मैंने स्कूल से वापस आते समय उनके दवाई की थैली में कंडोम खरीद कर डाल दिया था और आते ही मैं उन्हें देने गया।
संयोग से जब देने गया तब घर में सिर्फ वही थी।
उस समय भी बिना कुछ कहे मैं वो थैली पकड़ा के वापस आ गया।
फिर जब मुझे लगा की अब तक वो कंडोम को देख चुकी होगी तो घूमने के बहाने उनके घर के पास गया।
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वो भी घर से निकली और इशारे से मुझे कुछ बोलना चाह रही थी पर मैं समझ नहीं पाया, मैंने भी इशारे में कह दिया कि थोड़ी देर बाद में आता हूं जब चाचा नहीं रहेंगे।
वो भी हाँ में सर हिला के वापस कमरे में घुस गई।
मैं फिर थोड़ी देर बाद उनके घर गया जब चाचा नहीं थे।
मैंने कहा- क्या बोलना चाह रही थी बोलो?
तो उन्होंने कहा- मेरे उस दिन मना न करने के बावजूद भी तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं और बिना कुछ किये मुझे तड़पा के वापस चले गए, यहाँ तक कि आज तक तुमने मेरी कोई भी बात नहीं टाली तो अब मैं भी तुम्हारे लिए कुछ करना चाहती हूं, तुम जो चाहे कर सकते हो मेरे साथ… मैं भी तुम्हारे साथ सोने के लिए बेताब हूं।
इतना बोल के जब उन्होंने सिर झुका लिया तो मैंने उनका हाथ पकड़ के सीधा कहा- कब और कहाँ?
उन्होंने कहा- आज रात 10 बजे घर के पीछे वाले खेत में पेड़ के नीचे मिलना!
मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे और हाँ में सर हिलाते हुए मैं वहाँ से आ गया।
मैं बहुत खुश हो रहा था और रात में 9:30 से ही पेड़ के नीचे उनका इंतज़ार करने लगा।
जैसे ही ठीक 10 बजे, वो आते हुए दिखी मुझे, मेरी धड़कने तेज होने लगी। चाँदनी रात में लाल साड़ी पहने जब वो मेरे पास आ रही थी तो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
एक एक सेकंड मेरे लिए भारी होता जा रहा था, वो हल्के हल्के कदम से मेरे पास आती जा रहीं थी और मैं एकटक उनकी ओर निहार रहा था। जब वो एकदम से मेरे पास में आकर मेरे सामने खड़ी हो गई तो मैंने उनके दाहिने हाथ को अपने हाथ में लेकर चूम लिया, तो उन्होंने शर्म से अपना सर नीचे झुका लिया।
फिर मैंने उनकी चोटी को पकड़ते हुए उनका सर ऊपर उठाया और अपने होंठ उनके होंठों पे रख दिए।
उनकी सांसें गर्म हो चुकी थी।
मैंने अपनी जीभ से उनका मुंह खोला और जीभ के साथ खेलने लगा। मैं उनकी पीठ पे हाथ फेरने लगा धीरे धीरे मेरे हाथ उनके चूतड़ तक पहुँच गए और मैं उन्हें मसलने लगा।
अब मैं उनके होंठों को चूस रहा था, वो भी गर्म हो रही थीं।
लगभग 5 मिनट तक उन्हें अच्छी तरह से चाटने के बाद मैंने उनके चूतड़ों को कसकर पकड़ के अपनी गोदी में उठा लिया।
वो भी मेरी गर्दन को अपनी बाहों में जकड़ के आराम से मेरी गोदी के सहारे लटकी रहीं।
इस अवस्था में ठीक उनकी चूत मेरे लंड के सामने थी और उनके उभार मेरे मुंह के सामने… मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनके उरोजों को चूमने लगा और मेरा लंड तो ऐसे फुंफ़कार रहा था मानो अभी पैंट चीर के उनकी चूत को फाड़ दे।
मैं कपड़े के ऊपर से ही दोनों उभारों को बारी बारी से दांतों से काट रहा था।
फिर धीरे से मैंन उनको जमीन में लेटाया और ब्लाउज के बटन खोलने चालू कर दिए।