कमला की चुदाई

रेखा ने उसे डांटा “पर मजे से हचक के हचक के चुदा भी तो रही थी बाद मे, ‘हाय भैया, चोदो मुझे’ कह कह के”. कमला शरमा कर बोली. “भाभी बस आज रात छोड़ दो, मेरी बुर को थोड़ा आराम मिल जाये, कल से जो तुम कहोगी, वह करूंगी”. “चल अच्छा, आज तेरी चूत नहीं चुदने दूंगी.” रेखा ने वादा किया और कमला खुश होकर उससे लिपट गई.

अमर वापस आया तो तन्नाया हुआ लंड लेकर. उसके पैन्ट में से भी उसका आकार साफ़ दिख रहा था. कमला उसे देख कर शरमाती हुई और कुछ घबरा कर रेखा के पीछे छुप गई. दोपहर की चुदाई की पीड़ा याद कर उसका दिल भय से बैठा जा रहा था. “भाभी, भैया से कहो ना कि अब मुझे ना चोदे, मेरी बुर अभी तक दुख रही है. अब चोदा तो जरूर फ़ट जायेगी!” रेखा ने आंख मारते हुए अमर को झूठा डांटते हुए कहा कि वह कमला की बुर आज न चोदे.

अमर समझ गया कि सिर्फ़ बुर न चोदने का वादा है, गांड के बारे में तो कुछ बातें ही नहीं हुई. वह बोला “चलो, आज तुम्हारी चूत नहीं चोदूंगा मेरी नन्ही बहन, पर आज से तू हमारे साथ हमारे पलंग पर सोयेगी और मै और तेरी भाभी जैसा कहेंगे वैसे खुद को चुदवाएगी और हमें अपनी यह कमसिन जवानी हर तरीके से भोगने देगी.”

अमर के कहने पर रेखा ने कमला की मदद से जल्दी जल्दी खाना बनाया और भोजन कर किचन की साफ़ सफ़ाई कर तीनों नौ बजे ही बेडरूम में घुस गये. अमर ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और अपना खड़ा लंड हाथ में लेकर उसे पुचकारता हुआ खुद कुर्सी में बैठ गया और भाभी ननद को एक दूसरे को नंगा करने को कहकर मजा देखने लगा.

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दोनों चुदैलों के मुंह में उस रसीले लंड को देखकर पानी भर आया. कमला फ़िर थोड़ी डर भी गई थी क्योंकि वह कुछ देर के लिये भूल ही गई थी कि अमर का लंड कितना महाकाय है. पर उसके मन में एक अजीब वासना भी जाग उठी. वह मन ही मन सोचने लगी कि अगर भैया फ़िर से उसे जबरदस्ती चोद भी डालें तो दर्द तो होगा पर मजा भी आयेगा.

रेखा ने पहले अपने कपड़े उतारे. ब्रेसियर और पैंटी कमला से उतरवाई जिससे कमला भी भाभी के नंगे शरीर को पास से देखकर फ़िर उत्तेजित हो गई. फ़िर रेखा ने हंसते हुए शरमाती हुई उस किशोरी की स्कर्ट और पैन्टी उतारी. ब्रेसियर उसने दोपहर की चुदाई के बाद पहनी ही नहीं थी. रेखा उस खूबसूरत छोकरी के नग्न शरीर को बाहों में भरकर बिस्तर पर लेट गई और चूमने लगी. रेखा की बुर कमला का कमसिन शरीर बाहों में पाकर गीली हो गई थी. साथ ही रेखा जानती थी कि आज रात कमला की कैसी चुदाई होने वाली है और इसलिये उसे कमला की होने वाले ठुकाई की कल्पना कर कर के और मजा आ रहा था.

वह अमर को बोली. “क्योंजी, वहां लंड को पकड़कर बैठने से कुछ नहीं होगा, यहां आओ और इस मस्त चीज़ को लूटना शुरू करो.” अमर उठ कर पलंग पर आ गया और फ़िर दोनों पति पत्नी मिलकर उस कोमल सकुचाती किशोरी को प्यार करने के लिये उसपर चढ़ गये.

रेखा कमला का प्यारा मीठा मुखड़ा चूमने लगी और अमर ने अपना ध्यान उसके नन्हें उरोजों पर लगाया. झुक कर उन छोटे गुलाब की कलियों जैसे निपलों को मुंह में लिया और चूसने लगा. कमला को इतना अच्छा लगा कि उसने अपनी बांहे अपने बड़े भाई के गले में डाल दीं और उसका मुंह अपनी छाती पर भींच लिया कि और जोर से निपल चूसे.

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