बहन के साथ चूत चुदाई का मज़ा-1

अब ऐसा लग रहा था की दीदी बाथरूम में दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैँटी दिखा रही हैं। मैं झट से जाकर दीदी के नाइटगाऊन से चिपक गया और उनकी ब्रा को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा की मैं दीदी की चूची चूस रहा हूँ।

मैं अपने लंड को दीदी की पैँटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा की मैं दीदी को चोद रहा हूँ।

पहली बार दीदी के नाम की मुट्ठ मारी

मैं इतना गरम हो गया था की मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनटना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मैं झड़ गया। मेरे लंड ने पहली बार अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से दीदी की पैंटी और नाइटगाऊन भीग गया था।

मुझे पता नहीं की मेरे लंड ने कितना वीर्य निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो मेरे दीदी के नाम पर निकला था।

मेरा पहले पहले बार झड़ना इतना तेज था की मेरे पैर जवाब दे गए, मैं पैरों पर ख़ड़ा नहीं हो पा रहा था और मैं चुपचाप बाथरूम के फ़र्श पर बैठ गया। थोड़ी देर के बाद मुझे होश आया तो मैं उठ कर नहाने लगा।

शॉवर के नीचे नहा कर मुझे कुछ ताजगी महसूस हुई और मैं फ़्रेश हो गया। नहाने के बाद मैं दीवार से दीदी की नाइटगाऊन, ब्रा और पैंटी उतारा और उसमें से अपना वीर्य धोकर साफ़ किया और नीचे रख दिया।

उस दिन के बाद से मेरा यह मुठ मारने का तरीका मेरा सबसे पसंदीदा हो गया। हाँ, मुझे इस तरह से मुठ मारने का मौका सिर्फ इतवार को ही मिलता था, क्योंकी इतवार के दिन ही मैं दीदी के नहाने के बाद नहाता था।

यह कहानी भी पड़े  Sheela ki jawani Chut Chudai

इतवार के दिन चुपचाप अपने बिस्तर पर पड़ा देखा करता था की कब दीदी बाथरूम में घुसे और दीदी के बाथरूम में घुसते ही मैं उठ जाया करता था और जब दीदी बाथरूम से निकलती तो मैं बाथरूम में घुस जाया करता था।

मेरे माँ और पिताजी सुबह सुबह उठ जाया करते थे और जब मैं उठता था तो माँ रसोई में नाश्ता बनाती होतीं और पिताजी बाहर बालकनी में बैठ कर अखबार पढ़ते होतें या बाज़ार गए होतें कुछ ना कुछ समान ख़रीदने।

इतवार को छोड़ कर मैं जब भी मुठ मारता तो तब यही सोचता की मैं अपना लंड दीदी की रस भरी चूत में पेल रहा हूँ। शुरू शुरू में मैं यह सोचता था की दीदी जब नंगी होंगी तो कैसी दिखेंगी? फिर मैं यह सोचने लगा की दीदी की चूत चोदने में कैसा लगेगा।

मैं कभी कभी सपने में दीदी को नंगी करके चोदता था और जब मेरी आँखें खुलती तो मेरा शॉर्ट भीगा हुआ होता था।

मैंने कभी भी अपने सोच और अपने सपने के बारे में किसी को भी नहीं बताया था और न ही दीदी को भी इसके बारे में जानने दिया ।

मैं अपनी स्कूल की पढाई खत्म करके कालेज जाने लगा। कॉलेज में मेरी कुछ गर्लफ्रेंड भी हो गई। उन गर्लफ्रेंड में से मैंने दो चार के साथ सेक्स का भी मजा लिया।

मैं जब कोई गर्लफ्रेंड के साथ चुदाई करता तो मैं उसको अपने दीदी के साथ तुलना करता और मुझे कोई भी गर्लफ्रेंड दीदी के बराबर नहीं लगती!

यह कहानी भी पड़े  पापा ने मुझे घर में अकेला पाया तो कसके मुझे चोदा

मैं बार बार यह कोशिश करता था मेरा दिमाग दीदी पर से हट जाए, लेकिन मेरा दिमाग घूम फिर कर दीदी पर ही आ जाता। मैं हमेशा 24 घंटे दीदी के बारे में और उसको चोदने के बारे में ही सोचता रहता।

Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8 9



error: Content is protected !!