मेरी चाची बड़ी निकम्मी–1

दोस्तो हर आदमी के बचपन मे कभी ना कभी कोई ऐसा वक़्त आता है जब वो सेक्स को समझने लगता है. ठीक उसी तरह मे बचपन मे, चाची के साथ हुए कुछ हादसों को देख कर मे भी सेक्स के प्रति आकर्षित हुआ.

ये एक रियल स्टोरी है मेरी सग़ी चाची की, जो अभी देल्ही मे रहती है, चाचा सेबी मे जॉब पर है. थोड़ी चाची के बारे मे आप लोगो को बता दू, मेरी चाची का नाम कोमल है, अभी चाची की उमर 40 साल. है पर उस वक़्त उनकी उमर 28 य्र. थी, दिखने मे एक दम नॉर्थ इंडियन घरेलू औरत की तरह है, रंग गोरा, कद 5.2 इंच. ज़्यादा लंबी नही है, सरीर से थोड़ी हेल्ती है, चेहरा एक दम गोल, बूब्स थोड़े बड़े, कमर थोड़ी मोटी, उनकी खास बात ये है कि वो बहुत ज़्यादा भोली है और थोड़ी भुलक्कड़ है, इसीलये चाचा हमेशा उन्हे डाँट ते रहते है, उनके दो बेटे है और देल्ही मे पढ़ते है बड़ा बेटा विकाश 15साल का और छोटा राजीव 10साल का है. चाची हमेशा सारी पहनती है और घर मे छोटी बहू होने के कारण, सर पर हमेशा पल्लू रखती है और सारा बदन हमेशा सारी से ढका रहता है. अब थोड़ा चाचा पे नज़र डाली जाए मेरा पिताजी (फादर) के 3 भाई और एक सिस्टर है. पिताजी सबसे बड़े, प्रकाश चाचा मझले है, इनके बाद एक छोटे चाचा प्रेम और बुआ कमल. मेरी पूरी फॅमिली मे प्रकाश चाचा पढ़ने मे सबसे ज़्यादा तेज और किताबी कीड़े है (बुक वर्म), पढ़ाई की वजह से आँखो पे मोटा चस्मा आ गया है मेरी उनके साथ बहुत बनती है, क्यूंकी बचपन से उन्होने मुझे बहुत खिलाया है मैं बचपन मे उनके साथ ही सोता था और उन्हे छोटे बाबूजी कह कर बुलाता था.

अब स्टोरी पर आता हूँ, किस तरह अंजाने मे चाची ने मुझे सेक्स का मतलब बता दिया. ये बात उन दिनो की जब मेरी उमर 12साल. की थी, हम सब प्रेम चाचा की शादी मे अपने गाओं गये थे वान्हा पर हमारा पुस्तेनि घर है, जो 2 फ्लोर का है, ग्राउंड फ्लोर मे 5 कमरे है, किचन, स्टोर रूम, छोटे चाचा का कमरा, दादा दाई और गेस्ट रूम है, गेस्ट रूम के बीच एक डोर है जो दालान मे खुलता है, दालान जान्हा खेती के समान, गाये और भैंसे (काउ & बफेलो) रखे जाते है.

और दालान की देखभाल के लिए हमारा नौकर भूरा था जिसकी उमर तकरीबन 40 साल होगी उस वक़्त और वो वन्हि दालान मे रहता था., सिफ खाना खाने ही घर मे आता था. भूरा एक दम हटा कटा ताकतवर मर्द था, हम जैसे 3, 4 बच्चो को तो वो एक हाथ मे ही उठा लेता था पर वो थोड़ा मंद बुधि का था, बचपन मे उसके मा बाप गुजर गये थे, दादाजी ने उसे अपने पास रख लिया, वो घर के सब काम कर देता था और दादा जी की बहुत सेवा करता था.

सेकेंड फ्लोर पे हमारा रूम, चाची का और चाचा का स्टडी रूम था और दो कमरे हमेशा बंद रहते थे जिसमे कोई रहता नही हा, जब हमारी कमल बुआ या कोई रिलेटिव आते थे उसी मे रुक ते थे और उपर छत (टेरेस) थी, जान्हा से दालान और गाओं साफ दिखता था. साल दो साल मे एक बार हम गाओं जाते थे, दादा दादी हमे देख कर काफ़ी खुस होते थे, हमे भी वान्हा काफ़ी अछा लगता था, दिन भर गाओं, खेत मे घूमना और नदी मे नहाते और मस्ती करते और वैसे भी वान्हा पर किसी भी तरह की कोई रोक टोक नही थी.

घर मे शादी का महॉल था सब काफ़ी खुश थे, बहुत सारे रिलेटिव और मेहमान आए हुए थे, हमारी बुआ (कमल) और फूफा (राजेश) (माइ फादर्स सिस्टर & हर हज़्बेंड) भी आए हुए थे, ये सब शादी एक 4, 5 दिन पहले ही आगाये थे, घर मे पैर रखने की जगह नही थी, हम सब बच्चो को रात को छत (टेरेस) पर सोना पड़ता था. गाओं मे रात बहुत जल्दी हो जाती थी, रात होते ही हम सब दालान मे घुस जाते और खूब हो हल्ला करते. हां और एक ख़ास्स बात आप लोगो को बता दू उस वक़्त हमारे गाओं मे बिजली नही थी, गाओं मे सब लालटेन और दिया ही इस्तेमाल करते थे. हम रात मे अक्सर छुपा छुपी (हाइड & सीक) खेलते.

दोपहर का समय था, आज रात प्रेम चाचा का तिलक आने वाला था (इस रसम मे लड़की के घर वाले दहेज का समान ले कर आते है और लड़के को तिलक लगाते है). तिलक मे आने वाले लोगो के रुकने का बंदोबस्त दालान मे ही किया गया था. सब लोग काफ़ी बिज़ी थे, मैं भी तिलक मे आने वाले लोगो के लिए चेर और बेड का बंदोबस्त कर रहा था, मेरे साथ गाओं के कुछ लड़के और भूरा भी था. फूफा वन्हि पर मिठाई वाले के साथ बैठे थे और कुछ बाते कर रहे थे, तभी मैने देखा गाओं के लड़के जो हमारी मदद कर रहे थे बार बार छत की तरफ देख रहे थे और कुछ कानाफुसी कर रहे थे, मैने भी छत की तरफ देखा, देखा तो चाची छत पर नीचे झुक कर कुछ सूखा रही थी चाची ने सारी को घुटनो तक उठा के कमर से बँधी हुई थी और नीचे झुकने से उनकी गोरी गोरी जंघे (थाइस) और चूतर का निचला हिस्सा काफ़ी साफ दिख रहा था. चाची तो अपने कम मे बिज़ी थी, भूरा भी तिरछी नज़र से ऊपर देख रहा था और अपने पॅंट पर हाथ घुमा रहा था, ये देख कर लड़के उसे पर हस्ने लगे तभी फूफा की नज़र लड़को की तरफ पड़ी और वो भी ऊपर देखने लगे फूफा की आँखे बड़ी हो गयी पर पास मे मिठाई वाला था इसीलिए फूफा ने ज़ोर से आवाज़ दी और कहा “भूरा जल्दी जल्दी चेर लगा दो और अभी और भी काम है” इतने मे फूफा के आवाज़ सुन कर चाची ने नीचे देखा, फूफा उन्हे देख कर मुस्कुरा रहे थे चाची ने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया और सारी नीचे कर दी. मैं कुछ चेर गेस्ट रूम मे रखने गया तभी वो लड़के आपस मे कुछ बाते कर रहे थे.

1-लड़का: “अर्रे तुमने देखा किस तरह भूरा अपना लंड हिला रहा था विकी (विकाश) की मा के चूतर देख कर”

2-लड़का: “उसे बेचारे की क्या ग़लती है, विकी की मा की चूतर है ही इतने मस्त की किसी का भी खड़ा हो जाए”

1-लड़का: “और उस बेचारे भूरा को भी तो बहुत दिनो से चूत के दर्शन नही हुए है..जब तक लाली थी, तब तक भूराने बड़े मज़े किए, अब तो वो भी शादी करके चले गयी है पता नही कब आएगी”

3-लड़का: “मुझे पता है तुम लोगो ने भी भूरा के नाम पर लाली को चोदा था….जब वो खेत मे काम कर रही थी तब”

2-लड़का: “नही यार ट्राइ तो बहुत किया था पर हाथ नही आई, बोलने लगी “तुम जैसे माचिस की तिलियों से ये आग नही लगेगी”

3-लड़का: “मतलब”

2-लड़का: “मतलब.. तुम अभी बच्चे हो और तुम्हारा बहुत छोटा है मुझे नही चोद पाएँगे”

1-लड़का: “हां साली…हमारा क्यूँ लेती..इस पगले भूरा का मूसल लंड (बिग कॉक) लेने की आदत जो पड़ गयी थी”

3-लड़का: “हां यार मैने भी सुना है उसका बहुत लंबा और मोटा है”

1-लड़का: “अर्रे तुझे पता नही इन पागलो का बहुत लंबा होता है..और साले थकते भी नही…तुझे पता है वो अपना कुम्हार है ना.. जो मट्टी के बर्तन बनाता है उस की बीवी एक बार खेत मे टाय्लेट के लिए गयी तभी ये उस पर चढ़ गया और 1 घंटे. तक चोदता रहा, कुम्हार की बीवी उसे छोड़ने के लिए बोल रही थी पर वो सुन नही रहा था जब वो दर्द से चिल्लाने लगी और गाओं के लोग आवाज़ सुन वहाँ आने लगे तब वो वहाँ से भागा…और पता है आज भी कुम्हार की बीवी अपने पति के साथ टाय्लेट जाती है…..हा..हहा …हा हा”

3-लड़का: “और वो मलिन, फूल वाले की बीवी, उसे तो इसने पेट से कर दिया था”

2-लड़का: “हाँ यार इस पगले का कोई भरोसा नही है..कब किस को पकड़ ले”

मैं तो उनकी बाते सुन वान्हा खड़ा ही रह गया, कुछ समझ मे नही आ रहा था..मूसल लंड, चोद दिया, पेट से कर दिया… मैं इन सब बातो को समझ नही पा रह था, ये वर्ड्स मैं पहली बार सुन रहा था, पर इतना ज़रूर समझ रह था कि ये भूरा औरतों के साथ कुछ ग़लत करता है इसीलिए ये लड़के भूरा के बारे मे बात कर रहे है. पता नही उस दिन से मुझे भूरा से डर लगने लगा मे उस के पास बहुत कम जाने लगा वो बुलाता, पर मे बहाने बना कर भाग जाता.

मैं दालान मे आ गया, मुझे देख कर वो लड़के चुप हो गये और बोले “राज कल नदी (रिवर) पर चलेगा..तुझे आम और जामुन खिलाएँगे” मैं बोला “हाँ..चलूँगा”, वो लड़के मुझ से काफ़ी बड़े थे तकरीबन 16 या 17 साल के थे, पर मेरा बहुत ख़याल रखते थे क्यूँ की मैं उन्हे अक्सर डेरी मिल्क चॉक्लेट दिया करता था, वो चॉक्लेट वहाँ नही मिलते थे और कुछ पैसे भी कभी कभी खर्च कर देता था इस लालच से वो मेरा ख़याल रखते थे.

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मुझे याद है वो एक बार मुझे नदी पर ले गये थे, नदी हमारे गाओं से 10मिनट. की दूरी पर थी, खेत और कच्चे रास्तों से होते हुए हम नदी तक पंहूचते थे. मे नदी के किनारे ही खेलता क्यूँ कि उसे वक़्त मुझे तैरना (स्विम्मिंग) नही आती थी. ये लड़के स्विम्मिंग कम करते थे और गाओं की लड़कियों को नहाते हुए ज़्यादा देखते थे, और वो लड़किया इनको गाली दे कर भगा देती पर मुझ कुछ नही कहती थी क्यूँ कि मे उनसे काफ़ी छोटा था और उनमे से कुछ लड़कियों को जानता भी था, जैसे रेणु, पायल, सीमा और इनको मे दीदी कह कर बुला ता था और वैसे भी इन सब लड़कियों का मेरे घर आना जाना लगा रहता था. उसे दिन ये लड़के नदी मे खेल रहे थे पर मे किनारे बैठा उन्हे देख रहा था, तभी मेरे पास से कुछ गाओं की लड़कियाँ गुज़री उनमे रेणु भी थी, उसने मुझसे पूछा “क्यूँ राज तुम नहा नही रहे हो..!” मे बोला “दीदी मुझे स्वीमिंग नही आती और पानी भी बहुत गहरा है” वो बोलने लगी तुम हुमरे साथ आ जाओ हम तुम्हे स्विम्मिंग सिखाते है. मे उनके साथ चला गया, वो कुछ दूरी पर नहाती थी जहाँ पर कोई आता जाता नही था. वो सब झाड़ियों (स्माल ट्रीस) के पीछे अपने कपड़े निकालने लगी, कुछ ने सारी पहनी थी और कुछ ने सलवार कमीज़. जिन लड़कियों ने सलवार कमीज़ पहना था उन्होने सलवार निकाली और जिन्होने सारी पहनी थी उन्होने सारी और ब्लाउस निकाल दिया और पेटिकट को चुचियों के उपर बाँध लिया, मे ये सब देख रहा था पर मुझे कुछ महसूस नही हो रहा था. फिर वो सब नदी मे उतरने लगी मुझे भी बुलाने लगी पर मैने भी अपनी टी-शर्ट निकाली पर जीन्स नही निकाला और पानी मे उतरने लगा वो बोलने लगी “अर्रे राज जीन्स तो निकाल दो”

मे: “दीदी मे अपनी हाफ पॅंट नही लाया हूँ..”

रेणु: “कोई बात नही राज..तुम अपनी जीन्स निकाल के आ जाओ”

मे: “नही मुझे शरम आती है”

रेणु: “अर्रे हमसे कैसी शरम, हम तो तेरी दीदी है” इतना बोलते ही एक लड़की ने मेरा जीन्स खोल दी, मे सिर्फ़ अंडरवेयीर पर था, ये देख कर लड़कियाँ हस्ने लगी.

मे: “तुम लोग क्यूँ हंस रही हो?..मुझे नही नहाना मे जा रहा हूँ”

रेणु: “अर्रे राज रुक जाओ..ये सब पागल तुझे अंडरवेयीर पहना देख कर हंस रही है”

मे: “क्यूँ..तुम सब नही पहनती?” वो फिर हस्ने लगी.

लड़कियाँ: “अर्रे राज ऐसी कोई बात नही है….गाओं मे तेरी उमर के लड़के अंडरवेयीर नही पहाते इसलिए ये सब हंस रही हैं..मे इन्हे मना कर्दुन्गि ये अबसे नही हँसेगी, तुम आ जाओ”

फिर मे पानी मे उतरा, रेणु मुझे पकड़ कर थोड़े गहरे पानी मे ले गयी, मे उन्हे देख रहा था पानी मे उनके कमीज़ और पेटिकट उपर होगये थे और अंदर उनकी कसी हुई चुचियाँ और गोरे गोरे जाँघ (थाइस) और उनकी चूत के बाल (हेर) दिख रहे थे, रेणु ने कहा “राज हम तुम्हे पकड़ते है तुम अपने पैर उपर कर लो और तेज़ी पानी पर मारो” मे वैसे ही करने लगा उन्होने मेरे पेट और पेनिस पर अपना हाथ रखा हुआ थे, मे फिर पानी मे पैर मारने लगा ,मुझे ऐसा करते देख कर उन्होने मुझे छोड़ दिया मे डूबने लगा और हाथ पानी पर मारने लगा, मे डर गया था और रेणु को कस कर पकड़ लिया और रेणु से लिपट गया, रेणु ने पेटिकट पहना हुआ था और वो पेटिकट कमर के उपर आ चुका था और वो अंदर से पूरी तरह नगी थी मे उसके नंगे चूतर और कमर को कस के पकड़ा हुआ था. दूसरी लड़कियाँ पास मे खड़ी कुछ बोल रही थी और हंस रही थी मैने सुना वो कह रही थी “रेणु को तो देख बड़े मज़े से चिपकी हुई है राज से, लगता है लिए बिना छोड़ेगी नही उसे” दूसरी लड़की बोली “राज है भी तो इतना खूबसूरत कि कोई भी लड़की चिपक जाए”.. “अर्रे शहरी लड़का है खूबसूरत हो होगा ही…और सहर मे खूबसूरत लड़कियों की क्या कमी है जो हम जैसो को देखेगा, इन गाओं के लड़को की तरह नही है कि लड़की देखी और डंडा खड़ा कर लिया” मैने तुरंत उसे छोड़ दिया और बाहर जाने लगा तब रेणु बोली “क्या हुआ राज तैरना नही सीखना” मे बोला “नही तुम सब मेरा मज़ाक कर रही हो” रेणु बोली “आरे इनकी बात का बुरा मत मान इनकी तो आदत है बकबक करने की तू आजा” मे वापस पानी मे उतरा और रेणु के पास गया, रेणु ने कहा “जब तुम पैर मारने लगॉगे तो मे तुम्हे छोड़ूँगी और तुम हाथ भी पानी मे मारना जिसे तुम पानी मे आगे की तरफ बढ़ने लगॉगे और इसी तरह करते रहना, तुम तैरना सीख जाओगे. मे उसी तरह करने लगा पर बार बार पानी मे डूब जाता और रेणु पानी से बाहर निकालती, एक बार तो मेरी अंडरवेर घुटनो की नीचे उतर गई और मुझे पता भी नही चला, मैने दोनो हाथो से रेणु की कमर को पकड़ा हुआ था और मेरा चेहरा उसकी चुचि पर और मेरा छोटा लंड रेणु चूत से चिपका हुआ था. रेणु भी उसे महसूस कर आयी थी पर शायद उसे भी मज़ा आ रहा था इसीलिए कुछ बोल भी नही रही थी, इस दरमियाँ मैने कई बार उसकी नगी चूत और चूतर को छुआ था और उसने कई बार मेरे छोटे से लंड को छुआ था. मे पहली बार किसी लड़की के जिस्म को महसूस कर रहा था और मेरे अंदर एक अजीबसी हुलचल हो रही थी, मुझे पानी के अंदर भी पसीना आ रहा था. कुछ देर बाद लड़कियाँ बाहर निकलने लगी मे भी बाहर आके बैठ गया, लड़कियाँ झाड़ियों के पीछे कपड़े बदलने लगी, पर मेरी नज़र तो रेणु पर ही थी, रेणु की उमर तकरीबन 17 या 18 साल होगी पूरी तरह से जवान और गदराई हुई थी, उसने मेरे सामने ही पेटिकट की डोरी खोल दी और पेटिकट नीचे गिर गयी, रेणु पूरी तरह से नंगी मेरे सामने खड़ी थी, गोरा बदन, घुंघराले बाल, कसी हुई चुचि और गोरी चूत पर थोड़े हल्के काले बाल ऐसा लग रहा था जैसे कोई जलपरी पानी से बाहर निकल आई हो. फिर वो अपने साथ लाए हुए कपड़े सलवार कमीज़ पहनने लगी, मे देखा उसने ब्रा और पॅंटी नही पहनी.

और फिर मेरे करीब आकर बोली “राज तुम हमारे साथ चलोगे या, इन लड़को के साथ आओगे” मे बोला “मे भी आप लोगो के साथ आता हूँ” मुझे पता नही मैने ऐसा क्यूँ बोला शायद मुझे रेणु का साथ अछा लग रहा था, मे उनके साथ चलने लगा.

क्रमशः………….

गतान्क से आगे…………..

रेणु: “राज तुम ने तो बॉम्बे मे बहुत फिल्मी हीरो और हेरोइन देखे होंगे”

मे: “हाँ देखे तो है पर सब को नही”

मे: “हमारी एक बार स्कूल की पिक्निक फिल्मसिटी गयी थी, तब मे 2, 4 हीरो और हेरोइन को देखा था”

रेणु: “किस किस को देखा था”

मे: “गोविंदा, मिथुन, मधुरी दीक्षित, डिंपल और भी बहुत सारी”

रेणु: “वो क्या हमसे ज़्यादा खूबसूरत होती है”

मे: “अर्रे नही दीदी वो तो मेक अप करके खूबसूरत बनती है”

रेणु: “तुझे कैसे पता”

मे: “मा कहती है”

रेणु: “राज तुम कोन्से क्लास मे पढ़ते हो”

मे: “6थ स्टॅंडर्ड मे…और दीदी तुम?”

रेणु: “मे मेट्रिक मे हूँ”

मे: “मतलब?”

रेणु:”10थ स्टॅंडर्ड मे”

मे: “दीदी आपको स्कूल कहाँ है?”

रेणु: “काफ़ी दूर है बस से जाना पड़ता है”

इस तरह हम काफ़ी देर चलते चलते बाते करते रहे और फिर घर पहुँच गये जाते समय रेणु ने कहा “राज तुम कल आओगे नदी पर” मे बोला “अगर आप मुझे तैरना सिखाओगि तो ज़रूर आउन्गा” फिर रेणु मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए अपने घर चली गई.

धीरे धीरे शाम होने लगी और सभी मेहमान और रिस्तेदार दालान मे जमा होने लगे कुछ देर बाद पता चला लड़कीवाले भी आ गये है, दादाजी, पिताजी, चाचा सब उनका स्वागत के लिए दालान के डोर पे खड़े थे, थोड़ी देर बाद सभी मेहमआनो की खातिरदारी सुरू हो गई. थोड़ी देर बाद दादाजी ने सब का परिचय हमसे करवाया और तिलक की रसम सुरू हो गई.

तिलक की रसम सुरू होने वाली थी, ये सब हमारे घर के आँगन मे होनेवाला था, सारा गाओं जैसे हमारे घर मे आ गया था घर एक दम खचा खच भरा हुया था. आँगन के बीच मे एक छोटसा मंडप बनाया गया था, मंडप के चारो तरफ हमारे रिस्तेदार और गाओं के लोग जमा थे. घर की औरते ये सब ग्राउंड फ्लोर के कमरों से देख रही और गाओं की औरते ये सब सेकेंड फ्लोर से देख रही थी. मे भी नीचे एक कोने मे खड़ा था और वही से या सब देख रहा था, कुछ देर मे लड़की वाले आने लगे और मंडप के एक तरफ बैठने लगे, मंडप के बीच मे पंडितजी बैठे ही थे, उन्होने चाचा को बुलाने को कहा. चाचा फिर अपने कमरे से निकले और मंडप मे बैठ गये और पंडितजी ने रसम सुरू की. तभी मेरी नज़र उपर रेणु पर पड़ी मैने उसे हाथ दिखाया और रेणु ने मुझे उपर आने का इशारा किया, मैने इशारे से कहा आता हूँ. जैसे ही मे उपर जाने लगा, देखा फूफा दादाजी के कमरे के पास खड़े है और चाची से बाते कर रहे है, फूफा काफ़ी हंस हंस कर बाते कर रहे थे जैसे ही मे वहाँ से गुजरा चाचीने पूछा “कहाँ जा रहे हो?” मे बोला “चाची मे उपर जा रहा हूँ” चाची बोली “अर्रे उपर मत जाओ बहुत लोग है, तुम यही से देखो”. फिर मे वहीं रुक गया, लेकिन मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था तो मे कमरे के अंदर जा कर एक टेबल पर खड़ा हो गया और खिड़की से देखने लगा अब सब साफ दिख रहा था.

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आप लोगो को बता दू, फूफा का मेरी मा, चाची और पापा की कज़िन सिस्टर से मज़ाक वाला रिस्ता था, घर के इक्लोते दामाद थे, तो उनका मान (रेस्पेक्ट) भी बहुत करते थे. मा और चाची फूफा से बहुत मज़ाक करती, लेकिन फूफा कभी बुरा नही मानते थे वो भी लगे हाथ मज़ाक कर लेते. चाची फूफा के एक दम पास खड़ी थी, उनके आगे बहुत सारी गाओं की औरते और मर्द खड़े थे, जिसकी वजह से चाची को मंडप नही दिख रहा था वो बार बार लोगो के उपर से देखने की कोसिस कर रही थी पर कुछ भी ठीक से नही दिख रहा था, फूफा ने कहा “कोमल्जी आप मेरे पास खड़े हो जाइए, शायद यहाँ आप को दिखेगा” चाची उन्हे पास खड़ी हो गयी और फूफा ने एक दो लोगो को थोड़ा हटने को कहा अब वहाँ से चाची को कुछ साफ दिख रहा था पर चाची फूफा से काफ़ी चिपकी हुई थी उनकी चूतर फूफा के हाथ को छू रही थी, क्यूँ की वनहा पर काफ़ी भीड़ थी और सब लोग मंडप मे तिलक देखने के लिए बेताब थे और सबकी नज़र मंडप पर थी.

चाची: “सुक्रिया, राजेसजी”

फूफा: “अर्रे इसमे सुक्रिया की क्या बात है, आप कहे तो आप को उठा लू”

चाची: “कमल तो उठती नही, हमे क्या उठाएँगे”

फूफा: “क्यूँ..आप क्या कमल से भी भारी है”

चाचीने कुछ जवाब नही दिया और मुस्कुराने लगी, फिर फूफा की शरारत सुरू हुई वो धीरे धीरे चाची के पीछे आगाये, पर फूफा लंबे थे इसीलये वो उनका लंड चाची के चूतर के उपर था, चाची तो बेफिकर मॅडप की तरफ देखा रही थी, फूफा अब धीरे धीरे अपने राइट हॅंड से उनकी चूतर को छू रहे, पर उनकी नज़र तो चाची की चूंचियों पर थी, फूफा लंबे थे इसीलिए वो काफ़ी अच्‍छी तरह से चाची की चुचियों का मज़ा ले रहे थे. अचानक मेरे पिताजी वहाँ गुज़रे, चाची ने देखा और तुरंत वहाँ से हट गयी और अंदर आ गयी, कुछ देर बाद बाहर आई पर चाची जहाँ खड़ी थी वहाँ पर कोई और खड़ा होगया, फूफा ने देखा और कहा “कोमल्जी आप कोई टेबल लाकर, उसपर खड़ी हो जाओ, आप को साफ दिखेगा” पर वहाँ पर कोई भी टेबल या चेर नही था फिर फूफा ने कोने से एक लकड़ी का छोटा सा बॉक्स लाकर अपने पास रख दिया और बोले “इस पर खड़ी हो जाओ” चाची ने खड़े होने की कोसिस की पर वो हिलने लगा चाची उतर गयी.

फूफा: “क्या हुआ”

चाची” “नही मे इस पर से गिर जाउन्गि”

फूफा: “अर्रे नही गिरोगि”

चाची: “नही ये हिल रहा है”

फूफा : “तुम खड़ी हो जाओ मे तुम्हे पीछे से पकड़ लेता हूँ..”

चाची: “अर्रे नही मुझे शरम आती है, और कोई देखेगा तो क्या कहेगा”

फूफा: “ठीक है फिर वही खड़े रहो”

चाची के पास कोई दूसरा चारा नही था, वो उसे पर खड़ी हो गयी और फूफा ने पीछे से पकड़ लिया, अब चाची की चूतर फूफा के लंड के शीध मे थी. फूफा ने पीछेसे चाची की कमर को पकड़ा हुआ था पर उनकी उंगलिया (फिंगर) चाची के नाभि (नेवेल) को छू रही थी. चाची का ध्यान तो मंडप पर था, मे ये सब खिड़की के पास से देख रहा था, बाकी लोगो का भी ध्यान मॅडप पर ही था, हम काफ़ी पीछे थे इसीलिए कोई हमे देख नही सकता था.

फूफा का लंड काफ़ी तन गया था, पॅंट की उभार साफ दिख रही थी और फूफा बड़े मज़े से चाची की चूतर को अपने लंड से दबा रहे थे, अचानक चाची थोड़ी सहम गयी शायद चाची फूफा के लंड को महसूस कर रही थी उन्होने एक दो बार पीछे भी मूड कर देखा पर कुछ बोली नही, पर बोलती भी क्या.

चाची: “राजेसजी..लड़कीवाले तो बड़े कंजूष निकले, समान बहुत कम दिया है”

फूफा: “अर्रे लड़की दे रहे है और क्या चाहिए..पर आपके से तो ज़्यादा दहेज दे रहे है”

चाची: “अर्रे..वो तो बड़े भैया ने दहेज के लिए हां करदी थी नही तो वो भी नही मिलती, पिताजी तो दहेज के खिलाफ थे और इतनी खूबसूरत लड़की दे रहे थे और क्या चाहिए था”

फूफा: “बात तो ठीक कह रही है आप…अगर हम प्रकाश की जगह होते तो, हम दहेज देते आपको..आख़िर आप हो ही इतनी खूबसूरत”

चाची: “अब हमारी फिरकी मत लीजिए”

फूफा: “क्यूँ..तुम खूबसूरत नही हो”

चाची: “हमे क्या पता”

फूफा: “क्यूँ प्रकाश ने कभी कहा नही”

चाची: “अर्रे उनके पास हमारे लिए वक़्त कहाँ, ऑफीस से आए और किताब मे घुसे गये”

फूफा: “बेवकूफ़ है…”

चाची ने सिफ मुस्कुराते हुए जवाब दिया, इस दौरान बातों बातों मे फूफा ने अपने लेफ्ट हॅंड को थोड़ा उपर कर दिया, और चाची की चुचियों को उंगलियों से छू रहे थे. फूफा ने पूछा “क्यूँ कोमल्जी..अछा लग रहा है ना?” चाची ने कुछ जवाब नही दिया, इस पर फूफा की हिम्मत और भी बढ़ गयी वो अपने चेहरे को चाची के गर्दन के पास ले आए ऐसा लग रहा था जैसे वो चाची के सरीर की खुसबु ले रहे हो, चाची ये सब महसूस कर रही थी. फूफा ने फिर चाची के कान के पास अपने गाल लगाए और पूछा “कोमल्जी सब दिख रहा है ना?” चाची ने सर को हिलाते हुए हां बोला. फूफा का चेहर एक दम लाल होगया था अब उनसे भी कंट्रोल नही हो रहा था अगर अकेले होते तो आज चाची चुद गयी होती पर क्या करते इतने सारे लोग थे इसे ज़्यादा कुछ कर भी नही सकते थे. इस बार फूफा ने कुछ ज़्यादा ही हिम्मत दिखाई, अपने लेफ्ट हॅंड को उनकी ब्लाउस और राइट हॅंड को सारी के अंदर डालने की कोसिस करने लगे पर अब चाची से रहा नही गया, चाची फूफा के हाथ को हटाते हुए नीचे उतर गयी, इस दौरान चाची ने फूफा के तने हुए लंड को रगड़ दिया और उसे महसूस भी किया. चाची का चेहरा लाल हो गया और पसीना भी आ रहा था शायद वो फूफा के लंड की रगड़ से गरम हो गयी थी, वो बेड पर आ कर बैठ गयी और जग से पानी निकाल कर पीने लगी, फूफा दूर पर ही खड़े थे जब उन्होने चाची को पानी पीते देखा तो बोले “अर्रे कोमल्जी हमे भी पीला दीजिए, हम भी बहुत प्यासे है” चाची इतनी भी भोली नही थी कि फूफा की डबल मीनिंग वाली बात ना समझ सके, चाची ने मज़ाक मे कहा “इतनी भी गर्मी नही है कि आपको प्यास लग जाए”

फूफा: “अर्रे इतनी देर से आपको पकड़ के रखा था, थ्कुगा नही?”

चाची: “इतनी जल्दी थक गये, आप तो हमे उठाने वाले थे, इतने मे ही हवा निकल गयी

फूफा: “अगर ताक़त आज़माना है तो आजओ..हम पीछे नही हटेंगे”

चाची: “ठीक है फिर कभी देख लेंगे आपकी हिम्मत”

ये कहते हुए चाची ने फूफा को पानी ग्लास दिया फूफा ने पानी पिया और फिर डोर के पास खड़े हो गये. अभी तिलक की रसम ख़तम नही हुई थी, चाची बड़ी हिम्मत कर के फूफा के पास खड़ी हो गई पर उस लकड़ी के बॅक्स पे चढ़ने की हिम्मत नही हो रही थी, फूफा ने पूछा “क्यूँ तिलक नही देखना” चाची ने कहा “रहने दीजिए आप थक जाएँगे”, इस बार फूफा ने बड़ी शरारती मुस्कान देते हुए चाची को देखा, चाची शरम कर नीचे देखने लगी शायद चाची को भी ये सब अछा लग रहा था पर डर भी था कि कोई अगर देख लेगा तो बदनामी हो जाएगी. तिलक की रसम तो ख़तम होगयि पर फूफा बेचारे प्यासे रह गये.

शादी के पहले हल्दी की रसम थी, घर मे तो जैसे होली का महॉल हो गया था, जो भी प्रेम चाचा को हल्दी लगाने जाता उसे हल्दिसे पीला कर्दिया जाता. मा और गाओं की कुछ औरते फूफा को हल्दी लगाने के लिए उनके पीछे भागी फूफा प्रेम चाचा के कमरे मे घुसे गये पर वहाँ भी बचने वाले नही थे क्यूँ कि वान्हा पहले से चाची और कुछ औरते हल्दी लिए खड़ी थी, सब ने मिल कर फूफा को जम कर हल्दी लगाई. जब मा और बाकी औरते कमरेसे से निकलने लगी फूफा ने थोड़ी हल्दी ली और चाची को पीछेसे पकड़ कर गाल और पीठ (बॅक) पर हल्दी लगाने लगे चाची जैसे ही पीछे घूमी फूफा ने कमर मे हाथ डाल कर पकड़ लिया और अपने गाल पर लगी हल्दी को उनके गालों पर मलने लगे इस दौरान चाची की चुचियाँ बुरी तरह से फूफा के शीने से दबी हुई थी, चाचीने जैसे तैसे अपने को उनसे अलग किया और एक कोने मे खड़ी होगयि “हाए राम…कोई इस तरह पकड़ता है, कोई देख लेता तो?”

क्रमशः………….



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