अंकिता: अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह साहब हमारी चूत को आज तक किसी ने नहीं चाटा., अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्ह वाःह्ह्ह अह्ह्ह्ह!
मैं अब एक ऊँगली उसके बुर के छेद में डाली और हिलाई तो उसकी चूत से चिकना पानी का झरना बह निकला जैसे. फिंगर से एक मिनिट उसे चोदने के बाद मैं खड़ा हुआ और उसे लंड चूसने के लिए कहा. अंकिता ने बिना किसी टेंशन के लंड को आधा मुहं में डाला और चूसने लगी. मेरे लंड में अजीब सी ठंडक आ गई थी उसके चूसने से.
नोकरानी ने अब चूसने के साथ लंड को हिलाना भी चालु किया. मैं जानता था की अब मैं जल्दी ही खाली हो जाऊँगा और मैं उतनी जल्दी वीर्य नहीं निकालना चाहता था. इसलिए मैंने अंकिता के मुहं से लंड निकाला और उसे वही दिवार पकड़ा के खड़ा कर दिया. मैंने अपने लंड के ऊपर साबुन लगाया और अंकिता की चूत के ऊपर भी उसका झाग बना दिया.
उसने अपने हाथ से मेरे लंड को सही जगह पर सेट कर दिया. मैंने उसके कंधे को पकड़ के एक झटका मारा. साबुन की चिकनाहट की वजह से लंड बिना किसी रोकटोक के अन्दर घुस गया. अंकिता ने आह्ह कर दिया और वो भी अपनी सेक्सी गांड को हिलाने लगी. मैंने उसे कमर से पकड़ा हुआ था. और मैं मजे से धक्के दे दे के उसकी चूत को चोदने लगा था. वो भी अपनी कमर को आगे पीछे कर के लंड का पूरा मजा ले रही थी.
पांच मिनट धक्के देने के बाद मेरे लंड का सब पानी अंकिता की चूत में ही निकल पड़ा. वो बहुत खुश थी आज मेरा बड़ा लंड ले के. मैंने अपनी नोकरानी से ही चटवा के लंड साफ़ करवाया. वो बोली, साबुन की वजह से कड़वा लगता हे.
मैंने कहा अभी चाट लो जान फिर मैं तुम्हे शहद लगा के चटवाऊंगा तो मीठा लगेगा.
फिर अंकिता को मैं अपनी बाहों में उठा के कमरे में आ गया. आज का दिन मैंने अपनी इस नोकरानी के नाम कर दिया था. आज सब काम छोड़ के पूरा दिन उसे ही चोदने का मन हो रहा था!