Chachi ke badan ka Maza

ये सारी बातें मैंने एक सांस में बोल दी थी। ऐसा बोलते हुए अचानक मेरा हाथ उनके उभारों के ऊपर आ गया और मैंने उनको बुरी तरह मसलना शुरू कर दिया था।
क्या करता, आज तक मैंने अपनी असल जिंदगी में कभी उभार दबाये नहीं थे।

मैं हैवानो की तरह उन्हें निचोड़ने लगा तब तड़क वो मेरा विरोध नहीं कर पाई थी, फिर जैसे ही मैंने चूमने के लिए अपने होंठ उनके होंठो पे रखना चाहा उन्होंने मुझे रोकते हुए मेरे हाथ अपने उरोजों से हटा दिए और कहा- ऐसा नहीं बोलते, मैं तुम्हारी चाची हूं और मुझसे तुम्हें ऐसी बातें नहीं करना चाहिए।

तो मैंने भी जवाब में कह दिया- जब आप अपने जीजा के साथ सोती हो तो यह नहीं सोचती क्या कि आप शादीशुदा हो और जो आप उनके साथ करती हो वो गलत है? फिर अब ये शब्द अचानक कैसे याद आ रहे हैं आपको?
यह बोलते हुए मैंने उनको चूमना शुरू कर दिया।

इस बार वो मुझे रोक नहीं पाई मैंने बहुत देर तक उनके होंठों को चूसा, मम्मों को ऊपर से ही मसलने लगा।
वो अपने आप को मुझसे छुड़ाने के लिए थोड़ी बहुत कोशिशें करने लगी पर नाकाम रहीं।
जब मैं उनको चूम रहा था तो मेरे हाथ उनके चूतड़ों को मसल रहे थे।

इतना सब होने के बाद मुझे अचानक याद आया कि मैं सेक्स की आग में भड़क के कहीं कुछ गलत न कर बैठूँ जिससे मुझे आगे जिंदगी भर पछताना पड़े, इसलिए मैंने उनको ढीला करते हुए छोड़ दिया।

तब तक मेरा लंड फुंकार मार रहा था, पता नहीं उस समय मैं अपने आप को कैसे रोक पाया।
फिर मैंने उनको धीरे से कहा- चाचि, मुझे माफ़ कर दो, मैं थोड़ा बहक गया था! अगर आप नहीं चाहती कि मैं आपके साथ कुछ करूं तो मैं नहीं करूँगा, बस आप यह बात किसी को मत बताना!

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तब तक मैं उनको इतना उत्तेजित कर चुका था कि वो चुदे बिना नहीं रह सकती थी पर अपने आप को सम्भालते हुए बोली- कोई बात नहीं, जवानी में ऐसी गलती हो जाती है, तुम फिक्र मत करो, मैं किसी को नहीं बताऊँगी।

मैं उनका इशारा समझ गया था पर मैं उनको उनकी मर्जी से उनको चोदना चाहता था और जानता था कि ये आज नहीं तो कल खुद मुझसे चुदवायेगी।
मैं उस समय उनको उसी आग में छोड़ के वापस आ गया।
मैं मौके का इंतज़ार करने लगा।

फिर एक दिन चाचा की तबीयत थोड़ी ख़राब थी और चाची को किसी कारणवश अपनी बहन के यहाँ जाना था, घर में और लोगों के रहते हुए भी उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनको छोड़ दूं।
मैंने हाँ कर दी।

यह जानते हुए भी कि वो भी अब मुझसे चुदना चाहती है, मैं अपनी तरफ से कोई हड़बड़ी नहीं कर रहा था, उनको ले जाते समय रास्ते में मैंने उनसे कोई बात नहीं की और न ही उन्होंने मुझसे कुछ कहा।

जब सड़क में गड्ढे आ जाते थे तो मेरी ओर सरक जाती थी, तब उनके दूध जब मेरे पिछवाड़े को छूते थे तो मेरा लंड सलामी देने लगता था पर फिर भी मैं अपने आप को कंट्रोल करता था।

उस दिन अच्छे से मैंने उनको वहाँ से वापस ले आया।

कई दिन तक मैंने मुठ मार के काम चलाया पर एक दिन जब मेरा चोदने का बहुत मन करने लगा था और ठीक उसी दिन उन्होंने मुझसे कुछ दवाई मंगवाई।
मैंने सोच लिया कि आज चांस मार लेना चाहिए।

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