गन्दू लड़के की लंड की प्यास की कहानी

हेलो दोस्तों आज फिरसे एक न्यू स्टोरी के साथ आया हू. उमीद करता हू मेरी पिछली कहानी को आपने जितना प्यार दिया, इसको भी आप उतना ही प्यार दोगे. ये स्टोरी मेरे दोस्त का रियल एक्सपीरियेन्स है. तो अब बाकी बातें उसके शब्दो में.

मेरा नाम देव, फेर कलर, बचपन से ही तोड़ा शर्मीला, चब्बी बॉडी वित रौंद निपल्स, और बिग रौंद गांद है. मेरा बड़ा भाई (हर्ष) जो हमेशा स्टडी ही करता रहता है. पापा (राजीव) गूव्ट. स्कूल में टीचर है, और मम्मी बॅंक में कॅशियर है. हम जाईपुर में ही रहते है.

बचपन से ही मेरा अट्रॅक्षन मर्दों को लेकर एक अलग ही रहा है. ख़ास कर मेरे पापा को लेकर. वो भी क्यूँ ना हो, वो है ही ऐसे. मेरे पापा एक-दूं गोरे, क्लीन फेस वित मुस्टचस ( मूचे), 5.9 फीट टॉल, मस्क्युलर बॉडी वित हेरी चेस्ट. किसी हीरो से कम नही लगते.

पापा बचपन से हीरो ही बनना चाहते थे, बुत सम फॅमिली इश्यूस की वजह से वो नही कर पाए. बुत परसोनालिटी एक दूं वैसी ही है. गूगले पर अडीनाथ कोठरे सर्च कर देना, बिल्कुल वैसे ही दिखते है पापा.

जब मेरे पापा ओन्ली लूँगी में डिन्नर करने बैठते है, वो पल का मुझे सबसे ज़्यादा वेट रहता है पुर दिन में. खाने का तो पता नही, बुत पापा को देख कर ही मॅन भर जाता है हमेशा. और जब पापा एवेरी सनडे हमारे गाओं (जो जाईपुर के पास ही है) मुझे और भाई को लेकर खेतो में तुबेवेल्ल पर नहाने जाते है, तब पापा को ओन्ली अंडरवेर में देखना एक अलग ही जिस्म में आग लगा देता है.

बचपन से ही पापा मुझे और भाई को बहुत प्यार करते है. फिर एक दिन भाई का 2न्ड एअर कंप्लीट हुआ. तब वो 20 साल का था. उसे इंजिनियरिंग की स्टडी के लिए छ्होटे मामा के पास कोटा भेज दिया गया.

अब घर पर पापा मम्मी और मैं ही होते थे. धीरे-धीरे पापा को लेकर मेरी फीलिंग अब और ज़्यादा बढ़ती चली गयी. कॉलेज से आने के बाद जब तक मम्मी घर नही आती, तब तक पापा और मैं हमेशा घर पर अकेले ही होते थे. मैं बहुत कोशिश करता था पापा को एक बार न्यूड देखने की, बुत दर्र भी बहुत लगता था.

पापा को सोच-सोच कर नाइट में बहुत बार अपना पानी निकालना, गांद में उंगलियाँ देना अब मेरी आदत हो गयी थी. मैं अभी 1स्ट्रीट एअर में ही था. कुछ दिन तो पापा और मैं सनडे को खेतो में जाते, बुत मोस्ट्ली पापा खेतो का काम करके घर आ जाते.

कभी-कभी हम साथ नहाते. पापा का वो साथ मुझे आज भी याद है. बुत दर्र की वजह से पापा से ज़्यादा छिपकने की हिम्मत नही हो पाती थी. कुछ महीनो बाद पापा जॉब को लेकर तोड़ा बिज़ी रहने लग गये. अब धीरे-धीरे खेतो में जाना भी कम होता गया.

अब पापा को छ्छूने का एक ही मौका था, वो भी चला गया. ऐसे ही पूरा साल निकल गया. अब मैं 19 साल का हो गया था. मेरा जिस्म अब और ज़्यादा बड़ा हुआ लगने लगा. मेरी हाइट भी अब 5.5 फीट हो गयी थी. मेरे पापा की आगे भी अराउंड 45 या 46 रही होगी इस टाइम.

फिर एक दिन हमारे घर पर पापा के बचपन के दोस्त कुछ दीनो के लिए अपने ऑफीस वर्क से जाईपुर आए हुए थे. पापा उनका इंट्रोडक्षन करते हुए.

पापा: देव ये मेरे बचपन का यार है, दिलीप रातोरे. चाचू के पैर छुओ बेटा.

दिलीप चाचा: और कैसा है देव? बहुत बड़ा हो गया यार तू. बहुत टाइम हो गया जाईपुर आए हुए.

दिलीप चाचा 42 एअर-ओल्ड, सावले, 5.6 फीट टॉल, मस्क्युलर बॉडी, पापा जैसी मुस्टचस (मूचे), स्मार्ट थे. बुत पापा से कम. हम सब खाना खा कर अब हमारी च्चत पर बातें करने लगे.

मम्मी: ऐसा करो, आप लोगों का बिस्तर यही लगा देते है.

पापा: ठीक है देव, जाओ मम्मी के पास ही सो जाना.

दिलीप चाचा ( मुझे पकड़ कर): इसे कहा भेज रहा है. अब बड़ा हो गया है, मर्दों के साथ ही रहने दे. आप जाओ भाभी, इसकी टेन्षन मत लो. शेर है ये.

मैं पापा और चाचा के बीच सो रहा था.

पापा: भाभी और बच्चो को भी ले आता यार. वो भी घूम लेते.

चाचा: हा यार, बुत उसे कही जाना पसंद नही है. और तू बता देव क्या कर रहा है आज कल?

पापा: यार आज कल देव को भी टाइम नही दे पा रहा. ये तो तू आज आ गया, जो आज साथ सो पा रहे है. वरना हर्ष के जाने के बाद बहुत बिज़ी हो गया था.

ये बोलते हुए पापा का जिस्म बनियान और लूँगी में मून लाइट में एक-दूं हॉट लग रहा था. ऐसे ही नॉर्मल बातें होते-होते चाचा मेरी कमर पर हाथ रख कर हॉरर टाइप बातें करने लगे.

मैं: मुझे दर्र लग रहा है. ये बातें क्यूँ कर रहे हो?

ये बोलते ही चाचा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया.

चाचा: लो आ गया भूत. हा हा हा.

पापा: चल सोजा, कल तेरे ऑफीस के काम के लिए भी जाना है.

चाचा: क्या यार. तू भी मूड खराब कर दिया कर.

नेक्स्ट दे पापा और चाचा पुर दिन ऑफीस का काम करके और घूम कर शाम को 8 बजे आए. आते ही हम खाना खा कर सोने चले गये.

चाचा: बहनचोड़ आज भी काम नही हुआ. कल सनडे, फिर मंडे को ही जाना होगा यार.

पापा किसी काम से नीचे जाने लगे.

चाचा: लगता है भाभी जी याद कर रही है.

पापा: यार बच्चा है, क्या तू भी.

चाचा (मुझे पीछे से पकड़ कर): इतना बड़ा तो हो गया. बच्चा थोड़ी है ये.

पापा नीचे गये. चाचा अपनी त-शर्ट निकाल कर, अब ओन्ली पाजामे में लेटने लगे. ऐसा करते ही उनके पसीने की खुश्बू हवा में फैल गयी. मून लाइट में उनकी क्या मस्त बॉडी थी. हेरी चेस्ट मस्क्युलर जिम टाइप बॉडी. मेरे तो मूह में पानी आने लगा.

चाचा: आजा तेरे पापा को टाइम लगेगा, वो खिलाड़ी आदमी है. तू भी त-शर्ट उतार दे, यहा कों देख रहा है तुझे?

मैने त-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. त-शर्ट उतारने के बाद अब ओन्ली बनियान और शॉर्ट्स में था. मेरे निपल्स बनियान से बाहर गिरने को रेडी थे. सोते हुए चाचा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया. हम दोनो की हाइट लगभग सेम थी. इसलिए मेरी गांद में उनका लोड्‍ा मुझे सॉफ फील हो रहा था. जिसे वो बार-बार आयेज-पीछे करने लगे.

बहुत देर तक वो पीछे से ही मज़े लेते-लेते मुझसे बात करने लगे. थोड़ी देर बाद मैने रिप्लाइ करना बंद कर दिया. उनको लगा शायद मुझे नींद आ गयी. तभी पापा भी आ गये.

पापा: सो गये क्या?

मैं सोने का नाटक करने लगा.

चाचा (मुझे देखते हुए): नही शायद ये सो गया है.

पापा: गर्मी आज ज़्यादा है. कल सनडे है, कल खेतो में चलते है. तुबेवेल्ल में मस्त टाइम स्पेंड करेंगे. बहुत दिन से देव के साथ भी नही गया.

चाचा ( हेस्ट हुए): गर्मी तो सारी निकाल आया, अब कों सी रह गयी.

चाचा (मेरी गांद पर हाथ रख कर): वैसे एक बात बोलू. तेरे देव को देख कर कॉलेज वाले पवन की याद नही आती? उसकी गांद और चूचे इतने ही मोटे थे. सला कितनी बार गांद मरवा लेता था मेरे से.

ये सुन कर तो मैं एक-दूं हैरान ही हो गया. तभी चाचा मेरी गांद की फीलिंग ले रहे थे. चाचा का हाथ मेरी गांद से हटते हुए पापा बोले-

पापा: क्या यार तू भी. देव ऐसा नही है. वो बचपन से ही तोड़ा मोटा रहा है. और तू क्या ग़लत ही सोचता रहता है. चल सो चुप-छाप.

चाचा: अर्रे यार, तू गुस्सा क्यूँ हो रहा है? मज़ाक कर रहा हू. देव मेरे लिए भी बेटे जैसा ही है. और वैसे भी तुझे तो कॉलेज टाइम से ही पवन जैसे गान्डू पसंद ही नही है. चल सो जेया. कल चलते है फिर.

चाचा के मूह से ये सब सुन के मेरा पूरा मूड ही ऑफ हो गया, की पापा को लड़कों में कोई इंटेरेस्ट नही था. ये सोचते-सोचते ही पता नही कब मेरी आँख लग गयी. नेक्स्ट मॉर्निंग 5 बजे-

पापा और चाचा: देव उठ जेया, लाते हो जाएँगे वरना.

हम दोनो बिके से खेतो में पहुँच गये. अभी 6:15 बजे थे.

पापा: अछा है टाइम से आ गये. एक बार खेत देख लेता हू. बहुत दिन हो गये आए हुए.

ये बोलते-बोलते पापा ओन्ली लूँगी पहन कर अपना मस्त बदन लेकर खेतो में आयेज जाने लगे.

पापा: दिलीप चलेगा?

चाचा: नही, तू ही देख आ, जब तक मैं तुबेवेल्ल का पानी सॉफ कर देता हू देव के साथ.

हम दोनो फिर तुबेवेल्ल के पास बने रूम से मोटेर स्टार्ट करके, ट्री के नीचे बने तुबेवेल्ल को सॉफ करने लगे. बहुत दिन से गंदा हो रहा था. अभी भी सूरज पूरी तरह उपर नही आया था, और तोड़ा बहुत अंधेरा था.

तुबेवेल्ल सॉफ करते-करते हम दोनो के ही कपड़े गंदे हो गये. पापा खेतो में बहुत डोर थे. अब तो सही से दिख भी नही रहे थे.

मैं: चलो सॉफ हो ही गया. लेकिन कपड़े सारे गंदे हो गये.

चाचा: कॉन्सा कपड़े पहन कर नहाना था, चल उतार ले, तेरा बाप भी आता ही होगा.

हम दोनो अपने-अपने कपड़े उतार कर ओन्ली अंडरवेर में आ गये थे. चाचा के लंड का उभार उनकी ग्रे अंडरवेर से सॉफ नज़र आ रहा था, और मेरे मोटे चूचे अब चाचा के सामने थे. मेरी मोटी गांद ब्लॅक अंडरवेर में फ़ासस रही थी. तुबेवेल्ल में जाते हुए.

चाचा ( मेरी गांद को दबाते हुए): अपने गुब्बारे को लेकर तुबेवेल्ल में आजा.

उनका ऐसे मुझे छ्छूना मेरे लिए कुछ अलग ही था. बुत ये टच मुझे पापा से चाहिए था. चाचा और मैं आधे नंगे तुबेवेल्ल में बहुत मस्ती करने लगे. कभी वो मुझे पीछे से पकड़ लेते, और मेरे चूचों को अपने गरम-गरम हाथो से दबा देते. कभी मेरी गांद पर हाथ मार देते. मेरे कोई विरोध ना करने पर उनको और ज़्यादा हिम्मत मिल रही थी.

चाचा: तेरे चूचे तो लड़की जैसे है गोल-गोल.

मुझे फील हो रहा था अब शायद उनका लंड खड़ा हो रहा था धीरे-धीरे. पानी के अंदर सॉफ नज़र नही आ रहा था. तभी पापा भी आ गये. पापा को आता देख चाचा मेरे पीछे खड़े हो गये. उनका लंड अब मुझे पूरा मेरी गांद पर फील हो रहा था. हम दोनो कमर तक पानी के अंदर ही थे.

पापा: यार टाइम बहुत लग गया. पुर खेतो को खराब कर दिया है जनवरो ने. और तुम दोनो यहा मस्त मज़े कर रहे हो.

मैं: आप भी आ जाओ पापा लूँगी निकाल कर. बहुत मज़े आ रहे है.

पापा: लगता है चाचा के साथ मॅन लग गया है तुम्हारा.

पापा की बात सुन कर चाचा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया. वो अपनी ब्लू अंडरवेर में तुबेवेल्ल के अंदर आ गये. उनकी चेस्ट के बाल सीधे उनके अंडरवेर के अंदर जेया रहे थे.

पापा का अंडरवेर गीला होते ही उनके लोड का उभार और ज़्यादा सॉफ हो रहा था. सोया हुआ भी 5+ इंच लंबा लग रहा था. मेरे मूह में तो पानी आने लगा. जैसे ही चाचा मुझसे पंगे लेने लगे, मैने भी मौका देख कर हिम्मत करते हुए पापा को कस्स के कमर से पकड़ लिया.

फिर मैने बहुत देर तक पापा को छ्चोढा ही नही. आज ये मोमेंट मैं मिस नही करना चाहता था. मेरी गांद चाचा की तरफ और मेरा मूह पापा की कमर के पास था. मेरी इस हरकत से पापा को लोड्‍ा तोड़ा-तोड़ा टाइट होने लगा. बुत पानी के अंदर कुछ सॉफ नही दिख पा रहा था.

चाचा ने भी मौका देख कर अपना खड़ा लंड जो पानी के अंदर था, मेरी गांद पर लगा कर पीछे से खींचने लगे. मेरी नरम गांद से उनका लंड अब बिल्कुल टाइट हो गया था. चाचा के तेज़ी से खींचने से मैं उनकी गोद में ही गिर गया. इसी पोज़िशन में चाचा ने मुझे मेरे निपल्स से कस्स कर पकड़ लिया, और बोले-

चाचा: आज नही जाने दूँगा देव तुझे, तेरा बाप भी नही च्चूधा सकता आज तो.

फिर हम सब ही हासणे लगे. पापा को ये नॉर्मल लग रहा था, बुत चाचा एक अलग ही मूड में थे आज. और मैं तो ओन्ली पापा का जिस्म देख रहा था. मुझे चाचा क्या-कर रहे थे, उससे कोई मतलब नही था.

चाचा कुछ ज़्यादा वैसे भी नही कर सकते थे. बिकॉज़ मेरे पापा भी साथ थे, और पापा को ये सब अछा नही लगता. मस्ती करते-करते हमे 8 बाज गये थे. आज चाचा मेरी बॉडी के बहुत मज़े ले चुके थे, और मैं मेरे पापा की.

पापा: चलो घर के लिए लाते हो जाएँगे, धूप भी तेज़ होने लगी है.

पापा तुबेवेल्ल से बाहर आ कर कपड़े चेंज करने लगे. मैं तो बस पापा को ही देख रहा था, और उनके लंड का उभार देख कर मेरा दिल कही जाने का नही कर रहा था. चाचा भी अपने कपड़े चेंज कर चुके थे तब तक.

चाचा: देव तुम्हे कोई इन्विटेशन देना होगा क्या घर चलने का? या फिर नंगे ही चलोगे?

मैं ( शरमाते हुए): पापा वो जल्द-बाज़ी में अंडरवेर लाना भूल गया.

पापा: तुम कब बड़े होगे? सभी चीज़े हमे ही ध्यान रखनी होती है तुम्हारी.

चाचा: कोई नही यार, गुस्सा क्यूँ हो रहा है? बच्चा है, और वैसे भी हम दोनो ही तो है. बाहर आ कर कपड़े बदल ले, अंडरवेर घर जेया कर पहन लेना.

ये सुन कर मुझे बहुत शरम आने लगी.

पापा: जल्दी कर बेटा, तेरी मम्मी का कॉल आता ही होगा. ये बोल कर पापा बिके स्टार्ट करने लगे.

मैं बाहर निकल कर जैसे ही अंडरवेर निकाल कर नंगा हुआ, चाचा पीछे से मेरी गांद को लगातार देखे ही जेया रहे थे. जल्दी-जल्दी मैने कपड़े बदले, और फिर हम बीलके पर जाने लगे.

पापा (बिके चलते हुए ): आयेज से ध्यान रखा करो. अब बड़े हो गये हो तुम.

चाचा: कोई नही यार, हम तीनो मर्द ही तो है.

पापा: यार खेत की टेन्षन है. कल जॉब पर जाना है, और खेत का काम भी देखना होगा. आज बहुत डोर तक सब खराब हो रखा है. हर्ष होता तो सब देख लेता. लेकिन देव से तो कुछ होता ही नही है.

चाचा: कोई नही मैं कल आ कर देख लूँगा, और देव को भी सीखा दूँगा कैसे करते है. ठीक है देव? चाचू की मदद करोगे ना?

पापा के गुस्से से मुझे रोना आ रहा था.

मैं: ह्म ठीक है.

नेक्स्ट पार्ट में देखो कैसे चाचा और पापा के साथ मेरी इक्चा पूरी हुई.

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