उषा की कहानी

तब रजनी जी बोली, “ठीक है, जब तुम दोनो कि यही इच्छा है, तो यह लो मैं एक बार फिर से चुदवा लेती हूं। लेकिन इस बार मैं गाण्ड में रमेश का लण्ड लेना चाहती हूं। और दो मिनट रुक जओ, मुझे बहुत प्यास लगी है मैं अभी पानी पी कर आती हूं।” तब उषा अपने मा से बोली, “अरे मां, रमेश का लण्ड बहुत देर से खड़े है और आप पानी पीने जा रही हो? इन बिस्तर पर लेटो मैं तुमहरी प्यास अपनी मूत से बुझा देती हूं।”

इतना सुनते ही रजनी जी बोली, “ठीक है ला अपना मूत ही मुझे पिला मैं प्यास से मरी जा रही हूं” और वो बिसतर पर लेट गई। मा को बिस्तर पर लेटा देख कर उषा भी बिस्तर पर चढ गई और अपने दोनो पैर मां के सर के दोनो तरह करके बैठ गई और अपनी चूत रजनी जी के मुंह से भिड़ा दिया। रजनी जी भी अपनी मुंह खोल दिया। मुंह खुलते ही उषा ने पिशाब कि धार अपने मा कि मुंह पर छोड़ दिया और रजनी जी अपनी बेटी की मूत बड़े चाव से पीने लगी। पिशाब पूरा होने पर उषा अपने मा के ऊपर से उठ खड़ी हो गई और रजनी जी के बगल में जा कर बैठ गई। तब रमेश ने अपने सास के बाहों को पकड़ कर उनको बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और उनकी कमर को पकड़ कर उनके चूतड़ को उपर कर दिया। जैसे रजनी जी घोड़ी सी बन कर बिस्तर पर आसन लिया तो रमेश अपने मुंह से थोड़ा सा थूक निकल कर अपने सास कि गाण्ड में लगा दिया और अपना लण्ड को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी सास कि गाण्ड कि छेद में लगा दिया। रजनी जी तब अपने हाथों से अपनी बेटी कि चूंचियों को मसलते हुए बोली, “रमेश मेरे राजा, मैने आज तक कभी गाण्ड नही चुदवाई है और मुझको पता है कि गाण्ड मरवाने में पहले बहुत दर्द होता है। इसलिये तुम आराम से मेरी गाण्ड में अपन लण्ड डालना। जैसे ही रमेश ने जोर लगा कर अपना लण्ड का सुपारा अपनी सास की गाण्ड में घुसेड़ा तो रजनी जी चिल्ला उठी, “आआआह ऊऊऊऊह आआआआह क्या कर रहा हो, मै मार जाऊंगी, राजा तुम तो मेरी गान्ड फ़ाड़ कर रख दोगे, मैने पेहले कभी गाण्ड नहीं मरवाई है प्लीज़ मेरे लल्ला आहिस्ता से करो।” अपनी मा को चिल्लाते देख उषा ने रमेश से बोली, “क्या कर रहे हो, धीरे धीरे आराम से पेलो ना अपना लण्ड। देख नही रहे हो मेरी मां मरी जा रही है। मां कोई भागी थोड़ी ना जा रही है।”

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रमेश इतना सुन कर अपनी बीवी से बोली, “क्यों चिन्ता कर रही हो। तुमको अपनी बात याद नही। जब मैने पहली बार अपना लण्ड तुम्हारी गाण्ड में पेला था तो तुम कितना चिल्लाई थी और बाद तुम्ही मुझसे बोल रही थी, और जोर से पेलो, पेलो जितना ताकत है फ़ाड़ दो मेरी गाण्ड, मुझको बहुत मज़ा मिल रहा है और मैं तो अब से रोज तुमसे अपनी गाण्ड में लण्ड पिलवाऊंगी।” उषा अपने पति कि बात सुन कर अपनी मा से बोली, “मा थोड़ा सा सबर करो। अभी तुम्हारी गाण्ड का दर्द खतम हो जयेगा और तुमको बहुत मज़ा मिलेगा। रमेश जैसा लण्ड पेल रहा है उसको पेलने दो।”

तब रजनी जी बोली, “वो तो ठीक है, लेकिन अभी तो लग रहा था कि मेरी गाण्ड फटी जा रही है, और मुझको अब पिशाब भी करना है।” रमेश अपनी सास कि बात सुन कर उषा से बोला, “उषा तुम जलदी से किचन में से एक जग लेकर आओ और उसको अपनी मां की चूत के नीचे पकड़ो।” उषा जल्दी से किचन में से एक जग उठा कर लाई और उसको अपनी मां की चूत के नीचे रख कर मां से बोली, “लो अब मूतो, मेरी प्यारी मां। तुम भी मां एक अजीब ही हो। उधर तुमहरा दामाद अपना लण्ड तुम्हारे गाण्ड में घुसेड़ रखा है और तुमको पिशाब करनी है।” रजनी जी कुछ नही बोली और अपने एक हाथ से जग को अपनी चूत के ठीक नीचे लकर चर चर करके मूतने लगी। राजनी को वाकई ही बहुत पिशाब लगी थी क्योंकि जग करीब करीब पूरा का पूरा भर गया था।

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