मेरी चाची बड़ी निकम्मी–2

गतान्क से आगे………….. मेरी चाची बड़ी निकम्मी–1

फूफा: “तो क्या..कह देते हल्दी लगा रहे थे”

चाची: “हमे नही लगवानी आपसे हल्दी…हमारी तो जान ही निकल दी आपने”

फूफा: “तुम्हारा इतने मे ही दम निकल गया…अगर थोड़ी देर और पकड़ के रखता तो?”

चाची: “हम तो बेहोश ही हो जाते”

फूफा: “अर्रे पकड़ने से भी कोई बेहोश होता है, उसके लिए तो हमे और भी कुछ करना पड़ता”

चाची: “छी कितनी गंदी बाते करते है आप..बड़े बेशरम हो”

इतना बोलते हुए चाची भी कमरे बाहर निकल आई पर नज़र फूफा पर ही थी फूफा भी मुस्कुराते हुए चाची को ही देख रहे थे, मे समझ नही पा रहा था कि चाची को ये सब अच्छा लग है या चाची बड़ी भोली है. थी. हल्दी से फूफा का चेहरा पहचान मे नही आ रहा था, हम सब बच्चे वान्हा मज़े कर रहे थे और बाकी लोगो को हल्दी लगाने मे हेल्प कर रहे थे बड़ा मज़ा आ रहा था, धीरे धीरे शाम होने आई और सब लोग शांत होने लगे और अपना अपना चेहरा धोने लगे, फूफा नल के पास खड़े थे और साबुन (सोप) माँग रहे थे, तभी मैने चाची से कहा फूफा साबुन माँग रहे है, चाची साबुन ले कर नल के पास पहुँची फूफा को देख कर हस्ने लगी.

चाची: “दूल्हे से ज़्यादा हल्दी तो आप को ही लगी है राजेसजी”

फूफा: “लगाने वाली भी तो तुम ही हो”

चाची: “तो क्या कमल से लगवाना था”

फूफा: “कमल एक बार लगा भी देती तो क्या फरक पड़ता, हम तो कमल को रोज लगाते है”

चाची: “हाए..राजेसजी ये क्या कह रहे है आप”

फूफा: “अर्रे मे तो हल्दी की बात कर रहा हूँ तुमने क्या समझ लिया”

चाची: “जी..कुछ नही..अप बड़े वो है”

और चाची वान्हा से शर्मा के भागने लगी, फूफा ने चाची का हाथ पकड़ लिया रोका और कहा “अर्रे जा कहाँ रही हो, ज़रा इस हल्दी को तो साफ करने मे मदद कर दो, थोड़ा पानी दो ताकि मे अपना चेहरा धोलु” चाची नल से एक लोटे मे पानी लेकर उन्हे हाथ पर पानी डाल रही थी और फूफा चेहरा धो रहे थे, पानी डालते समय चाची नीचे झुकी हुई थी और उनका पल्लू नीचे हो गया था जिसे उनकी गोरी गोरी चूंची (बूब्स क्लीवेज) दिख रही थी, झुकने कारण बूब्स और भी बड़े दिख रहे थे, फूफा भी झुक कर अपना चेहरा धो रहे थे और उनकी नज़र बार बार चाची के चूंची पर जा रही था, फिर चाची को एहसास हुआ कि उनकी चूंची ब्लाउस से बार आ रही है तो उन्होने तुरंत पल्लू से ढक लिया, इस दरमियाँ फूफा और चाची की नज़र एक दूसरे मिल गयी फूफा मुस्कुरा रहे थे, चाची तो शरम से पानी पानी हो रही और चाची ने एक टवल फूफा को दिया, पर फूफा ने जान बूझ कर टवल लेते समय गिरा दिया चाची फाटसे लेने के लिए नीचे झुकी और उनकी चूंचिया का दर्शन फिर से फूफा को हुआ. चाची शरमाते हुए बोली “राजेसजी आप भी ना. बहुत परेशन करते है” फूफा बोले “ठीक है अगली बार परेशन करने से पहले पूछ लूँगा… कि आप को करूँ या नही?”

फूफा दुबले मीनिंग मे बात कर रहे थे, जो चाची सब समझ रही थी.

चाची: “हमे परेशान करने के लिए पहले से कोई है”

फूफा: “कॉन है..जो आपको परेशान करता हमे बताओ उसकी खबर लेते है”

चाची: “आए बड़े खबर लेने वाले, साल मे एक बार तो चेहरा दिखाते है, आप देल्ही अपने भाई के ससुराल आए थे, हफ्ते भर वान्हा रहे पर एक बार भी हमारे घर नही आए”

फूफा: “अर्रे वो..मे घूमने नही आया था छोटे भाई के ससुर हॉस्पितल मे अड्मिट थे इस लिए उन्हे देखने गया था”

चाची: “तो क्या एक दिन भी आपको समय नही मिला”

फूफा: “अर्रे नाराज़ क्यूँ होती हो, इस बार आउन्गा मे और हफ्ते भर रहूँगा देखता हू कितनी खातिरदारी होती है”

चाची: “वो तो आने पर हो पता चलेगा”

तभी मा ने उपर से आवाज़ दी, चाची फिर उपर सीढ़ियों से जाने लगी फूफा वन्हि खड़े उनके मोटे चूतर और कमर को हिलता हुआ देख रहे थे, मे वन्हि खड़ा ये सब देख रहा था.फिर फूफा दालान मे चले गये. इस के बाद भी कई बार फूफा को चाची से मज़ाक करते देखा पर मुझे ये सब नॉर्मल लगा.

पर एक दिन मे उनका ये मज़ाक समझ नही पाया, मे बुआ के कमरे था फूफा भी टेबल पर बैठ कर कुछ लिख रहे थे, मे उनसे काफ़ी दूरी पर था और खिड़की से नीचे दालान की तरफ देख रहा था, तभी चाची वान्हा आई शायद उन्हे कुछ लेना था, अंदर आते ही उनकी नज़र फूफा पर पड़ी उन्होने एक शरारती मुस्कान देते हुए फूफा के पास से गुज़री फूफा भी मुस्कुराते हुए देख रहे थे, चाची नीचे झुक कर एक बोरे से चने की दाल निकाल रही थी, झुकने से उनके चूतर काफ़ी कामुक लग रहे थे और चूतर की दरार (आस क्रॅक) दिख रही थी. फूफा की तो नज़र ही नही हट रही थी उनके चूतर से, चाचीने भी एक दो बार घूम कर फूफा को देखा, फूफा ने पूछा “क्या निकाल रही हो?”

चाची: “दाल..”

फूफा:”क्या दाल?”

चाची” “अर्रे.. चने की दाल”

फूफा: “अछा दाल..मे तो कुछ और ही समझ रहा था”

चाची: “आप तो हमेशा, कुछ और ही समझ लेते है” इतना बोलते हुए वहाँ से गुज़री तब तक फूफा ने उनकी कमर पर चींटी ले लेली और उनका हाथ पकड़ लिया.

चाची: “हाए राजेसजी..आप तो बड़े बेशरम हो..”

फूफा: “बेशरम बोलही दिया है तो बेशरम भी बन जाते है”

चाची: “राजेसजी.. मेरा हाथ छोड़िएना, कोई देख लेगा तो क्या कहेगा”

फूफा: “किसीकि मज़ाल जो हमे कुछ कहदे”

चाची: “छोड़िएना….”

फूफा: “एक शर्त पर..मैने बहुत दिनो से मालिश नही करवाया है, तुम्हे मेरी मालिश करनी होगी…और वैसे भी हमारी बीवी के पास वक़्त नही है”

चाची: “तो क्या आपने हमे बेकार समझ रखा है”

फूफा: “अर्रे नही आप तो बड़े काम की चीज़ है..पर प्लीज़ ज़रा मेरी मालिश करदो”

चाची: “अभी?..यहाँ?…नही नही रात को कर दूँगी”

फूफा: “अर्रे आपको को रात को कहाँ फ़ुर्सत मिलेगी…प्रकासजी छोड़ेगा ही नही”

चाची: “अर्रे ऐसी कोई बात नही..वैसे भी आज कल वो शादी के काम मे बहुत बिज़ी है”

फूफा: “अछा तो साले को टाइम नही है.. इतना बड़ा काम छोड़ कर बेकार के काम करता है”

चाची: “राजेसजी छोड़ दीजिए ना..देर हो रही है दीदी इंतज़ार कर रही होगी..मैने आपकी रात को ज़रूर मालिश कर्दुन्गि”

फूफा: “ठीक है छोड़ देता हूँ…पर रात को हम आपको इंतज़ार करेंगे”

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चाची: “जी ज़रूर आउन्गि”

ये बोल कर चाची वान्हा से चली गयी पर मे सोच रहा था, चाचीने कभी चाचा की मालिश नही की और फूफा की मालिश के लिए हां बोल दिया, पता नही मेरे अंदर एक अजीब सी कुलबुलाहट हो रही मैने सोचा क्यूँ न आज फूफा पे नज़र रखी जाए.

गाओं मे लोग रात को जल्दी ही सो जाते है, रात के 8 बजे होंगे सब लोगोने खाना खा लिया था और सोने की तैयारी कर रहे थे. मैने देखा फूफा छत पर सोने जा रहे थे, छत पर सिर्फ़ छोटे बच्चे ही सोते थे, औरते घर मे और ज़्यादा तर मर्द लोग दालान मे ही सोते थे. फूफा ने टेरेस के एक कोने की तरफ अपना बिस्तर लगा दिया था, पर उन्हे नीद नही आ रही थी उन्होने अपने जेब से सिगरेट का पॅकेट निकाला और पीने लगे, मे और चाची का बड़ा बेटा विकाश उनके पास के बिस्तर पर ही सो रहे थे, फिर फूफा ने अपनी कमीज़ और पॅंट निकाली और लूँगी पहन ली. तकरीबन 1घंटे. के बाद मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी मैने तुरंत अपनी आँखे बंद करली और महसूस किया कि कोई हमारे पास खड़ा है, टेरेस पर लाइट नही थी पूरा अंधेरा था मैने धीरे से अपनी आँख खोली देखा चाची हमारे उपर चादर डाल रही थी, फिर चाची हमारे पास बैठ गयी और देखने लगी की हम सोए है की नही फिर कुछ देर मे वो उठी और फूफा के बिस्तर पास जा रही थी, चाची के हाथ मे एक तैल की सीसी थी, चाची फूफा के बिस्तर पर बैठ गयी और उन्हे जगाया.

फूफा: “अर्रे तुम आगाई..”

चाची: “हमे बुला कर खुद घोड़े बेच कर सो रहे हैं”

फूफा: “अर्रे नही मे तो आप का इंतज़ार कर रहा था..मुझे लगा आप नही आएँगी”

चाची: “कैसे नही आती..पहली बार तो आपने हम से कुछ माँगा है”

फूफा: “तो फिर सुरू हो जाओ”

फूफा उल्टा लेट गये और चाचीने सीसी से टेल निकाल कर अपने हाथों पर लिया और फूफा के पीठ (बॅक) पर लगाने लगी, फूफा ने कहा “कोमल्जी आपके हाथ बड़े मुलायम है”

चाची: “वैसे भी औरतों के हाथ मर्दो को मुलायम ही लगते है”

फूफा: “पर आप के हाथ की बात ही कुछ निराली है..आपके हाथो मे तो जादू है..प्रकाश बड़ा नसीब्वाला है”

चाची: “अब ज़्यादा तारीफ करने की कोई ज़रूरत नही”

फूफा: “ठीक है नही करता..लेकिन क्या रात भर आप मेरे पीठ की ही मालिश करोगी”

चाची: “तो घूम जाइए ना”

फूफा घूम गये और चाची उनके सीने और हाथ पर मालिश करने लगी, फूफा लगातार चाची को घूर रहे थे, चाची उन्हे देख कर शरमा गयी और चेहरा नीचे करके मालिश करने लगी. चाची के कोमल हाथ फूफा के पूरे सीने पर फिर रहे थे, फूफा भी थोड़े गरम हो गये थे उनका लंड काफ़ी तन गया था और लुगी भी थोड़ी सरक गयी थी, लंड का उभार शायद चाची ने भी देखा था पर वो चुप चाप फूफा की मालिश कर रही थी, तभी फूफा ने कहा “कोमल्जी ज़रा पैरो की भी मालिश कर दो” चाची बिना कुछ बोले उनके पैरों की मालिश करने लगी, कुछ देर बाद फूफा बोले “कोमल्जी जर उपर जाँघ (थाइस) की तरफ भी तैल लगा दो” चाची एक दम सहम गयी, थाइस पर कैसे हाथ रखती उनका अंडरवेयीर तो तना हुआ था पर चाची हिम्मत कर करके उनके थाइस पर मालिश करने लगी शायद चाची पहली बार की गैर मर्द के थाइस को छू रही, फूफा का लंड तो कपड़े फाड़ कर बाहर आने को तैयार था. थाइस पर मालिश करते समय चाची हाथ एक दो बार उनके अंडरवेर को छू गया था, जिससे फूफा और भी गरम हो गये थे. शायद चाची भी फूफा के पैर के घने बालो (हेर) का मज़ा ले रही थी, कुछ देर बाद फूफा ने चाची के थिग्स पर हाथ रख कर कहा “कोमल्जी ज़रा ज़ोर्से दबाइएना बड़ा अछा लग रहा है” चाची फूफा के हाथ को अपनी थाइस पर महसूस कर थी, चाची भी शायद कुछ हद तक गरम हो रही थी शायद शादी के दौरान उनका संभोग (सेक्स) चाचा से नही हुआ हो. फूफा फिर अपना हाथ उनके थाइस से हटा कर चाची की कमर पर प्यार से फिराने लगे, चाची बोली “गुदगुदी हो रही है”

फूफा: “आप तो अपने नाम से भी ज़्यादा कोमल है”

चाची: “कोमल तो हूँ, देखिए दोपहर मे जो आपने चींटी ली थी उसका निशान अभी भी है”

फूफा: “कहाँ..बताइए?”

चाची अपनी सारी को हटा कर कमर दिखाने लगी, फूफा को मौका ही चाहिए था, वो हाथ से उनकी कमर को सहलाने लगे और हाथ को थोडा पीछे करके सारी के अंदर हाथ डाल दिया, हाथ पूरी तरह अंदर नही गया था, पर वो चाची के चूतर को ज़रूर छू रहे थे.

क्रमशः………….

गतान्क से आगे…………..

चाची: “हाई राम.. ये क्या कर रहे है आप?”

फूफा: “देख रहा हूँ..हाथ की तरह आपके बाकी बदन भी काफ़ी कोमल है”

चाची: “हाथ निकालिए ना..कोई देख लेगा”

फूफा: “अर्रे इतनी रात को कॉन उपर आने वाला है”

चाची: “बच्चे देख लेंगे”

फूफा: “अर्रे वो तो गहरी नींद मे सो रहे है”

चाची: “नही प्लीज़ हाथ निकालिए..मुझे शरम आ रही है”

फूफा: “रात मे भी आपको शरम आ रही है”

चाची: “क्यूँ.. रात को क्या लोग बेशरम हो जाते है”

फूफा: “क्यूँ तुम प्रकाश के सामने भी इतना शरमाती हो”

चाची: “उनकी बात और है”

फूफा: “मे भी तो तुम्हारा नंदोई हूँ, मुझसे कैसी शरम”

चाची: “हाथ निकालिए ना.. मुझे बड़ा अजीब लग रहा है”

फूफा: “अजीब..क्या अजीब लग रहा है”

और ये बोलते हुए फूफा ने अपना हाथ और अंदर कर दिया अब वो चाची की चूतर को अछी तरह छू रहे थे. चाची ने फूफा का हाथ पकड़ा हुआ था और चेहरा नीचे झुकाए हुए थी, फूफा बड़े मज़े से चाची की चूतर को दबा रहे थे और उनकी आँखों मे देखने की कोशिस कर रहे थे.

चाची: “मुझे नही पता, अप हाथ निकालिए..तिलक के दिन भी आपने बहुत बदमाशी की थी”

बुआफ़: “तिलक के दिन?..मुझे तो कुछ याद नही की मैने कुछ बदमाशी की थी आपके साथ..आप ही बता दीजिए क्या किया था मैने”

चाची: “उस दिन आपने!!…….मुझे नही कहना”

फूफा: “आरे तुम बताओगि नही तो पता कैसे चलेगा की मैने क्या बदमाशी की थी”

चाची: “आप सब जानते है पर मेरे मूह से ही सुनना चाहते”

फूफा: “सच मे मुझे कुछ याद नही..तुम ही बताओ ना?

चाची: “उस दिन आपने….नही मुझे शरम आ रही है”

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फूफा: “तो मैं कैसे मान लू कि मैने कुछ किया था”

चाची: “आप उस दिन मेरे पीछे चिपक के क्यूँ खड़े थे?

फूफा: “एक तो हमने आपकी मदद की और आप है की मुझे बदनाम किए जा रही हैं”

चाची: “वो तो ठीक है पर मदद करने के बहाने आप कुछ और ही कर रहे थे”

फूफा: “फिर वही बात..तुम कुछ बताओगि नही तो मुझे कैसे पता चलेगा की मैने क्या किया था”

चाची: “उस दिन आप ने मेरी कमर क्यूँ पकड़ी थी”

फूफा: “अर्रे तुमने ही तो कहा था कि तुम ठीक से खड़ी नही हो पा रही हो, इसीलये मैने तुम्हारी कमर पकड़ी थी”

चाची: “लेकिन आप पीछे से मुझे….”

फूफा: “क्या पीछे से?”

चाची: “ठीक आपको तो शरम नही..मुझे ही बेशरम बनना पड़ेगा…अप उस दिन पीछे से मुझे अपने उस से रगड़ रहे थे”

फूफा: “किस से?”

चाची: “अपने लंड से और किस से”

फूफा: “इतनी सी बात बोलने के लिए इतना वक़्त लगाया”

चाची: “आपके लिए इतनी सी बात होगी…पता है मे कितना डर गयी थी, अगर उस दिन कोई देख लेता तो?

फूफा: “अर्रे उस भीड़ मे कॉन देखता”

चाची: “फिर भी..पता है राज वही खड़ा था”

फूफा: “अच्छा एक बात बताओ क्या तुम्हे वो सब ज़रा भी अच्छा नही लगा?”

चाची: “नही..मुझे अच्छा नही लगा..ये सब मेरे साथ पहली बार हुआ है”

फूफा: “शायद पहली बार था इसीलये तुम्हे अच्छा नही लगा वरना औरते तो ऐसे मौके की तलाश मे रहती है”

चाची: “अच्छा अब तो हाथ निकालिए”

फूफा: “कोमल जी तुम्हारी चूतर बड़ी प्यारी है”

चाची: “छी कैसी गंदी बाते कर रहे है आप”

फूफा: “गंदी बात..तो तुम्ही बता दो इसे क्या कहते है”

चाची: “मुझे नही पता”

फूफा “फिर तो मे हाथ नही निकालने वाला”

चाची: “राजेश कोई आ जाएगा”

फूफा: “अर्रे क्यूँ घबराती हो कोई नही आएगा”

चाची: “नही मुझे डर लग रहा है.. बच्चे देख लेंगे”

फूफा: “एक शरत पर तुम्हे मेरे थाइस पर मालिश करनी होगी”

चाची: “ठीक है कर देती हूँ”

फूफा ने फिर लुगी के अंदर हाथ डाल कर अपना अंडरवेर निकाल दिया, चाची की तो आँखे बड़ी हो गई, उन्हे कुछ समझ नही आ रहा था वो तुरंत बोली “अर्रे ये क्या कर रहे है आप”

फूफा: “कुछ नही..इसे निकालने से थोड़ा आराम हो जाएगा”

चाची: “तो मे मालिश कैसे करूँगी?”

फूफा: “क्यूँ तुम मेरे अंडरवेर की मालिश करने वाली हो”

चाची: “पर…!!!”

फूफा: “कुछ नही तुम मालिश सुरू करो”

चाची तो बुरी तरह से फँस गयी थी पर करती भी क्या और फिर चुप चाप जाँघो की मालिश करने लगी पर नज़र तो उनके खड़े लंड पर थी शायद चाची को भी इतने मोटे लंड को देखने मे मज़ा आ रहा था. मे समझ गया था आज कुछ ना कुछ तो होने वाला है. फूफा ने अपने पैरो को फैलाया जिस से उनकी लूँगी पैरो से हट कर नीचे आ गयी और खड़ा लंड साफ दिखने लगा. चाची ने अपना मूह घुमा लिया पर फूफा कहाँ रुकने वाले थे चाची की जाँघो पर हाथ फिराने लगे. चाची भी अब अपने रंग मे आ गयी थी वो बेझिझक फूफा के लंड को देख रही थी और मुस्कुरा रही थी.

फूफा: “क्या हुआ?.. हंस क्यूँ रही हो”

चाची: “हंसु नही तो क्या करूँ…बेशार्मो की तरह नंगे लेटे हैं”

फूफा: “तो तुम भी लेट जाओ ना!!”

इतना कहते ही फूफा ने चाची के हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और चाची उनके सीने पर गिर गयी और फूफा ने उन्हे अपनी बाँहों मे जाकड़ लिया. चाची को तो जैसे साँप सूंघ गया था, वो तो आराम से फूफा के सीने पर लेटी हुई थी और फूफा चाची के चूतर दबा रहे थे और उनको किस करने की कोशिस कर रहे थे, चाची अपना सर यहाँ वहाँ घुमा रही थी पर फूफा ने चाची को और नज़दीक किया, अब तो चाची ने भी अपने हथियार डाल दिए और फूफा बड़े मज़े से उनके लिप्स को किस करने लगे और धीरे धीरे सारी को उपर करने लगे और फिर काफ़ी उपर कर दिया और अपने दोनो हाथों से चूतर को दबाने लगे, चाची ने अंदर पॅंटी नही पहनी थी उनके गोरे गोरे चूतर मुझे भी साफ दिख रहे थे. चाची भी बड़े मज़े से अपने चूतर दबवा रही थी और फिर फूफा ने चाची को अपने उपर लिटा दिया अब चाची भी बिना बोले फूफा का हर हूकम मान रही थी. फूफा चाची की ब्लाउस को खोलने लगे पर चाची ने उनका हाथ पकड़ लिया और बोली “थोड़ा सबर करो..मे ज़रा देख कर आती हूँ सब सो गये है या नही”. फिर उठी और सीढ़ियो (स्टेर केस) के पास गयी और नीचे देखने लगी फिर वहाँसे वो हुमारे बिस्तर पर आई, मुझे और विकी को सोता देख कर वो वापस फूफा के बिस्तर पर पास गयी और उनके लेफ्ट साइड मे लेट गयी, फिर क्या था फूफा ने अपना काम सुरू किया और ब्लाउज खोलने लगे पर चाची ने ब्लाउज खोला नही बस उपर उठा लिया जिसे उनकी मोटी और बड़ी बड़ी चुचियाँ बाहर आ गयी, चाची ने ब्रा भी नही पहनी हुई थी उन्होने अपनी लेफ्ट चूंची को फूफा के मूह मे दे दिया, फूफा तो छोटे बच्चे की तरफ उस चूसने लगे. चाची ने अपने राइट हॅंड से फूफा के लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी. फूफा ने चुचियों को चूस्ते हुए अपना लेफ्ट हॅंड से सारी को कमर के उपर कर दिया और सीधा चूत पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगे इस दौरान फूफा ने अपनी एक उंगली चूत के अंदर डाल दी. चाची के मूह से सिसकारियाँ निकालने लगी, फूफा बोले “कोमल तुम्हारी चूत तो इतने मे ही गीली हो गयी है”

चाची: “हां..काफ़ी दिनो से चुदी नही है ना इसीलिए…और आपने तो मुझे उस दिन भी गीला कर दिया था…उूउउ आआ धीरे”

फूफा: “लेकिन उस दिन तो तुम्हे ये सब अच्छा नही लगा था”

चाची: “नही मुझे बहुत अच्छा लगा …अगर कोई नही होता तो वही तुमसे चुदवा लेती”

फूफा: “मेरा लंड भी उस दिन से तुम्हारी चूतर का दीवाना हो गया है”

चाची: “आपका भी तो काफ़ी मोटा है”

फूफा: “क्यूँ प्रकाश का कितना बड़ा है?”

चाची: “लंबा तो इतना ही है पर इतना मोटा नही है…ये तो बहुत मोटा है मेरी तो जान ही निकाल दोगे तुम..बहुत दर्द होगा ”

फूफा: “कोमल डरो मत एक बार अंदर जाएगा तो सब दर्द निकल जाएगा”

चाची: “जल्दी चोदो ना…मुझे नीचे भी जाना है, वरण दीदी उपर आ जाएगी मुझे ढूँढते हुए”

क्रमशः………….

 



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