हेलो दोस्तों, मेरा नाम आदर्श राज है. मैं उप का रहने वाला हू. ये कहानी मेरी मा की चुदाई की है. इसमे मेरी मा पापा से और मौसा जी से एक साथ चुड्ती है. तो चलिए शुरू करते है.
तो मेरी मा की आगे 45 साल है. उनका नाम रीना है. वो सावले रंग की है, पर साइज़ 40-36-40 है. दिखने में एक-दूं मस्त है. कोई भी देखता है तो एक बार लंड ज़रूर मसल लेता है. मेरी मा एक हाउसवाइफ है, और मेरे पापा एक फार्मर है. हम लोग एक मिड्ल-क्लास फॅमिली से है. मेरे घर में 5 लोग है, पापा आगे 45, मा 43, मैं 20, और मेरा छ्होटा भाई 13.
तो ये लगभग 6 महीने पहले की बात है. मा की 25त आनिवर्सयरी थी, तो उस दिन मेरे घर में पार्टी थी. मेरे एक मौसा पास में ही रहते है. उनसे हमारी फॅमिली का बहुत अछा बॉन्ड है. घर में कोई भी छ्होटी सी छ्होटी चीज़ के लिए वो आ जाते है, और मा भी उनके लिए बहुत करती है.
तो उस दिन पापा अपना काम जल्दी से ख़तम करके आ गये थे घर पर, और मा भी अपना घर का काम ख़तम करके नहाने जेया रही थी. मा उस टाइम निघट्य में थी. उनके बाल खुले हुए थे. काम करने की वजह से उनका शरीर पसीने से चमक रहा था. इतनी ज़्यादा हॉट थी की मेरा लंड खड़ा हो गया था. पापा भी मा को ताड़ रहे थे.
फिर मा बातरूम चली गयी नहाने के लिए, और मैं और पापा बाहर बैठ के टीवी देख रहे थे. तभी कोई दरवाज़ा खटखटता है. मैं जाके दरवाज़ा खोलता हू, तो सामने मौसा जी रहते है, वो थे.
मैं उनको देख के उनको पर्णाम करता हू, और उनको लेके अंदर आता हू. मौसा जी सोफे पे पापा के साथ बैठ के बातें करने लगते है. फिर मौसा जी मुझे बोलते है-
मौसा जी: बेटा रीना कहा है (वो मा को नाम लेके ही बुलाते है)?
मैं: वो मौसा जी मा नहाने गयी है.
मौसा जी (पापा की तरफ देख के बोले): लगता है मेरी साली को कुछ ज़्यादा ही जल्दी है.
पापा: हा वो तो कब से इंतेज़ार कर रही है आपका.
मैं कुछ समझ नही पाया उनकी बात को. इतनी देर में मा बातरूम से नहा के निकली, और सिर्फ़ टवल में थी. क्या मस्त माल लग रहो थी वो. हम सब उन्ही को देखने लगे. मा मौसा को देख के उनको वैसे ही परणाम करने आ गयी.
मा: कब आए जीजा जी? हम कब से आपका इंतेज़ार कर रहे थे.
मौसा जी: कोई बात नही. अब हम आ गये है. अब इंतेज़ार ख़तम हो गया.
मा: हम रेडी होके आते है.
मौसा जी: जाओ आचे से रेडी होना.
मा: आप रूको तो, आज देखो मैं कैसे रेडी होती हू.
उसके बाद मा बेडरूम में चली गयी और रेडी होने लगी. इधर मौसा जी पापा को बोले-
मौसा जी: आदर्श को कही बाहर भेजिए ना. हमसे कंट्रोल नही हो रहा है. एक रौंद होके आते है.
पापा बोले: अभी भेजते है.
मैं ये सब सुन लिया था. मुझे लग गया की कुछ तो गड़बड़ थी.
पापा: आदर्श बेटा, इधर आओ.
मैं: जी पापा.
पापा: जाओ और अपने दोस्त लोगों को रात की पार्टी में आने के लिए बोल देना.
मैं: ठीक है पापा.
मैं बोल के बाहर गया और नीचे के दरवाज़े से अंदर आ गया. फिर च्छूप के पापा और मौसा जी की बात सुनने लगा.
पापा: जल्दी जाइए नही तो आदर्श आ जाएगा.
मौसा जी: आप नही चलिएगा?
पापा: हम ध्यान रखेंगे की कही कोई आ ना जाए.
मौसा जी: ठीक है फिर हम आते है साली की गांद मार के.
उनकी बातें सुन के मुझे समझ नही आ रहा था की ये मेरी ही फॅमिली थी. ये क्या हो रहा था? पापा मा को मौसा जी से छुड़वाने भेज रहे थे. ये हो क्यूँ रहा था? मुझे कुछ समझ नही आ रहा था.
फिर मौसा जी मा के रूम में जाते है और पापा दरवाज़े के पास ही बैठ के फोन चलाने लगते है. मैं भी भाग के जाता हू, और मम्मी के रूम की खिड़की खोल के देखने लगता हू.
मा: क्या जीजा जी, आप से रहा नही गया?
मौसा जी: तू चीज़ ही ऐसी है की क्या बतौ. मेरे से रहा ही नही गया. अब जल्दी से मुझे खुश कर दे.
मा: आप को कभी माना किए है? कर लीजिए जो करना है.
ये बोल के मा टवल खोल के पूरी नंगी हो गयी. मैं बता नही सकता हू मा क्या लग रही थी. उनको देख के मेरे मूह में पानी आ गया. मौसा जी आयेज बढ़ के मा को पकड़ के किस करने लगे. मा ने भी धीरे-धीरे अपने होंठ खोले, और मौसा जी ने मा के होंठो की पूरी लाली चूस ली.
फिर मौसा जी ने पहले अपनी जीभ मा के मूह में डाली, और अपनी जीभ से मा के पुर मूह का रस्स-पॅयन कर लिया. फिर वो मा की जीभ को अपने मूह में लेके चूसने लगे. चुंबन और चुसाई इतनी गहरी थी, की मा की साँस उखाड़ने लगी.
मा ने एक-दूं से अपने होंठ मौसा जी की गिरफ़्त से अलग किए और देखा, की मा के होंठ सूज गये थे, एक-दूं लाल सेब की तरह. फिर मौसा जी नीचे बैठ के मा की छूट को सूंघने लगे.
मा: इस्शह… जीजा जी.
मौसा जी: रीना तेरी छूट में एक अलग खुश्बू है.
ये सुन कर मा शर्मा गयी. मौसा जी अब छूट चाटने लगे, और 15 मिनिट में मा चरम-सीमा पर आ गयी.
मा: हाए राम, मेरे प्रभु, ओह जीजा जी, क्या करते हो? प्लीज़ छोड़ो मुझे. अब और तड़पाव मत.
मौसा जी छूट को और ज़ोर से पकड़ कर चूसने लगे.
मा: उफफफफफ्फ़ जीजू, मैं झड़ने वाली हू. उईईइ मा, आआआः.
मा की छूट का रस्स मौसा जी पूरा पी गये. फिर मा को एक छ्होटा सा किस दिया, और फिर उन्होने मा से पूछा-
मौसा जी: देख रीना, तेरी छूट का पानी कितना मीठा है. मेरे होंठो से चख कर देख.
मा: ची जीजू, ये गंदा है बहुत.
मौसा जी ने फिर ज़ोर से मम्मी का मूह पकड़ा और उसमे थूक दिया और कहा-
मौसा जी: इस थूक में तेरा ही रस्स है.
पहले मम्मी ने तोड़ा मूह दबाया और फिर कहा-
मा: हा मीठा तो है.
फिर मौसा जी मा को बेड पे लिटा के छूट पे लंड रगड़ने लगे, और थोड़ी देर में एक-दूं से छूट में पूरा लंड डाल दिए. मा ज़ोर का झटका से नही पाई.
मा: अयाया… जीजा जी निकालो इसको प्लीज़.
फिर मा एक-दूं से झटपताई, पर मौसा जी ने उन्हे कस्स के पकड़ा हुआ था. मम्मी चीखने लगी, और उनके आँसू निकल गये. मा ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी, पर मौसा जी अब स्पीड बढ़ाने लगे. मौसा जी अब ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे. क्या सीन था, बूब्स हवा में झूल रहे थे, और बाल मौसा जी पकड़ कर खीच रहे थे.
मौसा जी ज़ोर-ज़ोर से और तेज़-तेज़ धक्के लगा रहा थे. उनके काले बड़े-बड़े अंडकोष मम्मी के छूतदों से टकरा रहे थे. मम्मी के आँसू निकालने अब बंद हो गये थे, और अब उन्हे भी मज़ा आ रहा था. मम्मी सिसकारियाँ ले रही थी. वो बिल्कुल एक रांड़ लग रही थी, जिसको एक काला तगड़ा आदमी छोड़ रहा था.
धक्कों की रफ़्तार तेज़ हो रही थी, और मा का बदन काँप रहा था. तभी मौसा जी ने मा को एक-दूं से पलट दिया, और एक-दूं से लंड उनकी छूट में डाल दिया.
मा: अया आउच ऊ उूउइ. क्या करते हो दिवाकेर जी, मार ही डालोगे क्या?
मौसा जी मा के मूह से पहली बार जीजा जी की जगह अपना नाम सुन कर खुश हो गये, और उनके अंदर एक जानवर समा गया. अब वो और ज़ोर-ज़ोर से सांड़ की तरह मा को छोड़ रहे थे.
मा: अया दिवाकेर जी, मैं झड़ने वाली हू. हाए राम अया.
मौसा जी: मैं भी रीना.
देखते ही देखते मौसा जी और मा दोनो एक साथ झाड़ गये, और मौसा जी ने अपना गाढ़ा वीरया मा की छूट में उधेल दिया. उसके बाद दोनो 15 मिनिट तक हानफते रहे.
फिर मैने देखा, की मा की छूट में से गाढ़ा वीरया तपाक रहा था. मौसा जी उठे और ये नज़ारा देख कर हासणे लगे. मा उदास लग रही थी, क्यूंकी मौसा जी उनके अंदर ही झाड़ गये थे.
मौसा जी समझ गये, और उन्होने मम्मी की छूट में उंगली डाली, और उंगली भर कर वीरया बाहर निकाला. फिर उससे उनकी माँग भर दी. मा एक-दूं शॉक रह गयी. मा की माँग में मौसा जी का गाढ़ा वीरया मिल गया.
मौसा जी: आज से तू मेरी रांड़ पत्नी है.
मा मौसा जी से लिपट गयी, और मौसा जी के पैर छूने लगी.
मा: आज से मेरे जिस्म पर आपका पहला हक है. आप ही मेरे स्वामी हो.
फिर मौसा बोले: अब रेडी होके जल्दी आओ. बाकी तेरी गांद का उद्घाटन मीं और तेरा पति मिल के करेंगे. उसके बाद मौसा बाहर आने लगे. मैं भी भाग के घर से बाहर चला गया.
अब आयेज रात में कैसे पापा और मौसा जी मा की एक साथ गांद मारते है, वो अगले पार्ट में. थॅंक योउ.