मेरा नाम संगीता है. और आपने अब तक के चारों पार्ट्स पढ़े ही होंगे. पर आज की कहानी मैं नही सुनौँगी. आज मेरा भतीजा आपको ये कहानी सुनाएगा. क्यूंकी ये कहानी उसने लिखी थी, और वो चाहता है की ये कहानी उसके मूह से सब सुने.
हेलो दोस्तो, मेरा नाम परेश है. अभी-अभी कॉलेज जाय्न किया है. मैं संगीता चाची के बड़े जेठ का बड़ा बेटा हू. और पहले के पार्ट्स से आपको पता चल ही गया होगा की हमारी फॅमिली सेक्स के बारे में कितनी अलग और ओपन माइंडेड है. ये बोलना ग़लत नही होगा की हम सब चुड़क्कड़ है.
मैं जब से जवान हुआ हू, या कहो तो जब से मेरा लंड खड़ा होने लगा है, तब से मैं फॅमिली के साथ सेक्स की बातें बिना शरमाये कर लेता हू. घर से बाहर मैने काई लड़कियों की चुदाई की है. और घर में मा, बेहन, मामी, बुआ के साथ भी चुदाई का मज़ा लिया है.
ये सुनने में आपको शायद अजीब लगे. पर हमारी फॅमिली में सब ओपन माइंडेड है, तो सब शारीरिक सुख का आनंद लेते है. संगीता चाची को चाचू ने, पापा ने, और दादू ने तो छोड़ा है. पर मैने अब तक उनके साथ चुदाई नही की. जब चाची घर पर आई, तो दिन रात मैं उनकी चुदाई के सपने देखा करता. चाची को मैने ये बात बताई तो चाची ने कहा की अगली बार आपको भी मौका देंगे छ्होटे मिया.
पर मेरा नंबर अब तक नही आया. एक रात घर पर रात को सब खाना खा के हॉल में बैठे थे. तो पापा और चाचू ने मेरी हवस को भाँप लिया. मैं काम करती चाची को हवस भारी नज़रों से देख रहा था, और यहा नीचे मेरा लंड खड़ा हो गया. तो चाचू ने चाची को आवाज़ दी और कहा-
चाचा: संगीता, काम बाद में करना. अभी कमरे में जाओ.
संगीता चाची बेडरूम में गयी. पापा वही बैठे थे.
उन्होने कहा: जाओ बेटा परेश. अपने लंड को और मत तड़पाव. जाओ और चाची के साथ मज़े करो.
मैं मुस्कुराया.
फिर चाचू बोल पड़े: हा-हा परेश, तुम क्यूँ पीछे रहो. चलो मेरे साथ मैं तुम्हारे साथ आता हू.
फिर चाचू मेरे साथ कमरे में आए. उन्होने संगीता चाची को कहा-
चाचा: संगीता, मेरे भतीजे को भी तुम्हारी छूट का स्वाद लेना है. तुम दोनो शुरू करो, मैं बाद में जाय्न करता हू.
इतना कह के चाचू बाहर चले गये. मैं चाची के पास गया. चाची बिल्कुल माल लग रही थी. उनके कपड़ों के उपर से उनका उभरा हुआ शरीर सॉफ दिख रहा था. उनको उपर से नीचे तक देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
चाची: परेश, अब मुझसे क्या शरमाना. आओ आज तुम ही मुझे नंगा करो.
इतना कहने की देर थी, मैने झट से उनकी सारी उतरी, और ब्लाउस का हुक खोला. चाची ने ब्लाउस उतरा और तभी मैने उनके पेटिकोट का नाडा खोला. वो कुछ समझ पाती उतने में पेटीकोत नीचे गैर गया. चाची सिर्फ़ ब्रा और पनटी में खड़ी थी. मैने भी अपनी त-शर्ट और पंत उतार फेंकी.
मैं चड्डी पर उनके सामने खड़ा हो गया. मेरा खड़ा लंड चाची को सॉफ दिख रहा था. चाची को मैने अपनी जाँघ पर बिताया, और उनके दोनो बूब्स के बीच में अपना मूह डाल दिया. मैं चाची के साथ तोड़ा हार्ड और रफ पेश आ रहा था. पर चाची मेरी उमर और अंदर की हवस को समझ सकती थी.
चाची भी साथ देने लगी. ब्रा को अनहुक करके उनके मोटे-मोटे बूब्स को आज़ाद किया. उनके बूब्स मेरे दोनो हाथो में नही समा पाए. तो मैं उनको लिटा कर उनके उपर ही चढ़ गया. उनके बूब्स को खूब दबोचा, छाता, चूसा और निपल्स काटे. चाची की आ आ की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी.
आवाज़ सुन कर पापा और चाचू कमरे की और आए. मैने चाची की पनटी उतरी, और छूट चाटने में लग गया. वाहा कमरे में पीछे चाचू और पापा दोनो ने भी अपने कपड़े उतारे. दोनो चड्डी में खड़े हो गये. उन्हे देख कर मैं मुस्कुराया और चाची से बोल पड़ा-
मैं: चाची आज तो आपकी खैर नही. टीन-टीन भूखे लंड आज आपका शिकार करेंगे.
ये सुन सब हस्स दिए.
चाचू: चलो फिर भतीजे, तू ही शुरू कर. अपनी चाची को तेरी जवानी का दूं तो दिखा.
मैने भी बड़े जोश में और गर्व लेते हुए चाची के पैरों को फैलाया, और अपना लंड उनकी छूट पर सेट किया. वाहा अपना थूक लगाया, और धक्के देने शुरू कर दिए. कुछ ही मिंटो में मेरा लंड उनकी छूट में घुस गया था. चाची चिल्लाई तो पापा उनके पास चले गये.
पापा ने अपना लंड उनके मूह में पेल दिया, और चाचू भी दूसरी साइड से आ गये. चाचू ने अपना लंड चाची के हाथ में दिया. चाची उसे हिलने लगी. फिर मैने नीचे से अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. यहा मैने घपा-घाप चाची की चुदाई शुरू कर दी, और वाहा कभी पापा तो कभी चाचू चाची का मूह पेलने में व्यस्त थे. चाची भी टीन लुंडो का मज़ा लेने में लगी थी.
कुछ वक़्त बाद मैने अपना माल चाची के पेट पर निकाल दिया. चाची को चाचू ने डॉगी बनाया. पापा ने चाची की छूट में लंड डाला, और आयेज से चाचू ने चाची के मूह में. दोनो मिल कर मस्त चुदाई करने लगे. चाची दर्द के मारे चिल्लती, पर घंटा कोई आज उनकी सुनने वाला था.
मैने भी उनके झूलते बूब्स को पकड़ा और मसलना शुरू किया. कुछ वक़्त बाद पापा का कम भी चाची की गांद पर निकल गया. फिर चाचू ने मुझे इशारा किया. चाचू लेट गये. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. चाचू के खड़े लंड पर चाची बैठ गयी, और मैं उनके पीछे से आके उनकी गांद में लंड घुसने की कोशिश में लग गया.
थोड़ी दिक्कत हुई, पर बाद में आख़िर उनकी गांद में मैने अपना बॅमबू घुसा ही दिया. एक साथ छूट और गांद चुदाई दोनो ज़ोरो पर थे. चाची भी उछाल-उछाल कर मज़े लेने लगी. कुछ देर बाद चाचू झाड़ गये, और मैने भी अपना कम उनकी गांद में ही निकाल दिया.
लगातार चाची टीन लंड छूट में ले चुकी थी. इसलिए हमने उन्हे रेस्ट करने को कहा और हम बाल्कनी में गये. पापा और चाचू ने चड्डी पहन ली और सिगरेट पीने लगे. मैं नंगा ही था, और बाल्कनी में जेया कर उनके साथ ही उन्ही की सिगरेट पीने लगा.
चाचू बोले: कैसा लगा भतीजे? कमाल की चाची मिली है तुम्हे, है ना?
मैं: हा चाचू, बात तो सही है.
चाचू: हो गया तेरा की लेगा एक और बार?
मैं: एक बार और चाचू प्लीज़. मॅन कर रहा है चाची को छोड़ने का.
पापा: भाई जवान लंड है. जवानी में ऐसे ही होता है. मॅन नही मानता. जेया छोड़ ले एक और बार.
चाचू: भाई तुझे हो करना है कर ले. बस ध्यान रखना अपनी चाची का.
ये कह के दोनो कमरे में से निकल गये. मैं चाची के पास गया, और बाजू में लेट गया.
चाची: क्यूँ, मॅन नही भरा?
मैं: नही चाची. प्लीज़ एक और बार प्लीज़.
चाची मुस्कुराइ, और मेरी और गांद करके साइड में लेट गयी. मैने उनकी एक टाँग उठाई, और अपना लंड उनकी छूट में डाल दिया. इस बार मेरा इतनी जल्दी निकालने वाला था. मैने ज़ोरदार चुदाई शुरू की, और अकेले में चाची को पेलने लगा.
मैं: क्या माल हो चाचू तुम. मेरा लंड तुम्हे देख कर खड़ा हो जाता है. ये लो साली रॅंड.
चाची: आ आह आह. हो छ्होटे, पर दूं सबसे ज़्यादा है. आह आह उईईइ माआ.
मैं: अभी तो बस शुरुआत है. देखती जाओ छूट का भोंसड़ा बना के ही छोड़ूँगा.
चाची: आह, मार डालोगे क्या? इतना दूं तो तुम्हारे चाचू में भी नही.
मैं: मेरा लंड जवान है. पूरी रात चुदाई कर सकता हू. अब चुप रह मेरी छिनाल, और लंड को ले. ये ले कुट्टी, ये ले.
ऐसे ज़ोर से गाली देकर इस बार में मैने चाची को आधे घंटे तक छोड़ा. फिर उनकी गांद पर अपना माल निकाला.
मैं: सॉरी चाची. वो जोश-जोश में गाली निकल गयी मूह से.
चाची: समझ सकती हू. गरम खून है, और लंड भी.
उसके बाद चाची बातरूम में लंगदाते हुए गयी. मैं मॅन ही मॅन मुस्कुराया, और अपने आप पर गर्व करने लगा. फिर मैं बाहर आया तो चाचू ने टवल पास किया. मैं नंगा जो था. मैने टवल लपेटा और पापा के पास जेया कर बैठ गया.
पापा: लगता है ज़ोरदार चुदाई करके आए हो. तुम्हारी और तुम्हारी चाची की आवाज़ यहा तक आ रही थी.
मैं: हा पापा, आज ज़रा ज़्यादा ज़ोर लग गया.
पापा: बेटा गालियाँ भी देना सीख ही गये तुम.
मैं: पापा अब लंड की गर्मी छूट में घुसेगी, तो मूह से गाली तो निकलेगी.
चाचू: अछा बेटा, तेरी बीवी को आने दे. मैं भी पूरा बदला लूँगा.
मैं: अर्रे बिल्कुल चाचू. आपका भी पूरा हक़ बनता है.
हम सब हस्स दिए. ऐसी रही चाची की हम टीन लोगों के साथ एक चुदाई पूरी रात. ऐसे काई किससे हमारी फॅमिली में है. अगर आपको ये कहानी पसंद आई तो जवानिकजोश@आउटलुक.कॉम पर ज़रूर बताइए. आपकी ईद सेफ रहेगी. और ये कहानी बिल्कुल सच है. हमने नाम बदल दिए है. फॅमिली में चुदाई करने का अपना ही मज़ा है. कोई रोक-टोक और नखरे नही. जब लंड खड़ा हुआ, तब सब शांत करवा ही देते है.