोसड़ा बना दूंगा। ले मेरी चुदक्कड़ बहू ले मेरा लण्ड अपनी चूत में खा।” गोविंद जी इतना कह कर फिर से उषा कि चूत में अपना लण्ड जोर जोर से पेलने लगे और थोड़ी देर के बाद अपना लण्ड जड़ तक ठूंस कर अपनी बहू कि चूत के अन्दर झड़ गये। उषा भी अपने ससुर कि लण्ड को चूत को उठा कर अपनी चूत में खाती खाती झड़ गई। थोड़ी देर तक दोनो ससुर और बहू अपनी चुदाई से थक कर सुस्त पड़े रहे।

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थोड़ी देर के बाद उषा ने अपनी आंखे खोली और अपने ससुर और खुद को नंगी देख कर शर्मा कर अपने हाथों से अपना चेहेरा ढक लिया। तब गोविन्द जी उठ कर पहले बाथरूम में जा कर अपना लण्ड धो कर साफ़ करने के बाद फिर से उषा के पास बैठ गये और उसके शरीर से खेलने लगे। गोविन्द जी ने अपने हाथों से उषा का हाथ उसके चेहरे से हटा कर अपने बहू से पूछा, “क्यों, छिनाल चुद्दकड़ रण्डी उषा मज़ा आया अपने ससुर के लण्ड से अपनी चूत चुदवा कर? बोल कैसा लगा मेरा लण्ड और उसके धक्के?” उषा अपने हाथों से अपने ससुर को बांध कर उनको चूमते हुए बोली, “बाबूजी अपका लण्ड बहुत शानदार है और इसको किसी भी औरत कि चूत को चोद कर मज़ा देने कि कला आती है। लेकिन, सबसे अच्छा मुझे आपका चोदते हुए गन्दी बात करना लगा। सच जब आप गन्दी बात कराते है और चोदते है तो बहुत अच्छा लगता है।” गोविन्द जी ने अपने हाथों से उषा कि चूंची को पकड़ कर मसलते हुए बोले, “अरे छिनाल, जब हम गन्दा कम कर रहे है तो गन्दी बात करने में क्या फ़रक पड़ता है और मुझको तो चुदाई के समय गाली बकने कि आदत है। अच्छा अब बोल तुझे मेरा चुदाई कैसी लगी? मज़ा आया कि नही, चूत कि खुजली मिटी कि नही?” उषा ने तब अपने हाथों से अपने ससुर का लण्ड पकड़ कर सहलाते हुए बोली, “ससुरजी आपका लण्ड बहुत ही शानदार है और मुझे अपसे अपनी चूत चुदवा कर बहुत मज़ा आया। लगता है कि आपके लण्ड को भी मेरी चूत बहुत पसंद आई। देखिये ना, आपका लण्ड फिर से खड़ा हो रहा है। क्या बात है एक बार और मेरी चूत में घुसना चहता है क्या?” गोविंदजी ने तब अपने हाथ उषा कि चूत पर फेराते हुए बोले, “साली कुतिया, एक बार अपने ससुर का लण्ड खा कर तेरी चूत का मन नही भरा, फिर से मेरा लण्ड खाना चाहती है? ठीक है मैं तुझको अभी एक बार फिर से चोदता हूं।”

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