हे फ्रेंड्स, मेरा नाम ऋतु है. मैं 2न्ड एअर कॉलेज की स्टूडेंट हू. मेरी हाइट 5’6″ है, और रंग गोरा है. फिगर मेरा 34-30-36 है, और लड़के मुझ पर बहुत लाइन मारते है. अब इतनी सेक्सी लड़की पर लाइन तो मारेंगे ही.
लेकिन मैं किसी लड़के को घास नही डालती. डालूंगी भी कैसे, मेरा पास घास होती ही नही है, हाहाहा. जोक्स अपार्ट, मैं इसलिए घास नही डालती, क्यूंकी मुझे लड़कों में इंटेरेस्ट नही है.
जी हा, आप सब ने बिल्कुल सही सुना, की मुझे लड़कों में इंटेरेस्ट नही है. क्यूंकी मैं एक लेज़्बीयन हू. मुझे लड़कियाँ बहुत अची लगती है, और सेक्सी लड़कियों को देख कर मेरी छूट में से पानी निकालने लगता है. ये कहानी मेरे पहले सेक्स की कहानी है, जो पिछले साल हुआ. तो चलिए अपनी कहानी शुरू करती हू.
मेरी फॅमिली में मेरे अलावा मम्मी, डॅडी, और मेरी बड़ी बेहन है. मेरी बेहन का नाम श्वेता है, लेकिन मैं उसको दीदी ही बुलाती हू. वो मेरे से 3 साल बड़ी है. उसका रंग भी मेरी तरह गोरा ही है. फिगर उसका 36-32-36 है. मस्त दिखती है वो.
मुझे अपनी बेहन के लिए काफ़ी वक़्त से अट्रॅक्षन था. जब मुझे ये बात क्लियर हुई, की मुझे लड़कों के लिए नही बल्कि लड़कियों के लिए सेक्षुयल फीलिंग आती है, तो मेरा अट्रॅक्षन सेक्षुयल अट्रॅक्षन में बदल गया.
अब जब भी दीदी मेरे आस-पास होती थी, तो मैं उनकी ही देखती रहती थी. उनके मस्त बूब्स, मटकती गांद देख कर मुझे कुछ-कुछ होने लगा था. दीदी घर पर ज़्यादातर त-शर्ट और पाजामा ही पहनती है. जब भी वो झुकती है, तो उनकी क्लीवेज दिखती है.
उनकी क्लीवेज देख कर मेरे मूह में पानी आने लगता था. हम दोनो में से दीदी हमेशा पहले नहाती थी सुबा. फिर जब मैं नहाने जाती थी, तो दीदी की पनटी सूंघने लगती. उनकी छूट की खुश्बू मुझे मदहोश करने लगी थी. ब्रा सूंघ कर तो लगता था की खा ही जौ.
वैसे तो मेरा और दीदी का रूम अलग-अलग था, लेकिन हम ज़्यादातर साथ सोते थे. कभी-कभी मैं पूरी रात दीदी को देखती रहती थी, और अपनी छूट सहलाती रहती थी. फिर एक दिन मुझसे कंट्रोल नही हुआ, और मैने अपना पहला चान्स लिया. चलिए बताती हू सब कैसे हुआ.
मैं और दीदी एक ही बेड पर सोए हुए थे. दीदी ने पिंक लूस त-शर्ट और पाजामा पहना हुआ था. वो सीधी सोई हुई थी. रात के 11 बाज चुके थे, और मुझे नींद नही आ रही थी. दीदी के उपर की तरफ खड़े हुए बूब्स देख कर मेरी छूट में खुजली हो रही थी.
मुझसे अपनी खुजली कंट्रोल नही हुई, और मैने हिम्मत करके आज कुछ करने का फैंसला किया. फिर मैने अपना हाथ आयेज बढ़ाया, और दीदी के बूब्स पर रख दिया. दीदी के बूब्स मेरे बूब्स से हार्ड थे. उनके बूब्स पर हाथ रखते ही मेरी छूट गीली होनी शुरू हो गयी, और मेरी साँस तेज़ होनी शुरू हो गयी.
फिर मैने दीदी के एक बूब को हल्के हाथ से दबाया. इसमे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मेरा दिल मुझे आयेज बढ़ने के लिए बोल रहा था. फिर मैं अपना हाथ नीचे लेके गयी. मैने हाथ दीदी की जांघों के बीच छूट वाले एरिया पर रखा, और दीदी की छूट को फील करने की कोशिश करने लगी.
पाजामा और पनटी के उपर से कुछ ज़्यादा समझ में नही आ रहा था. फिर मैने अंदर हाथ डालने का डिसाइड किया. लेकिन उससे पहले मैं ये चेक करना चाहती थी, की दीदी गहरी नींद में थी या नही.
ये सोच कर मैने दीदी को 3-4 आवाज़े लगाई. जब उनकी तरफ से कोई रिक्षन नही आया, तो मैने उनके पाजामे का एलास्टिक खींच कर अपना हाथ अंदर डाल लिया. फिर जब मैने दीदी की पनटी के उपर से दीदी की छूट पर हाथ लगाया, तो मुझे उनकी छूट के बाल महसूस हुए.
ओह मी गोद! कितना ज़बरदस्त एहसास था. मेरी छूट ने पानी छ्चोढना शुरू कर दिया. मैं अपना हाथ उनकी छूट पर धीरे-धीरे फेरने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अब मैं और आयेज बढ़ना चाहती थी.
फिर मैने दीदी का फेस देखा, तो कोई रिक्षन नही था उनके फेस पे. उसके बाद मैने दीदी की पनटी के बॉर्डर में उंगली डाली, और उनको उपर उठाया. फिर मैने उनकी पनटी के अंदर हाथ डाल लिया.
मेरा हाथ सीधा दीदी की झांतो पर लगा. उनकी छूट के बाल काफ़ी बड़े थे. ऐसा लग रहा था जैसे उन्होने काफ़ी दीनो से अपनी छूट क्लीन नही की थी. लेकिन मुझे बड़ी खुशी थी, की उनकी छूट पर बाल थे. क्यूंकी उनके बालों से मुझे ज़बरदस्त किक मिल रही थी.
फिर मैने हाथ आयेज बढ़ाया, और उनकी छूट के मूह पर ले गयी. उनकी छूट के मूह पर थोड़ी नामी थी. ऐसा लग रहा था की मेरे टच करने से दीदी की छूट थोड़ी-थोड़ी गीली होनी शुरू हो गयी थी. बाप रे, क्या फीलिंग थी.
मैं उनकी छूट की पंखुड़ियों को हल्के से सहलाने लग गयी. उनकी छूट की पंखुड़ीयान मेरी छूट से बड़ी थी, और ज़्यादा मुलायम भी थी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. दिल तो कर रहा था अभी उन पर चढ़ जौ, लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नही थी.
अब मैं दीदी की छूट के मूह पर हल्के-हल्के से उंगली फेर रही थी. फिर मैने दूसरे हाथ से उनकी त-शर्ट उपर करनी शुरू की. उपर करके उनकी त-शर्ट को मैने उनके बूब्स के उपर तक कर दिया. अब मेरी दीदी का सेक्सी पेट, और ब्रा में काससे हुए रसीले बूब्स मेरे सामने थे.
पहले मैने उनके पेट पर अपना मूह लगाया, और किस करने लग गयी. फिर मैं उनकी नाभि में जीभ डाल कर चाटने लग गयी. नमकीन-नमकीन स्वाद आ रहा था, जो की बड़ा मज़ेदार था.
फिर मैं उपर गयी, और उनकी ब्रा में से उनका बूब निकालने की ट्राइ करने लगी. जैसे-तैसे मैने उनका रिघ्त बूब बाहर निकाला, और उसके निपल को अपने मूह में डाल लिया. अभी मैने उनके बूब को चूसना शुरू ही किया था, की दीदी की आँख खुल गयी. उन्होने नीचे देखा, और हैरान होके उठ के बैठ गयी. अब वो घूर-घूर कर मुझे देख रही थी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगली स्टोरी में पता चलेगा. अगर यहा कर कहानी पढ़ कर आपने एंजाय किया हो, तो अपनी फीडबॅक कॉमेंट्स में ज़रूर देना.