आज पूरे बारह साल बाद बंगलोर स्टेशन आना हुआ. यही पढाई पूरी करके दिल्ली गया था. कितना कुछ बदल गया है यहाँ. टाक्सी लेकर फ्लैट में आया. कामवाली बाई काम कर रही थी. साली कांता लग रही थी. थोड़ी सावली है पर चलेगी. उसकी चाल में एक मस्ती है, और यही मस्ती राजलक्ष्मी की याद …
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