सेक्स की गर्मी उतर गयी

sex ki garmi utar gaiदोस्तों यह एक प्रोफ़ेसर साहब की कहानी है जिन्होंने अपनी स्टूडेंट को ही पटा कर चोद दिया और अब कहानी कुछ एसी है उस सुबह जब नीरज ने आँखें खोली तो सबसे पहली चीज़ जो उसके हाथ में आई वो उसका मोबाइल फोन था. उसने एक नज़र अपनी साइड में सो रही अपनी बीवी पर डाली और बेड से उठकर खिड़की पर खड़ा हो गया.

“वेल?” उसने सेल में एक मेसेज टाइप किया और स्मृति को भेज दिया

1 मिनिट बाद ही स्मृति का जवाब आ गया.

“दा पिल्स डिड्न्ट वर्क. आइ आम स्टिल प्रेग्नेंट”

नीरज का दिल बैठ गया.

“आर यू श्योर?” उसने फिर मेसेज भेजा

“ऑफ कोर्स आइ आम श्योर” स्मृति का जवाब आया “आइ आम स्टिल प्रेग्नेंट”

नीरज को जैसे खड़े खड़े चक्कर आने लगे. वो वहीं साइड में रखी कुर्सी पर सहारा लेकर बैठ गया. उसकी सारी दुनिया जैसी इस बात पर टिकी हुई थी के वो गोलियाँ काम कर जाएँगी पर ऐसा हुआ नही था और अब उसको समझ नही आ रहा था के क्या करे.

नीरज शहर के सबसे बड़े कॉलेज में लेक्चरर था. उमर 35 साल, कद 6 फुट, रंग गोरा, बिल्ट अथलेटिक. उसके पास वो सब कुछ था जो एक इंसान को अपनी ज़िंदगी में चाहिए हो सकता था. एक अच्छी नौकरी, एक सुंदर बीवी, एक 5 साल की बेटी, घर, गाड़ी, पैसा सब कुछ. वो अपनी बीवी से बहुत प्यार करता था जिससे की उसने 10 साल के अफेर के बाद लव मॅरेज की थी. वो और उसकी बीवी रूचि एक ही स्कूल में पढ़ते थे और साथ साथ आते जाते थे. वहीं दोनो की बचपन की दोस्ती प्यार में बदली, प्यार 10 साल तक परवान चढ़ा और फिर दोनो ने शादी कर ली.

नीरज की पूरी ज़िंदगी में रूचि के सिवा और कोई दूसरी लड़की नही आई थी और ना ही नीरज को किसी और लड़की की ज़रूरत पड़ी. रूचि एक बहुत खूबसूरत औरत थी. रूचि वो सब कुछ थी जो एक मर्द को अपनी बीवी में चाहिए हो सकता है. दिन में घर में एक ख्याल रखने वाली माँ, बात करने लिए एक बहुत अच्छी दोस्त और रात को बिस्तर पर पूरी रंडी. यही तो चाहता है हर मर्द के औरत से और ये सब कुछ नीरज को रूचि से हासिल हो रहा था. वो उसकी लाइफ में पहली लड़की थी और आखरी भी, ऐसा नीरज ने मान लिया था. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

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और फिर उसकी पूरी लाइफ को उत्पल पुथल करने के लिए आई स्मृति. वो 1st की स्टूडेंट थी और कॉलेज का शायद ही कोई लड़का होगा जो उसके पिछे नही था. पर वो आकर गिरी नीरज की झोली में, कैसे ये उसे खुद को कभी समझ नही आया.

ऐसा नही था के वो इस लायक नही था, पर वो खुद कैसे स्मृति के चक्कर में पड़ गया, ये उसको समझ नही आया.

जब स्मृति ने उसकी तरफ अपना इंटेरेस्ट दिखाया तो ये नीरज के लिए कोई नयी बात नही था. वो शकल सूरत से एक बहुत हॅंडसम आदमी था और अक्सर उसकी कई स्टूडेंट्स उसको लाइन मारती थी. कुछ उसके प्यार में पड़ जाती थी, कुछ बस उसके साथ घूमना चाहती थी क्यूंकी वो बहुत हॅंडसम आदमी था और कुछ उसके साथ सिर्फ़ एग्ज़ॅम में अच्छे नंबर्स हासिल करने के लिए सोना चाहती थी. पर इन सबको नीरज ने कभी कोई लिफ्ट नही दी.

और स्मृति के आने के बाद सब बदल गया. वो शहर के एक बहुत बड़े अमीर बाप की औलाद थी पर उसके हाव भाव से ऐसा बिल्कुल नही लगता था. वो एक सीधी सादी सी, खामोश सी रहने वाली लड़की थी. ना ज़्यादा किसी से बात करती थी, ना ज़्यादा किसी के मुँह लगती थी.

वो दिन नीरज को आज भी अच्छी तरह से याद था जब उसके और स्मृति के रिश्ते की शुरआत हुई थी. कॉलेज ख़तम हो चुका था और सिर्फ़ कुछ प्रोफेस्सर्स ही अपने ऑफिसस में बच गये थे. नीरज भी अपने ऑफीस में बैठा काम निपटा रहा था के दरवाज़ा खुला और स्मृति अंदर आ गयी. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

“स्मृति” नीरज हैरत से उसको देखता हुआ बोला “वॉट आर यू स्टिल डूयिंग हियर?”

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“नतिंग” उसने गोल मोल सा जवाब दिया और चलती हुई नीरज के करीब आई “आइ वांटेड टू टॉक टू यू”

वो नीरज के बिल्कुल करीब आकर खड़ी हो गयी थी.

“यॅ स्यौर” नीरज भी अपना पेन टेबल पर रख कर उसकी तरफ घूमते हुए बोला “अबौट वॉट?”

और इसके जवाब में उसके करीब ही खड़ी स्मृति एकदम नज़दीक आई और झुक कर कुर्सी पर बैठे हुए नीरज के होंठो को चूम लिया.

“वोओओओ उूओ उूओ” नीरज फ़ौरन उठ खड़ा हुआ और स्मृति को दूर करते हुए बोला “वॉट आर यू डूयिंग?”

“वॉट?” स्मृति हैरत से उसकी तरफ देखती हुई बोली “आइ लव यू आंड आइ वॉंट यू”

और उसके बाद अगले 2 घंटे तक नीरज उसको यही समझाता रहा के ऐसा नही हो सकता और के वो शादी शुदा है. उस वक़्त तो स्मृति समझ कर वहाँ से चली गयी और उस एक किस ने जाने ऐसा क्या किया के फिर नीरज खुद उसकी तरफ झुकता चला गया. वो खुद स्मृति को अपना इंटेरेस्ट दिखाने लगा, खुद धीरे धीरे उसके करीब आया और जब उसने पहली बार स्मृति को चोदा था तो वो जानता था के वो बिस्तर पर पहली बार किसी मर्द के साथ आई थी.

स्मृति को बिस्तर तक लाने में नीरज को ख़ासी मेहनत करनी पड़ी थी. और शायद यही वजह थी के वो और उसकी तरफ खींचा चला गया. रूचि बिस्तर पर जैसे एक भूखी शेरनी थी जो नीरज के साथ बराबर की जंग लड़ती थी पर स्मृति सुब्मिस्सिवे टाइप थी. वो उनमें से थी जो बिस्तर पर शरमाती हैं, मर्द के पहेल करने का इंतेज़ार करती हैं, मर्द को ही बिस्तर पर सब कुछ करने देती है पर वो जो भी करना चाहता है, उसके लिए मना भी नही करती. रूचि को भी नीरज शादी से बहुत पहले कॉलेज में ही चोद चुका था पर वो उसकी कम और रूचि की मर्ज़ी से ज़्यादा हुआ था. बहला फुसला कर एक लड़की को बिस्तर तक लाने का खेल उसके लिए नया था और स्मृति के साथ ये खेल खेलते हुए उसको बहुत मज़ा आया था.

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