चुदसी होके औरत सोए हुए पति से चुदी

लास्ट पार्ट में आपने पढ़ा कैसे मैने और कमाल ने पिंकी की लिव चुदाई देखी, और मैने पहली बार किसी मर्द का लंड चूसा. विशाल ने अपने मोटे लंड से पिंकी की वर्जिन गांद की चुदाई की, जिससे अब पिंकी से चला भी नही जेया रहा था.

अपनी बेटी की ऐसी हालत देख कर प्रकाश भी बहुत दुखी हुआ, और उसको अपनी ग़लती का एहसास हो रहा था ऐसा लग रहा था. हम सब वाहा से थोड़ी दूरी बना कर साइड पर हो गये, जिससे पिंकी को हमारी आवाज़ ना सुन सके.

कमाल: देख लिया लोदउ, कैसे तेरी बेटी लपक-लपक कर चुड़वति है. रंडी बना कर रखा है तेरे दोस्तों ने. अब तो मैं भी किसी दिन पैसा देकर छोड़ लूँगा.

कमाल की बात सुन कर प्रकाश की आँखों से आँसू की बूंदे गिरने लगी, जिससे मैने कमाल को कुछ भी बोलने से रोका.

संगीता: देखिए आप रोइए मत. जो हो गया उसको कोई बदल नही सकता. मैं जानती हू आपको आपकी ग़लती का एहसास हो रहा है. अब आपको वो ग़लती को सुधारने का टाइम आ गया है. मैं प्रकाश के पास गयी, और उसके कंधे पर हाथ रखा, और दूसरे हाथ से उसकी च्चती को सहलाया. मेरी हमदर्दी पा कर प्रकाश फूट-फूट कर रोने लगा. मैने भी उसको थोड़ी देर तक रोने दिया

संगीता: देखिए आप ऐसे करेंगे तो आपकी तबीयत खराब हो जाएगी. आपको अब अपने आप को संभालना है.

प्रकाश: अब क्या बचा है मेरे जीवन में. इससे बुरा क्या देखना बाकी रहा है? अब मुझे जीने का कोई हक नही है. मेरी बेटी की इस हालत के लिए मैं ही ज़िम्मेदार हू.

संगीता: आप मानते हो ना? अब आपको ही अपनी ग़लती सुधारनी होगी. अभी भी आप पिंकी का जीवन बचा सकते हो.

प्रकाश: अब क्या बचा है उसके जीवन में. उसने तो अपना जीवन खराब कर दिया. अब तो कोई उसके साथ शादी भी नही करेगा. बदनाम हो गयी है.

संगीता: आप शहर चले जाओ. वाहा कोई छ्होटी-मोटी नौकरी ढूँढ कर सेट्ल हो जाओ. पिंकी की आयेज की पढ़ाई भी वाहा से ही होगी. और आप इतनी शराब भी ना पिया करो की अपना परिवार ही भूल जाओ.

कमाल: अर्रे पकिया, मौसी बिल्कुल ठीक कह रही है. यहा रहेगा तो पिंकी को ये लोग नोच खाएँगे, और तुझे गाओं में बदनाम करेंगे वो अलग. शहर चला जेया, वाहा कुछ ना कुछ काम मिल जाएगा.

संगीता: कमाल ठीक बोल रहा है. यहा रहना अब आपके परिवार के लिए ठीक नही है. मैं आपको जितनी मेरे से होगी, उतनी मदद करूँगी. पिंकी के लिए फिर अछा कोई लड़का देख कर उसकी शादी करवा देना.

प्रकाश को हमारी बात सही लगी, और फिर उसने गाओं छ्चोढने का फैंसला कर दिया. मैं भी अपनी बेहन के घर 2-3 दिन रुकी. मेरा बहुत मॅन कर रहा था कमाल से अपनी गांद मरवाने का. लेकिन मौका नही मिला. पूरा दिन नयी बहू मेरे पास में रहने लगी, और उसको मेरे पे कुछ ज़्यादा शक हो, उससे अछा मैने थोड़े दिन अपनी इक्चा पर कंट्रोल करने का सोचा. कमाल ने भी मौका ढूँढ कर पिंकी की चुदाई कर ली.

जब मैं अपनी बेहन के घर से अपने ससुराल जेया रही थी, तब मैं बस स्टॅंड पर बस का वेट कर रही थी. उस दिन मैं अकेली थी. बहुत टाइम हो गया, पर बस नही आई. मैं परेशन हो गयी थी. जीतने भी लोग आते-जाते मुझे घूरते रहते थे. कुछ तो ऐसे देख रहे थे की यही मुझे छोड़ देंगे. मुझे अब ये सब अछा लगने लगा था. मैं मॅन ही मॅन खुश होती थी.

विशाल का लंड देखने के बाद ऐसे किसी बड़े और मोटे लंड से चूड़ने के सपने देखने लगी थी. कुछ आधे घंटे बाद एक कार आई और वो मेरे पास आ कर खड़ी हुई. मैने देखा तो उसमे सरपंच जी का बेटा विशाल था. मैं जिसके बारे में सोच रही थी, अचानक उसको सामने देख कर मेरी साँस थम गयी. मेरी धड़कने तेज़ हो गयी. उसके साथ में एक औरत बैठी हुई थी. उसकी उमर लगभग मेरे जितनी थी.

विशाल जब कार से बाहर आया, तो उसकी नज़र मेरे उपर गयी. पहले तो उसने मुझे आचे से घूरा. उसकी नज़र मेरे बूब्स पर अटक गयी (मैने सारी कस्स कर, और नाभि के नीचे से बँधी हुई थी, जिससे मेरे बूब्स और गांद का उभर सब को आचे से दिखे).

फिर वो मेरी और देख कर मुस्कुराया. मैं भी सारी का पल्लू ठीक करते हुए उसकी और देख कर शरमाने लगी. मेरी इस हरकत से विशाल के दिल और दिमाग़ में मेरे लिए वासना जाग गयी होगी. वो बार-बार मेरी और देख रहा था, और मैं भी उसकी और देख कर शर्मा रही थी. कुछ देर बाद बस आ गयी. वो बस मेरे गाओं नही जाने वाली थी, पर वो बस शहर में जेया रही थी. वाहा से मैने अपने गाओं की बस पकड़ने का सोचा.

मैं और वो औरत बस में चढ़ गये. जाते-जाते विशाल ने मेरी और देख कर आँख मारी, तो मैं तो शरम के मारे पानी-पानी हो गयी, और मैने अपना फेस घुमा दिया.

बस में ज़्यादा भीड़ नही थी, तो मेरे साथ जो औरत थी, वो मेरे साथ पीछे की साइड सीट पर बैठ गयी. उसने अपना नाम ज्योति बताया. ज्योति की बात करू तो उसने सारी पहनी थी, और वो थोड़ी मुझसे मोटी थी. उसका फिगर कुछ 38-34-40 था. उसके पेट के पास थोड़ी चर्बी जमा हो रखी थी, पर दिखती बड़ी सुंदर थी. उसने अपने बाल खुले रखे थे. बस में कंडक्टर हम दोनो को घूरे जेया रहा था.

ज्योति: कैसे हो आप?

संगीता ( स्माइल के साथ): मैं ठीक हू.

ज्योति: यहा के सरपंच मेरे बुआ के बेटे है. उनके साथ हमारा अछा रीलेशन है, तो मैं यहा आती रहती हू. तुम्हे कभी देखा नही यहा पर. तुम कहा से हो?

संगीता: मेरा गाओं दूसरा है. मैं यहा मेरी बेहन के घर आई थी (मैने उसको सारी बात बताई, हमारी थोड़ी देर बातें हुई).

ज्योति: एक बात काहु यार. तुम बहुत खूबसूरत हो. कितने साल हो गये शादी को, और अभी कोई बच्चा है की नही?

संगीता: मेरी शादी को तो 12 साल हो गये. मेरा बड़ा बेटा 10 साल का है, और छ्होटा बेटा 3 साल का. मेरी बेटी 8 साल की है.

ज्योति: क्या बात कर रही हो? मुझे लगा तेरी उमर 25-26 साल की होगी. मेरे तो 2 बच्चे है उसमे मेरा ये हाल हो गया. तुमने तो फिगर बड़े आचे से मेनटेन किया है. बुरा ना मानो तो तेरी उमर पूच सकती हू? मेरी तो 35 है. लगता है तेरा पति तेरे पर बहुत ध्यान देते होंगे. इतनी खूबसूरत बीवी है तो.

संगीता ( शरमाते हुए): अर्रे ऐसा कुछ नही है. उनको अपने काम से कहा फ़ुर्सत मिलती है, जो मुझ पर इतना ध्यान दे. घर के सारे काम खुद करने पड़ते है तो मेहनत करते है, तो शरीर कस्स जाता है. मेरी उमर भी तेरे जितनी है.

ज्योति ( मुझे चिढ़ते हुए): पति खुश नही रखता तो क्या करती हो? कोई अछा वाला ढूँढ कर…

संगीता: अर्रे तुम कैसी बात कर रही हो. मैं ऐसी नही हू. अपने पति से बहुत खुश हू.

ज्योति: चल झूठी. मुझे पता है तुम विशाल को देख कर क्या कर रही थी. वो तो अभी बच्चा है. असली मर्द चाहिए तो मुझे बोलना.

संगीता: विशाल अब बच्चा नही रहा. बहुत बड़ा है उसका (मेरे मूह से ग़लती से ये बात निकल गयी).

ज्योति ( मेरी कमर में हाथ डाल कर): मुझे पता था तुम जितनी दिख रही हो, उतनी भोली नही हो. विशाल के साथ कब मज़ा लूट लिया? बहुत तगड़ी चुदाई करता है ना? मैं भी 2-3 बार उसके साथ चुड चुकी हू.

संगीता: मैने उसको गाओं की एक लड़की की चुदाई करते देखा था (उसके बहुत बार पूछने पर मैने अपने और कमाल के बारे में बता दिया, और कमाल से कैसे चूड़ी वो भी बता दिया).

ज्योति: क्या बात है मेरी रानी, तुम तो बड़ी च्छूपी रुस्तम निकली (मैं बहुत शर्मा रही थी). अर्रे उसमे क्या बड़ी बात है? मैने तो बाप बेटे दोनो के लंड चखे हुए है. रिश्तेदारो में छुड़वाने का मज़ा ही कुछ और है. और वैसे भी, विशाल तो अभी बच्चा है. संग्राम भैया का लंड देख लॉगी तो चुडवाए बिना नही रह पावगी.

ज्योति: विशाल तो काला और मोटा है, लेकिन संग्राम भैया तो बहुत हॅंडसम दिखते है. 45 के है. लेकिन अभी भी यंग और फिट है. मैं तो यहा उनसे छुड़वाने चली आती हू. तुम तो इतनी खूबसूरत हो तो संग्राम भैया तो तुम्हे अपनी रानी बना कर रखेंगे.

ज्योति की बात सुन कर मेरी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया. अब मुझे भी सरपंच जी को देखने का मॅन करने लगा. एक ही मुलाकात में हम आचे दोस्त बन गये थे. हमने एक-दूसरे का नाम, पता, और टेलिफोन नंबर डेरी में लिखा. और ज्योति शहर में रहती थी, तो उसने मुझे कहा-

ज्योति: कभी टाइम निकाल कर शहर आना. मेरे घर पर रुकना.

मैने भी उसको ठीक कहा. ऐसे ही हमारी बातें होती रही, और शहर आ गया. ज्योति और मैं फिर अपने-अपने घर की और निकल पड़े. बहुत दीनो के बाद मैं अपने ससुराल गयी थी. पूरा माहौल बदल गया ऐसा लग रहा था. मेरी बेहन के घर मैने अपने भनजे से छुड़वा कर आ रही थी, और उसका लंड भी चूस लिया था.

प्रकाश के लंड की मूठ मारी, और विशाल का मोटा और काला लंड देख लिया था. और तो और सरपंच जी के बड़े लंड की बातें भी सुन कर आई थी. मेरे दिमाग़ में बार-बार ये सब बातें घूम रही थी.

रात को मुझे नींद नही आ रही थी. मेरी छूट लंड की प्यासी बन गयी थी. मेरे पति तो गहरी नींद में सो रहे थे. मेरे से रहा नही गया, तो मैने सारी उपर करके छूट में उंगली करना शुरू कर दिया. लेकिन अब मेरी छूट को उंगली शांत करे ऐसा होने वाला नही था.

मैने मेरे पति का लंड लूँगी के उपर से पकड़ लिया, और उसको सहलाने लगी. और साथ में उनकी छ्चाटी पर हाथ घूमने लगी. मेरी इस हरकत से उनका लंड टाइट होने लगा. वो अब भी नींद में थे. मैने लूँगी उपर की और अंडरवेर में हाथ डाल कर लंड बाहर निकाला. लाइट की हल्की रोशनी में उनका लंड देख कर मुझे कमाल के लंड की याद आने लगी. मुझे मेरे पति से कमाल का लंड अब अछा लगने लगा था.

मैने अब मेरा मूह उनके लंड के पास ले गयी और लंड चूसने लगी. मैं मेरे पति का पहली बार ऐसे लंड चूस रही थी. मेरे पति का लंड एक-दूं तंन कर खड़ा हो गया. मुझे इतना मज़ा आ रहा थी की मैं अपने आप को कोस रही थी की मैने अपने इतने साल बिना लंड चूज़ बर्बाद कर दिए. जब मेरे पति ( रमण) की नींद खुली, तो वो चौंक गये.

रमण: संगीता तुम ये क्या कर रही हो? आज से पहले कभी ऐसा नही किया, तुम्हे क्या हो गया है?

संगीता: क्यूँ, आप को मज़ा नही आ रहा की ( नॉटी अंदाज़ में)? मैं तो अपने पति देव के हथियार से खेल रही हू. कितने दीनो बाद मैं वापस आई हू. आपको तो मेरी कुछ फिकर ही नही है. मेरी छूट आपके इस लंड के लिए तड़प रही है. क्या आप मुझसे प्यार नही करते क्या? मेरे लिए इतना भी नही करोगे (ऐसा कहते हुए मैने पति के लंड को फिरसे मूह में ले लिया, और उनकी आँखों में देख कर चूसने लगी).

मेरे पति तो मेरी इस हरकत से पागल हो गये, और मेरा मूह उनके लंड पर दबाने लगे. मैं भी मस्ती में लंड चूसने लगी. थोड़ी देर लंड चूसने के बाद वो मेरे मूह में झाड़ गये. मैं भी उनका सारा माल गतक गयी. पहली बार मर्द का स्पर्म टेस्ट किया था. मुझे उसका नशा होने लगा. मैं अपने पति के बगल में जेया कर लेट गयी, और उनकी च्चती पर हाथ घुमा लने लगी, और उनके होंठो को पागल की तरह चूमने लगी.

रमण: संगीता आज तो तूने कमाल कर दिया. आज क्या हो गया है? मुझे तो इतना मज़ा कभी नही दिया?

संगीता: मैं आप से बहुत प्यार करती हू ना. कितने दीनो से आप से डोर थी. मुझे तो आपकी याद सता रही थी. रोज़ आप मेरे सपने में आते थे. मेरी छूट आपके लंड को पाने के लिए तड़प रही है ( सच तो ये था की मुझे अब बड़ा लंड लेनी की इक्चा हो रही थी).

आपको नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी कैसे मेरे पति ने मेरी तबाद-तोड़ चुदाई की, और पहली बार मेरी गांद मारी. आपको स्टोरी अची लगे तो प्लीज़ कॉमेंट करे और अपने दोस्तों से शेर करे. आपका फीडबॅक मुझे मूडछंगेरबोय@गमाल.कॉम पर मैल करे.

यह कहानी भी पड़े  साली से जयपुर में मज़ा


error: Content is protected !!