मैं चुपचाप मामा जी के निर्देशों के अनुसार ऊँची हो कर बैठने की मुद्रा में होते हुए अपनी योनि के मुख को उनके लिंग की सीध में रखते हुए उस पर झटके से बैठ गई।
मेरे द्वारा झटके से बैठने के कारण मामा जी का लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ पूरा का पूरा उसके अंदर घुस गया और हम दोनों के मुहं से एक साथ ही ‘आह्ह!’ का स्वर निकला।
मैं कुछ क्षण रुकने के बाद उचक उचक कर मामा जी के लिंग को अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी।
मामा जी ने भी नीचे से अपने कूल्हे उठा कर अपने सात इंच लम्बे लिंग को मेरी योनि की गहराइयों तक पहुचने की चेष्टा करने लगे।
दस मिनट तक इस क्रिया को बहुत तीव्रता से करते रहने के कारण जब मेरी साँसें फूल गई और पूरा शरीर पसीने से भीग गया तब मामा जी ने मुझे रोक कर नीचे लेटने के लिए कहा।
मैं उनके कहे अनुसार उनके ऊपर लेट गई और मामा जी ने मुझे कस के अपने बाहुपाश में जकड़ लिया तथा करवट लेकर मुझे नीचे कर के खुद मेरे ऊपर आ गये।
ऊपर आते ही मामा जी ने बहुत तीव्रता से अपने लिंग को मेरी योनि के अन्दर बाहर करने लगे और दस मिनट में ही मेरी योनि से रस स्खलित हो गया।
उसके बाद मामा जी ने अपनी गति बढ़ा कर अत्यंत तीव्र कर दी और उछल उछल कर अपने लिंग को मेरी योनि में धकेलते रहे।
दस मिनट बीतते ही मेरी टाँगें ऐंठ गई तथा मेरा शरीर अकड़ने लगा और तब मेरी योनि ने बहुत तेजी से सिकुड़ते हुए मामा जी के लिंग को जकड़ लिया।
मेरी योनि की जकड़ के कारण मामा जी के लिंग को बहुत ही ज़बरदस्त रगड़ लगी और दो धक्के लगते ही उनका गर्म गर्म वीर्य मेरी योनि में गिरने लगा।
उस गर्म वीर्य से पैदा हुई गर्मी को ठंडा करने के लिए मेरी योनि ने तुरंत अपने रस की बौछार कर दी जिससे आनन्द एवम् संतुष्टि की सुखद लहरें मेरे शरीर में उठने लगी।
मैं और मामा जी पसीने में भीगे तथा हाँफते हुए निढाल हो कर एक दूसरे को लिपटे कुछ समय तक बिस्तर में ही लेटे रहे।
जब सांस में सांस आई तब मामा जी मुझे चूमते हुए बोले– सरोज, सच कहूँ तो तुमने हनीमून के बाद आज पहली बार मुझे अत्याधिक आनन्द एवम् संतुष्टि दी है।
मामा को सच्ची का भान हुआ
मैंने उनकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया तथा अपनी नाइटी पहनते हुए मैं योनि की सफाई करने के लिए बाथरूम में घुस गई।
मेरे पीछे पीछे नग्न मामा जी भी बाथरूम में घुसे लेकिन मुझे बाथरूम में देखते ही वह अपनी नग्नता छुपाने के लिए झट से मुड़ कर कमरे में चले गए।
जब उन्होंने कमरे की लाईट जला कर मामी को वहाँ नहीं देखा तब वह वापिस बाथरूम में लौटे और खूंटी पर टंगे हुए तौलिये को कमर में लपेट लिया।
तौलिया बाँधने के बाद मामा जी ने वापिस मुड़ कर जब मुझे अपनी योनि को धोते हुए देखा तो चौंक गए और मुझ से पूछा- अर्पिता, तुम्हारी मामी कहाँ है, अभी अभी तो बाथरूम में ही तो घुसी थी?
मैंने योनि को धोते हुए ही कहा– मामा जी, रात को बारह बजे नर्सिंग होम से एक आपातकालीन प्रसव केस के बारे में फ़ोन आया था तब मामी तुरंत वहाँ चली गई थी।