Yaun Vasna Ke Vashibhoot Par Purush Sahvas

अगले दिन नर्सिंग होम का मैकेनिक वातानुकूलक का निरीक्षण करने आया और उसने बताया कि उसका कम्प्रेसर जल जाने के कारण उसे ठीक होने में तीन से चार दिन लग जायेंगे।

इसके बाद उसने वातानुकूलक को उतार कर ठीक करने के लिए अपने साथ ही ले गया।

मामा ने मुझे मामी समझ लिया
रात को सोने के समय पिछले दिन की तरह मैं अपने बेटे के पालने के पास बिस्तर के एक तरफ सो गई और मामी बीच में तथा मामा बिस्तर के दूसरे तरफ सो गए।

आधी रात के बाद नर्सिंग होम से फोन पर किसी आपातकालीन प्रसव केस के आने की सूचना मिलते ही मामी को उसी समय वहाँ जाना पड़ा।

क्योंकि उस समय मैं जागी हुई बेटे को दूध पिला रही थी इसलिए मामी ने मामा जी को नहीं उठाया और जाने से पहले मुझे कहा– अर्पिता, तुम घर का मुख्य द्वार बंद कर लो क्योंकि मुझे रात भर नर्सिंग होम में ही रहना पड़ेगा और मैं सुबह ही घर आ पाऊँगी।

मामी के जाने का बाद मैंने द्वार बंद किया और अपने बिस्तर पर फ़ैल कर सो गई।

मामा के हाथ मेरे बदन पर
लगभग दो बजे मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी बगल में लेटा हुआ था और वह मेरे उरोजों को सहला रहा था।

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मैंने आँख खोल कर देखा तो पाया कि मामा जी आँखें बंद किये मेरी ओर करवट कर के लेटे हुए थे और अपने एक हाथ से मेरे एक स्तन को सहला रहे थे।

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क्योंकि कई माह के बाद किसी पुरुष द्वारा मेरे उरोजों को सहलाया था इस कारण मेरी वासना जागृत हो गई और मैं उस उत्तेजित अवस्था में यौन सुख एवम् आनन्द की प्राप्ति की लालसा ने मुझे मामा जी का हाथ नहीं हटाने दिया।

पांच मिनट के बाद मामा जी ने मेरी नाइटी ऊपर की ओर खींचते हुए बोले– सरोज, ऐसा करो तुम इस नाइटी को उतार कर मेरे ऊपर आ जाओ। जब तुम थक जाओ तो मुझे बता देना तब मैं ऊपर आ जाऊँगा।

मामा जी की यह बात सुन कर मैं समझ गई कि उन्हें मामी के जाने का पता नहीं है और वह गलतफ़हमी में मुझे अपनी पत्नी समझ कर संसर्ग करने के लिए कह रहे हैं।

मैं मामा से सेक्स करने की इच्छुक थी
पिछले पांच मिनट में उनके द्वारा मेरे उरोजों को सहलाने के कारण मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और यौन संसर्ग का आनन्द पाने के स्वार्थ ने मुझे मामा जी की इस भ्रान्ति को तोड़ने से रोक दिया।

वासना के वशाधीन मैं उनसे अलग होने के बजाय उनके कहे अनुसार अपने नाइटी को उतार कर उनके ऊपर लेट कर उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

मेरे होंठो का स्पर्श मिलते ही मामा जी ने उन्हें चूसना शुरू कर दिया और एक हाथ नीचे की ओर बढ़ा कर अपनी लुंगी खोल दी तथा अपने तने हुए लिंग को मेरी योनि में डालने का प्रयास करने लगे।

मैंने भी उनके होंठों को चूसते हुए अपने शरीर को थोड़ा ऊँचा उठाया और उनके लिंग को पकड़ कर अपनी योनि के मुख पर रख कर अंदर घुसाने की चेष्टा करने लगी।

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मामा जी के ढाई इंच मोटे लिंग का मुंड फूल कर तीन इंच का हो गया था जिस कारण उसे योनि के प्रवेश करने में बाधा पड़ रही थी।

लिंग को मेरी योनि में नहीं जाते देख कर मामा जी बोले– सरोज, अगर अपनी योनि इस तरह सिकोड़ कर रखोगी तो अंदर कैसे जाएगा? मैं ज़बरदस्ती करूँगा तो तुम्हें तकलीफ होगी। इसलिए अपनी योनि की माँस-पेशियों को ढीला छोड़ो दो और मेरे लिंग के ऊपर बैठ जाओ तब वह अपने आप अंदर चला जायेगा।

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