विधवा भाभी की चुदाई-2

वो आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को देखने लगी, वो बोली- जीजू, अब तो खोल दो मुझे।

मैंने कहा- एक बार तुम्हारी गाण्ड और चोद लूं फिर खोल दूंगा।

वो बोली- कमरे में मार लेना।

मैंने कहा- तुम फिर से चिल्लओगी।

वो बोली- मैं अपना मुँह बंद रखने की कोशिश करुंगी।

मैंने ॠतु से कहा- खोल दो लाली को।

ॠतु ने लाली के हाथ पैर खोल दिये। लाली बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी। ॠतु उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गई। लाली ने अपनी गाण्ड और चूत को साबुन से साफ़ किया। फिर ॠतु उसे कमरे में ले आई। मैं कमरे में आया तो लाली बेड पर लेटी थी। मैं उसके बगल में लेट गया। 1 घन्टे के बाद मैंने फिर से लाली की गाण्ड मारनी शुरु की। वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शान्त हो गई। उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी। उसने मुझसे खूब जम कर गाण्ड मरवाई।

धीरे धीरे 6 महीने गुजर गये। लाली मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गाण्ड मरवाती रही। मुझे भी लाली की चुदाई करने में और उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आता था। एक दिन मैंने दुकान के नौकर रामू को कुछ फ़ाईल लाने के लिये घर भेजा। उसने घर पर लाली को देखा तो लाली उसे बहुत पसन्द आ गई। रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुंवारा ही था। उसने मुझसे लाली के बारे में पूछा तो मैंने उसे बता दिया कि वो ॠतु के गावँ की रहने वाली है।

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उसने मुझसे कहा कि वो लाली से शादी करना चहता है।

मैंने कहा- ठीक है, मैं लाली से पूछ लूं फिर बता दूंगा।

रात में जब मैं घर आया तो मैंने लाली से बात की तो वो तैयार हो गई। उसे भी रामू पसन्द आ गया था।

उसने मुझसे कहा- जीजू, एक दिक्कत है।

मैंने पूछा- वो क्या?

वो बोली- आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदते हैं और मेरी गाण्ड भी मारते हैं। अगर मैं शादी कर लूंगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाऊंगी?

मैंने कहा- पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना। मैं तेरी चुदाई कर दूंगा और तेरी गाण्ड भी मार दूंगा। सारी ज़िंदगी तू कुंवारी तो नहीं रही सकती।

वो बोली- फिर ठीक है।

मैंने लाली के माता पिता से बात की तो वो भी तैयार हो गये। कुछ दिनों के बाद लाली की शादी रामू से हो गई। रविवार को दुकान की छुट्टी रहती है। लाली हर रविवार के दिन ॠतु से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गाण्ड भी मारता हूँ।

एक दिन जब मैं रात को दुकान से घर आया तो लाली घर पर आई हुई थी। उसके साथ एक औरत और थी। वो भी बहुत ही खूबसुरत थी लेकिन थी थोड़ी मोटी। उसकी उमर भी 20 साल के लगभग रही होगी।

मैंने लाली से कहा- आज तो रविवार नहीं है, फिर आज कैसे और यह तेरे साथ कौन है?

वो बोली- यह मीना है, मेरी भाभी। आपसे चुदवाने आई है।

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मैंने कहा- तू क्या कह रही है?

वो बोली- जीजू, भोले मत बनो। आप इतनी अच्छी तरह से मेरी चुदाई करते हैं और मेरी गाण्ड मारते हैं, मैं क्या कभी भूल सकती हूँ। भाभी मेरे बारे में सब जानती हैं क्योंकि यह मेरी सहेली की तरह हैं और मैंने इन्हें सब कुछ बता दिया है। मैं इन से कुछ भी नहीं छुपाती हूँ। इनकी शादी हुये 3 साल गुजर गये हैं और यह अभी तक माँ नहीं बन पाई है। मैंने इनसे कह दिया था कि मैं तुझे अपने जीजू से चुदवा दूंगी। तुझे चुदाई का पूरा मज़ा भी मिल जायेगा और तू माँ भी बन जायेगी। यह तैयार हो गई। उसके बाद मैंने भैया से कहा कि भाभी को मेरे पास 1 महीने के लिये भेज दो। मैं इसका इलाज़ बहुत ही अच्छे दोस्तों से करा दूंगी। भैया ने इसे मेरे पास भेज दिया और मैं इसे आप के पास ले आई हूँ। अब आप इसका इलाज़ बहुत ही अच्छी तरही से कर दो। आप को फिर से एक कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जयेगा।

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