उषा की कहानी

उषा अपनी गाण्ड से गौतम का लण्ड को निकालने कि कोशिश कर रही थी और गौतम अपने लण्ड को उषा कि गाण्ड में घुसेड़ने कि कोशिश कर रहा था। इसी दौरान गौतम ने एक बार उषा कि कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर हिला करके एक धक्का मारा तो उसके लौड़े का सुपारा उषा कि गाण्ड कि छेद में घुस गया। फिर गौतम ने जलदी से एक और जोरदार धक्का मारा तो उसका पूरा का पूरा लण्ड उषा की गाण्ड में घुस गया और गौतम की झांटे उषा कि चूतड़ को छूने लगी। अपनी गाण्ड ने गौतम का लण्ड के घुसते ही उषा जोर से चीखी और चिल्ला कर बोली, “साले बहनचोद, दूसरे कि बीवी कि गाण्ड मुफ़्त में मिल गया तो क्या उसको चोदना जरूरी है? भोसड़ी के निकाल अपना मूसल जैसा लण्ड मेरी गाण्ड से और जा अपना लण्ड अपनी मा कि गाण्ड में या उसकी बुर में घुसा दे। अरे रमेश तुमहे दिख नही रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गाण्ड फाड़ रहा है? अरे कुछ करो भी, रोको गौतम को, नही तो गौतम मेरी गाण्ड मार मार कर मुझे गाण्डु बना देगा फिर तुम भी मेरी चूत छोड़ कर के मेरी गाण्ड ही मारना।” रमेश अपना लण्ड सुमन की गाण्ड के अन्दर बाहर कराते उषा से बोला, “अरे रानी, क्यों चिल्ला रही हो। गौतम तुम्हे अभी छोड़ देगा और एक-दो गाण्ड मारवने से कोइ गाण्डु नही बन जाता है। देखो ना मैं भी कैसे गौतम कि बीवी कि गाण्ड ने अपना लण्ड अन्दर बहर कर रहा हूं। तुमको अभी थोड़ी देर के बाद गाण्ड मारवने में भी बहुत मज़ा मिलेगा। बस चुपचाप अपनी गाण्ड में गौतम का लण्ड पिलवाती जाओ और मज़ा लूटो। इतना सुनते ही गौतम ने अपना हाथ आगे बढा कर उषा कि एक चूंची पकड़ कर मसलने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लण्ड उषा कि गाण्ड के अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के उषा को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला कर गौतम का लण्ड अपनी गाण्ड से खाने लगी। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम दोनो ही सुमन और उषा कि गाण्ड में अपना लण्ड के पिचकारी से भर दिया और सुस्त हो कर सोफ़ा में लेट गये।

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इस तरह से रमेश और उषा जब तक गौतम और सुमन के घर पर रुके रहे तब तक दोनो दोस्त एक दूसरे कि बीवीयों की चूत चोद चोद कर मज़ा मारते रहे। कभी कभी तो दोनो दोस्त उषा या सुमन को एक साथ चोदते थे। एक बिस्तर पर लेट कर नीचे से अपना लण्ड चूत में डालता था और दूसरा अपना लण्ड ऊपर से गाण्ड में डालता था। उषा और सुमन भी हर समय अपनी चूत या गाण्ड मरवाने के लिये तैयार रहती थी। जब सब लोग घर के अन्दर रहते थे तो सभी नंगे ही रहते थे। उषा और सुमन भी नंगी हो कर ही चाय या खाना बनाती थी और जब भी रमेश या गौतम उनके पास अता था तो वो झुक कर उनका लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसती थी और जैसे ही लण्ड खड़े हो जाता था तो खुद अपने हाथों से खड़े लण्ड को अपनी चूत से भिड़ा कर खुद धक्का मार कर अपनी चूत में भर लेती थे। एक हफ़्ता तक उषा और रमेश अपने दोस्त के घर बने रहे और फिर वापस अपने घर के लिये चल पड़े।

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