जेठ जी के लंड का रस
जिनको मैं दिल से पूजती हूँ जो दिल में मेरे बसता हैयौवन क्या, जाँ कुर्बां उस पर, यौवन का सौदा सस्ता है।यह बदन मेरा अर्पण उसको जितना वह चाहे चोदे मुझेकुर्बां मेरा हर एक अंग जैसे चाहे वह रोंदे मुझे।। इतनी मैं पागल हूँ उससे चुदते मरना मंजूर मुझेचूत मेरी चाहे लण्ड उसका ना करना …