मैं बाथरूम में चला गया। फ़्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने ॠतु को पुकारा और कहा- तौलिया दे दो।
ॠतु ने लाली से कहा- जा, जीजू को तौलिया दे आ।
वो तौलिया लेकर आई तो मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा लण्ड पहले से खड़ा था। लाली की निगाह जैसे ही मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया। वो मुझे तौलिया देने लगी तो मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ। मैं अपने सिर को जरा साबुन से साफ़ कर लूं।
मैंने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा की लाली तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।
मैंने कुछ ज्यादा ही देर कर दी तो वो बोली- जीजू, तौलिया ले लो, मुझे और भी काम करना है।
मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ।
मैंने अपना सिर धोया और फिर अपने लण्ड पर साबुन लगाते हुये कहा- रात को तेरी दीदी ने इसे भी गन्दा कर दिया था, जरा इसे भी साफ़ कर लूँ। फिर मुझे तौलिया दे देना।
वो चुपचाप खड़ी रही। मैं अपने लण्ड पर साबुन लगाने लगा। वो अभी भी मेरे लण्ड को तिरछी निगाहों से देख रही थी। मैंने उससे मजाक करते हुये कहा- साली जी, तिरछी निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो। अपना सिर ऊपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे।
वो बोली- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- कैसी शरम? मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना। बोलो, हूँ या नहीं।
वो बोली- हाँ, आप मेरे जीजू हैं।
मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपने लण्ड पर लगे हुये साबुन को धोया और उसके हाथ से तौलिया लेटे हुए कहा- अब जाओ।
वो मुस्कराते हुये चली गई।
मैंने अपना बदन साफ़ किया और लुंगी पहन कर बाहर आ गया। लाली ड्राईंग रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैंने ॠतु को पुकारा और कहा- जरा तेल तो लगा दो।
वो बोली- अभी आती हूँ।
ॠतु मेरे पास आ गई तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- आज तेल नहीं लगाओगी क्या।
ॠतु समझ गई और बोली- लगाऊँगी क्यों नहीं।
उसने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु कर दिया।लाली मेरे लण्ड को देखती रही। इस बार वो ज्यादा नहीं शरमा रही थी। तेल लगाने के बाद ॠतु जाने लगी तो मैंने कहा- तुम कुछ भूल रही हो।
ॠतु ने मेरे लण्ड को चूम लिया। उसके बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया।
10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो ॠतु ने कहा- लाली के लिये कुछ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का सामान ले आना।
मैंने कहा- अच्छा, ले आऊँगा।
उसके बाद मैं दुकान चला गया। रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैंने लाली को पुकारा।
लाली आ गई और उसने मुस्कराते हुये कहा- क्या है, जीजू?
मैंने कहा- मैं तेरे लिये कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का सामान भी। देख जरा तुझे पसन्द है या नहीं।
उसने सारा सामान देखा तो खुश हो गई और बोली- बहुत ही अच्छा है।
मैंने पूछा- ॠतु कहाँ है?
वो बोली- फ़्रेश होने गई है।
मैंने कहा- जा, मेरे लिये चाय ले आ।
वो चाय लाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतार दिये और लुंगी पहन ली। वो चाय ले कर आई तो मैंने चाय पी। तभी ॠतु आ गई। उसने पूछा- लाली का सामान ले आये?