Yaun Vasna Ke Vashibhoot Par Purush Sahvas

लेकिन हमारे बहुत बड़े व्यापार को अकेले ही सम्भालने के चेष्टा में वह हमेशा अत्याधिक व्यस्त रहते हैं और इसलिए हम दोनों सिर्फ रात के समय ही आपस में मिल पाते हैं।

वे हर सुबह आठ बजे ही काम पर चले जाते हैं और रात को लगभग दस बजे के बाद ही घर लौटते हैं इसलिए हम दोनों का शारीरिक मिलन बहुत कम होता है।

मेरा गर्भाधान व प्रसव
क्योंकि मेरी मामी शहर के मानी हुई प्रसूति विशेषज्ञ हैं इसलिए पिछले वर्ष जब मैं गर्भवती हुई तब मैंने और पति ने सासू माँ की अनुमति से मामी के नर्सिंग होम में ही प्रसव कराने का निर्णय लिया।

जब गर्भ के दूसरे माह के शुरू में मामी के पास निरीक्षण करवाया तब वह बहुत ही खुश हुई और उन्होंने मेरा परीक्षण बहुत ही अच्छी तरह से किया।

गर्भावस्था के सातवें माह के अंत में मामी ने हमारे परिवार के रीती रिवाजों के अनुसार मुझे अपने घर पर रख लिया और एक माँ की तरह मेरी पूरी देखभाल भी की।

जब गर्भावस्था के नौ माह और सात दिन पूरे हुए तब उस रात को एक बजे मुझे प्रसव की पीड़ा शुरू हो गई और मामी तुरन्त मुझे अपने नर्सिंग होम में ले गई।

वहाँ जाकर जब मामी को पता चला कि रात्रि पारी की उनकी सहायक डॉक्टर की तबियत खराब होने के कारण वह घर चली गई थी तब उन्होंने अपनी सहायता के लिए मामा जी को बुला लिया।

रात को तीन बजे जब मेरी प्रसव पीड़ा तीव्र होने लगी तब मामी ने मेरा परीक्षण करने के पाश्चात नर्सों को प्रसव की तैयारी के आदेश दे दिए।

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उसके बाद ड्यूटी नर्स ने मामी के निर्देश के अनुसार मुझे प्रसव कक्ष में लिटा कर मेरे सभी कपड़े उतार दिए और मेरे जघन-स्थल और योनि के आस पास के सभी बाल साफ़ कर के मुझे एक चादर से ढक दिया।

लगभग चार बजे जब मुझे प्रसव की अत्यंत तीव्र पीड़ा होने पर मामी ने मेरी दोनों टांगें चौड़ी करके बाँध दी और उनके बीच में बैठ कर मुझे जोर लगा कर बच्चे को बाहर धकेलने के लिए कहा।

जब दर्द के मारे मैं ऐसा करने में असफल हो जाती, तब एक नर्स मेरे बगल में आकर मेरे पेट के दोनों हाथों से थोड़ा दबा कर मुझे जोर लगाने को कहती।

उस नर्स की सहायता से जोर लगा कर बच्चे को थोड़ा नीचे धकेलने में मुझे सफलता तो मिली लेकिन बच्चे का सिर बड़ा होने के कारण मेरी योनि के मुँह में फंस गया।

तब मामी ने नर्स को मेरी टांगों को और चौड़ा करने को कहा ताकि मेरी योनि का मुख थोड़ा अधिक खुल जाए लेकिन उनके ऐसा करने पर भी कोई अंतर नहीं पड़ा।

मामा जी ने मुझे नंगी देखा
फिर मामी ने पास खड़े मामा जी के कहने पर मेरी योनि के नीचे वाले हिस्से में एक छोटा सा चीरा लगा दिया जिससे मेरी योनि का मुँह खुल गया और बच्चे का सिर मुक्त हो गया।

बच्चे के सिर के मुक्त होते ही मामी ने मुझे एक बार फिर से बच्चे को धकेलने के लिए जोर लगाने के लिए कहा और इस बार मेरे ऐसा करते ही बच्चे बाहर की ओर सरका।

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बच्चे के सिर और कंधे के योनि से बाहर निकलते ही मामी ने उसे पकड़ कर बाहर खींच कर नर्स को पकड़ा दिया तथा बच्चे की नाभि से जुड़ी गर्भनाल को मेरी योनि में से बाहर नकालने लगी।

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