शादी-शुदा औरत और 11 आदमियों के गंगबांग की कहानी

आफताब ने सब को इशारा किया, और सब ने अपने कपड़े उतार दिए. सब के लंड बहुत लंबे 8″ से ज़्यादा, काले, और मोटे थे, जैसा मुझे चाहिए था. और बहुत गंदे थे सब के लंड. सब के लुंडो पर सफेद कलर की गंदगी लगी हुई थी बहुत ज़्यादा. थोड़ी देर बाद पुर कमरे में लंड की स्मेल हो गयी, जो की मेरी सबसे पहली कमज़ोरी थी.

सब फिर अपना लंड लेकर मेरे मूह के पास आ गये. लेकिन मैं आफताब से स्टार्ट करना चाहती थी. क्यूंकी मैं आफताब को पसंद करने लगी थी. उसका लंड भी बहुत गंदा हो रखा था, जिसको मैने चूस-चूस कर सॉफ कर दिया.

फिर बारी-बारी से मैने सब का लंड चूस-चूस कर, और चाट-चाट कर सॉफ किया, और एक-एक बार लंड का जूस पिया. 11 आदमियों का लंड चूस्टे-चूस्टे मुझे पसीना आ गया था. मैं पूरी गीली हो चुकी थी, और मेरे बाल खुल गये थे.

लेकिन जब सेक्स करने की बारी आई, तो पता नही क्यूँ ओं लोगों ने मुझे नंगा नही किया. उन लोगों ने मेरी टाइट लेगिंग में च्छेद कर दिया था, जहा मेरी गांद थी और छूट थी. बस वाहा च्छेद करके उन लोगों ने बोला-

वो लोग: रंडी तुझे हम ऐसे ही छोड़ेंगे. तुझे पूरा पसीने में भिगो देंगे.

मुझे वाहा पर किसी भी आदमी का नाम नही पता था आफताब को छ्चोढ़ कर. अंदर ही अंदर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, की मैं अब रंडी बन चुकी थी. मेरा पति घर में सोच रहा होगा की मैं अपनी मम्मी की सेवा कर रही होंगी. लेकिन उसे क्या पता था की मैं यहा 11 आदमियों को सेवा दे रही थी.

फिर एक आदमी ज़मीन पर लेट गया. उसने मुझे अपने लंड पर बिता लिया. फिर मेरी गांद में एक आदमी ने लंड घुसा दिया. मुझे बहुत दर्द हुआ, और मैं ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी. वो सब मेरे मज़े लेते रहे. बाकी सब मेरे मूह के पास खड़े हो गये, और मैं उन सब का लंड चूसने लगी

उन सब के लंड बहुत बड़े-बड़े थे, और मुझे दर्द भी हो रहा था. मैं चूड़ते-चूड़ते कब पूरी पसीने में भीग गयी, मुझे पता ही नही चला. सब लोग मुझे गालियाँ दे रहे थे, “आज इस रंडी को छोड़-छोड़ मार देंगे”. और मेरी बहुत ज़ोर-ज़ोर से और तेज़-तेज़ चुदाई करने लगे.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और बहुत दर्द भी हो रहा था. मैं बहुत चिल्लाई भी, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. यही तो चाहती थी मैं हमेशा से.

मैं चिल्लती हुई उन सब को बोल रही थी, की मेरी चुदाई नों-स्टॉप चलनी चाहिए. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर जैसे ही मेरे नीचे जो आदमी था, और जो आदमी मेरी गांद मार रहा था, उनके लंड का जूस निकालने वाला हुआ. तो वो जल्दी से लंड निकाल कर मेरे मूह के पास आ गये. मैने उनके लंड का जूस पिया, जिसे देख कर वो बोलने लगे की, “ऐसी रंडी तो हमने फर्स्ट टाइम देखी है”.

फिर दोबारा एक आदमी नीचे लेट गया, और मैं उसके लंड पर बैठ गयी. एक आदमी ने मेरी गांद में लंड डाला, और बाकी सब मेरे मूह में लंड डाल रहे थे. मैं बहुत ज़्यादा चिल्ला रही थी, क्यूंकी सब के लंड बहुत बड़े थे, और मज़ा आने वाला दर्द भी बहुत हो रहा था.

सब ने बारी-बारी से पहले मेरी छूट मारी, फिर गांद मारी, और अपने लंड का जूस मुझे पिलाया. अंजान मर्दों के साथ जिनका मुझे नाम भी नही पता था. मैं पहली बार मिल रही थी. उनकी रंडी बन कर चूड़ने में, और उनके लंड का जूस पीने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

मेरी छूट और गांद तो वो लोग एक साथ मार रहे थे, और मुझे गंदी-गंदी गालियाँ भी दे रहे थे. मुझसे एक-दूं रंडी जैसा बिहेव कर रहे थे, जो की मुझे बहुत अछा लग रहा था.

10×10 का छ्होटा सा कमरा, जिसमे खिड़की भी नही थी, और बहुत गर्मी थी. उस कमरे में मेरी चुदाई हो रही थी. थोड़ी देर बाद उस पुर कमरे में मेरी चुदाई की स्मेल हो गयी थी. उनके लंड के जूस की स्मेल हो गयी थी.

लगभग सब ने मुझे 4 बार छोड़ लिया था. रात 9 बजे से मुझे छोड़ रहे थे, और सुबा के 1 बाज चुके थे. तब जेया कर उन लोगों ने मुझे छ्चोढा. सेक्स करने के बाद हम सब बहुत ज़्यादा तक चुके थे, और नींद भी बहुत तेज़ आ रही थी.

लेकिन उन लोगों ने मुझे इतना छोड़ा था की मैं ठीक से चल भी नही पा रही थी. मेरी गांद में बहुत दर्द हो रहा था मुझे. मैं पूरी गीली हो रही थी पसीने में. उन लोगों ने मेरे कपड़े नही उतारे थे, बस लेगैंग्स में च्छेद करके छोड़ा था.

मुझे फील हो रहा था की हर जगह से मैं गीली हो चुकी थी, और मेरे पुर कपड़ों पर लंड के जूस के निशान थे. मेरी हालत देख कर सब बोल रहे थे, की ऐसी रंडी कही नही देखी हमने, साली चूड़ने के बाद भी हॉट लग रही है.

आफताब ने मुझे बोला: तुम ट्रक में जेया कर आराम कर लो. फिर हम बात करते है.

लेकिन वाहा पर जो आदमी थे, उन लोगों ने बोला की ये कही नही जाएगी, बल्कि हमारे साथ सोएगी यही पर. मैं उनके साथ सोने के लिए मान गयी, और फिर आफताब और 10 मर्दों के साथ मैं उसी कमरे में सो गयी.

लेकिन वाहा किसी ने भी मुझे छोड़ने के बाद कपड़े नही पहने थे. फिर सोते टाइम किसी ने अपना लंड मेरी गांद में डाल रखा था, और किसी ने अपना लंड मेरे मूह के सामने रखा था. सब मर्द मेरे जिस्म के पास अपना लंड लेकर सो रहे थे. मैं पूरी गीली हो रही थी. मेरे कपड़े मेरे बदन से चिपक रहे थे, और उसमे सब मर्दों के साथ मैं चिपक कर सो रही थी.

कभी किसी का लंड मेरी गांद में जाता, तो कभी छूट में. सब मेरे पति बन चुके थे. पुर कमरे में चुदाई की स्मेल हो रखी थी, और उन सब के लुंडो में से भी स्मेल आ रही थी. पर उस टाइम मुझे बहुत तेज़ नींद आ रही थी, तो मैने इन सब बातों पर ज़्यादा ध्यान नही दिया और सो गयी.

अगले दिन जब मैं सो कर उठी, तो मैने देखा की बहुत सारे आदमी जेया चुके थे. आफताब भी निकालने की तैयारी कर रहा था. क्यूंकी हमे आगरा जाना था, और वाहा पर भी मेरी चुदाई होनी अभी बाकी थी.

अंजन मर्दों के साथ सेक्स करने, उनका लंड मूह में लेने, और उनके साथ सोने में जो सुकून मिला, मैं बहुत खुश थी, की मैने दूसरी बार गंगबांग किया. फिर उसके बाद मैने और आफताब ने खाना खाया, और हम दोनो आगरा के लिए आफताब के ट्रक में निकल गये.

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