कमला की चुदाई

अब तो ‘पचाक, पचाक पचाक’ आवाज के साथ बच्ची मस्त चुदने लगी. अमर ने अब अपना मुंह अपनी पत्नी के दहकते होंठों पर रख दिया और बेतहाशा चूंमा चाटी करते हुए वे दोनों अपने शरीरों के बीच दबी उस किशोरी को भोगने लगे.

अमर को बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी नरम नरम रबर की गुड़िया की गांड मार रहा है. वह अपने आनन्द की चरम सीमा पर कुछ ही मिनटों में पहुंच गया और इतनी जोर से स्खलित हुआ जैसा वह जिन्दगी में कभी नहीं झड़ा था. झड़ते समय वह मस्ती से घोड़े जैसा चिल्लाया. फ़िर लस्त पड़कर कमला की गांड की गहराई में अपने वीर्यपतन का मजा लेने लगा. रेखा भी कमला के चिकने शरीर को अपनी बुर से रगड़ कर झड़ चुकी थी. अमर का उछलता लंड करीब पांच मिनट अपना उबलता हुआ गाढ़ा गाढ़ा वीर्य कमला की आंतो में उगलता रहा.

झड़ कर अमर रेखा को चूंमता हुआ तब तक आराम से पड़ा रहा जब तक कमला को होश नहीं आ गया. लंड उसने बालिका की गांड में ही रहने दिया. कुछ ही देर में कराह कर उस मासूम लड़की ने आंखे खोली. अमर का लंड अब सिकुड़ गया था पर फ़िर भी कमला दर्द से सिसक सिसक कर रोने लगी क्योंकि उसकी पूरी गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसी ने एक बड़ी ककड़ी से चोदी दी हो.

उसके रोने से अमर की वासना फ़िर से जागृत हो गई. पर अब वह कमला का मुंह चूमना चाहता था. रेखा उस के मन की बात समझ कर कमला से बोली “मेरी ननद बहना, उठ गई? अगर तू वादा करेगी कि चीखेगी नहीं तो तेरे मुंह में से मैं अपनी चूची निकाल लेती हूं.” कमला ने रोते रोते सिर हिलाकर वादा किया कि कम से कम उसके ठूंसे हुए मुंह को कुछ तो आराम मिले.

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रेखा ने अपना उरोज उसके मुंह से निकाला. वह देख कर हैरान रह गई कि वासना के जोश में करीब करीब पूरी पपीते जितनी बड़ी चूची उसने कमला के मुंह में ठूंस दी थी. “मजा आया मेरी चूची चूस कर?” रेखा ने उसे प्यार से पूछा. घबराये हुई कमला ने मरी सी आवाज में कहा “हां, भाभी” असल में उसे रेखा के स्तन बहुत अच्छे लगते थे और इतने दर्द के बावजूद उसे चूची चूसने में काफ़ी आनन्द मिला था.

रेखा अब धीरे से कमला के नीचे से निकल कर बिस्तर पर बैठ गई और अमर अपनी बहन को बाहों में भरकर उसपर चड़ कर पलंग पर लेट गया. उसने अपनी बहन के स्तन दोनों हाथों के पम्जों में पकड़े और उन छोटे छोटे निपलों को दबाता हुआ कमला का मुंह जबरदस्ती अपनी ओर घुमाकर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा. बच्ची के मुंह के मीठे चुम्बनों से अमर का फ़िर खड़ा होने लगा.

अमर ने अब अपने पंजों में पकड़े हुए कोमल स्तन मसले और उन्हें स्कूटर के हौर्न जैसा जोर जोर से दबाने लगा. हंसते हुए रेखा को बोला “डार्लिन्ग, मेरी नई स्कूटर देखी, बड़ी प्यारी सवारी है, और हौर्न दबाने में तो इतना मजा आता है कि पूछो मत.” रेखा भी उसकी इस बात पर हंसने लगी.

चूचियां मसले जाने से कमला छटपटाई और सिसकने लगी. अमर को मजा आ गया और अपनी छोटी बहन कमला के रोने की परवाह न करता हुआ वह अपनी पूरी शक्ति से उन नाजुक उरोजों को मसलने लगा. धीरे धीरे उसका लंड लम्बा होकर कमला की गांड में उतरने लगा. कमला फ़िर रोने को आ गई पर डर के मारे चुप रही कि भाभी फ़िर उसका मुंह न बांध दे.

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