ये मेरी ट्रेन की चुदाई का 3 पार्ट है. अगर आप नये हो तो पहले 2 स्टोरी पाडीए, की कैसे मैं इस सिचुयेशन में अपनी गांद मरवाता हू.
ट्रेन में मेरा आखरी दिन था. मेरा स्टेशन आने वाला था दिन में, तो मैं अपना समान रेडी करके चेंज कर लिया. तभी एक रेलवे क्लीनिंग स्टाफ मुझे देख रहा था. उसकी नज़र से पता नही चल रहा था की वो मुझसे अट्रॅक्ट हो रहा था. वो अपना टाय्लेट के पास काम कर रहा था.
मैं भी उस पर उतना ध्यान नही दिया, और टाय्लेट में घुस कर चेंज करने लगा. फ्रेश हो कर अपनी चूड़ी हुई गांद देख कर मुझे बहुत अछा लग रहा था. फिर मैं वापस अपनी सीट पर आ गया. उसके बाद मैं अपना लंच खाने लगा और फोन उसे कर रहा था. ऐसे ही टाइम बीट-ता गया और मेरा स्टेशन आने का वक़्त हो गया.
1 अवर बाकी था मेरा स्टेशन आने को. तभी वो त्क मेरे सामने से गुज़रा. वो मुझे ही घूरे हा रहा था. थोड़ी देर बाद वो आ कर मेरे सीट पर बैठ गया, और उससे दारू की स्मेल आ रही थी. मुझे देख कर वो अपनी पंत के उपर से लंड मसल रहा था. उसकी हवस दिख रही थी.
फिर वो उठा और चला गया. मैं भी सोचा साला दारू पी कर पागल हो गया लगता. फिर जैसे ही स्टेशन आया तो लोग निकालने लगे. और आपको तो पता है इंडिया में रेलवे स्टेशन पर कैसे लोग भीड़ (क्राउड) में निकलते है. तो मैं थोड़ी देर रुक गया.
लोग सारे निकल गये तो मैं निकल ही रहा था तभी वो त्क वाहा आ गया. सारे लोग कॉमपार्टमेंट से निकल गये थे. उसके साथ ट्रेन के पॅंट्री डिपार्टमेंट का एक आदमी भी था.
त्क: क्यूँ रे भद्वे, कहा जेया रहा है?
मैं: अर्रे सिर मेरा स्टेशन आ गया, उतरने दो मुझे.
त्क: इतनी आसानी से नही मदारचोड़. मेरा लंड तेरी गांद का दीवाना हो चुका है.
मैं: अर्रे सिर क्या इरादा है आपका?
त्क: तेरी चुड़क्कड़ गांद छोड़ने का. चल अंदर तेरी गांद मारूँगा सेयेल.
वो मुझे मेरे सीट पे वापस ले गया. ट्रेन से लोग तो उतार गये थे, पर प्लॅटफॉर्म पे लोग थे.
त्क: इसे देख ये मेरा चेला आज तेरी गांद ये भी छोड़ेगा.
मैं: अर्रे साहब एक बार तो हो गया, अब बार-बार क्यूँ?
त्क: चुप मदारचोड़. तेरी गांद मार के रहूँगा, वो भी ज़बरदस्त तरीके से. तेरी ये मोटी चुड़क्कड़ गांद में ये लंड घुसौंगा और छोड़ूँगा तुझे.
फिर वो बगल वाली सीट पर बैठ कर अपना लंड निकाल लेता है. एक-दूं कड़क मोटा 6.5 इंच का काला लंड. मुझे देख कर उसका लंड एक-दूं लोहे की तरह कड़क हो गया था. उफ़फ्फ़, क्या लंड था वो. आज भी सोचता हू तो मूह में पानी आता है.
त्क: ये देख कैसे तेरी गांद में जाने के लिए खड़ा है.
मुझे इतना ज़ोर से हॉर्नी फील हुआ की क्या बतौ. मुझे मेरा च्छेद खुलने का फील आने लगा. मैं जल्दी से घुटनो के बाल बैठा और उसके लंड के टोपे को चूमा दिया. फिर टंग से लंड के पीछे के पार्ट को लीक किया, और फुल रंडियों वाले एक्सप्रेशन से मूह में ले लिया और रंडियों की तरह चूसने लगा.
त्क: देख-देख बदवा कैसे चूस रहा है. सेयेल भद्वे कही के.
मैं (लंड चूस्टे हुए): उम्म एमेम स्लर्प स्लर्प उम्म्म उम्म्म.
त्क: आआहह रंडी, क्या चूस्टा है रे तू. लंड का दीवाना लगता है तू. थूक लगा, और रंडी खा जेया मेरा मोटे लंड को. तेरा मूह अपने माल से भर दूँगा रंडी भद्वे मदारचोड़.
मैं: तो गांद नही मारेगा मेरी?
त्क: हा चल अभी तेरी गांद छोड़ता हू.
उसके साथ एक पॅंट्री डिपार्टमेंट से लड़का था. वो भी कोने में खड़े हो कर मुझे देख कर लंड हिला रहा था. उसका लंड करीबन 4 इंच का था. वो लड़के का नाम राजू था.
त्क: देख राजू, कितनी बड़ी रंडी है साली.
फिर मैने पंत खोली, और सीट पे डॉगी स्टाइल में गांद उपर करके लेट गया. मैं कुत्टो की तरह गांद को उपर करके था.
त्क: उफ़फ्फ़, गांद देख क्या मोटी चुड़क्कड़ है एक-दूं.
फिर त्क ने मेरी गांद में अपना मूह डाल दिया. वो मेरी गांद के च्छेद को सूंघने लगा, और थूक लगा कर चाटने लगा. मेरे च्छेद में जीभ भी घुसा रहा था.
त्क: उफफफफफ्फ़ क्या गांद है तेरी, पूरी रंडी औरतों को तरह मोटी गांद है. (मेरा च्छेद चाट-ते हुए) एक-दूं विद्या बालन की तरह गांद है तेरी. उफ़फ्फ़ खा जौ तेरी गांद को पूरा मैं. उम्म्म्म म्म्म्मम
तभी ट्रेन की खिड़की पे 2 आदमी और आ गये और ट्रेन के खिड़की में से हमे देख रहे थे. और वो पॅंट्री का बंदा हिलाते जेया रहा था. और त्क मेरी गांद के मज़े ले रहा था. शायद वो दो आदमी भी मेरी गांद को देख कर हिला रहे होंगे.
त्क: उफफफफफफ्फ़ क्या चुड़क्कड़ है यार तू तो.
फिर त्क ने मेरी गांद के च्छेद में थूक लगा कर अपना लंड मेरे च्छेद में सेट किया, और ज़ोर से घुसेध दिया. मुझे दर्द हुआ, पर मज़ा आने लग गया. उसका मोटा काला लंड मेरी गांद चियर रहा था. वो मेरी गांद को थप्पड़ मारते हुए मेरी गांद छोड़ रहा था. मुझे फुल रंडियों जैसा मज़ा आ रहा था. उफफफफफ्फ़, वो चुदाई आज तक मेरी गांद के च्छेद में महसूस होती है.
त्क: उफफफफ्फ़, क्या टाइट च्छेद है तेरा. लगता नही कल ही तुझे छोड़ा था.
मैं: आआहह छोड़ मुझे.
त्क: छोड़ रहा हू रंडी. मेरी बीवी से भी मस्त चुड़क्कड़ गांद है तेरी. अची-अची औरतों को फैल कर देगा तू.
मैं: रंडी बना दे मुझे आहह. भद्वे और ज़ोर से छोड़ ना.
त्क: सेयेल तू साला गन्दू. तू औरत होता तुझे छोड़-छोड़ के प्रेग्नेंट कर देता. उफफफफफफफ्फ़ तेरी मोटी गांद लंड निकाल ले रही है.
वो पॅंट्री का बंदा: साहब हमे भी एक बार इसकी गांद मारने दो. लंड खड़ा है.
त्क: आजा लेले साली रंडी की गांद खुली है.
वो पॅंट्री का बंदा आ कर मेरी गांद में लंड डाला, और छोड़ने लगा. उसके लंड में उतना दूं नही था. वो छोड़ तो रहा था पर वो मज़ा नही था. वो 5-6 बार गांद में शॉट मरने के बाद झाड़ गया. फिर मैने उसका लंड चूस के सॉफ किया, और वो हॅट गया.
त्क (वो पॅंट्री वाले बंदे को): भक सेयेल, तुझे छोड़ना नही आता क्या? अपनी बीवी को छोड़ता भी है या किसी और को छोड़ने देता है?
त्क: इसकी गांद फाड़ता हू.
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया, और च्छेद में घुसेध दिया थूक लगा कर. अब उसकी चुदाई फुल स्पीड में होने लगी. वो इतना ज़ोरो से छोड़ रहा था की मेरी गांद का च्छेद सुन्न पद गया. और छोड़ते समय ठप ठप ठप ठप करके ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ भी आने लगी. ऐसे छोड़ रहा था, जैसे उसके लंड में मशीन गुण लगा दी गयी हो.
मैं: आहह आहह ह फक फक.
मेरी आखों से पानी आने लगा था तोड़ा सा. और वो ज़ालिम कुत्तों की तरह मेरी गांद फाड़ रहा था.
त्क: ऑश यॅ साली ऐसी ही गांद तो तेरी मा की भी होगी.
मैं: हा.
त्क: उफफफफफफ्फ़ एक दिन तेरी मा को भी ऐसे छोड़ूँगा. बेटे की गांद ऐसी है, तो मा और भी ज़्यादा चुड़क्कड़ होगी.
मैं: मोटी चुड़क्कड़ मा है मेरी साहब.
त्क: उफफफफफ्फ़ ले और ले. ले साली रंडी छिनाल साली.
ऐसे ही वो मुझे 20 मिनिट्स तक छोड़ता रहा. मेरी गांद में दर्द महसूस नही हो रहा था. पर उसकी ये रफ चुदाई से मेरे लंड का माल निकल गया.
त्क: ऑश यॅ रंडी. मूह दे मूह दे जल्दी मेरा मूठ निकालने वाला है.
मैं (उसका लंड मूह लेते हुए): उम्म्म एम्म्म.
त्क: आआआः ये ले आहह.
त्क के मोटे लंड का मूठ मेरी फेस में पूरा फैल गया. फिर मैं त्क की आखों में आँखें डाल का उसके लंड का लास्ट ड्रॉप भी फुल रंडियों वाले एक्सप्रेशन में चूस रहा था. पूरा मूह में स्पर्म, और उसके लंड को एक चुम्मा देकर छ्चोढ़ दिया. वो त्क तक गया था. पसीना पसीना हो गया था वो.
त्क: उफफफफफफफ्फ़ मज़ा आ गया रंडी. मुझे अपना नंबर देते जाना, तुझे बाद में भी छोड़ूँगा.
और फिर वो पंत पहन कर वाहा से चला गया. उसका साथ उसका साथी जो छोड़ नही सका वो भी चला गया. स्टेशन से खिड़की के अंदर झाँकने वाले भी निकल गये थे.
फिर मैने पंत पहनी, और बाग लेकर निकल गया. पर उसका मूठ मुझे इतना पसंद आया की मैने उसका माल अपने फेस पे ही रखा. मैं ट्रेन से उतार गया और बाग लेकर निकल रहा था. बहुत लोगों की नज़र मेरे पे पड़ी. कोई हस्स रहा था, और कोई कन्फ्यूषन में मुझे देख रहा था.
जहा पे वो 2 आदमी खड़े थे, वाहा भी स्पर्म के ड्रॉप्स पड़े थे. मतलब वो लोग भी मेरी चुदाई देख कर मूठ मार रहे थे. मैं अपनी मोटी गांद नोरा फतेही की तरह मतकते हुए स्टेशन से निकल गया.
तो ये रही मेरी फुल ट्रेन के सफ़र की चुदाई वाली कहानी. आप लोगों को बता डू की ये सच में घटना हुई थी सठरगाची स्टेशन पे कोलकाता में. मेरी और भी चुदाई के स्टोरीस मैने लिखी है, अगर आप लोगों को पसंद आए तो ज़रूर पढ़े और मेरे नाम से लंड हिलाए. मुझे अछा लगता है जब मेरे उपर या मुझे सोच कर कोई लंड हिला कर माल निकालता हो.
आप सभी मुझे ( इंटेस्टाइनल.टूट86@गमाल.कॉम) में एमाइल कर सकते हो. मैं वाहा आपको मेरी इंस्था ईद भी दे सकता हू. आपको अगर मेरे साथ मज़े लेने है, तो मुझे गंदी-गंदी गालियाँ देकर मुझे मेसेज करे मुझे अछा लगता है. आपका लंड और मेरा मूह और गांद की मज़े ज़रूर ले.
मैं और भी स्टोरी लिखूंगा जो-जो मेरे साथ होता आया है. आप सभी के लंड से माल निकलवाने की ज़िम्मेदारी मेरी है. तो आप सभी हिलाते रहिए, मूठ निकालते रहिए, और मेरी गांद बजाते रहिए. आपका बॉटम गे राज फिर हाज़िर होगा.
उम्माह ( ये किस आप सभी के लंड को जाता है).