Savita Chachi Aur Pados Ki Chudasi Auntiyan- Part 2

उन्होंने कहा- थकान उतरी या नहीं?
मैंने कहा- आंटी मैं बिल्कुल ठीक हूँ अब फ्रेश हूँ.. देखो लंड फिर से खड़ा भी है।
उन्होंने हँस कर कहा- चल पागल.. अब तू बहुत बोलने लगा है।

मैं बाहर जाकर फ्रेश होकर, ब्रश करके वापस कमरे में आया। तब तक आंटी मेरे कमरे में ही थीं और मैगज़ीन पढ़ रही थीं। मैं अभी तक नंगा ही था।

आंटी ने गाउन पहन रखा था वो चेयर पर बैठी हुई थीं और अपनी टाँगों को बिस्तर पर रखा हुआ था। उन्होंने जान बूझ कर अपनी टाँगें ऊपर कर रखी थीं। इसलिए उनकी मोटी-मोटी जांघें दिखाई दे रही थीं।

मुझे अपनी चड्डी नहीं मिल रही थी। उन्होंने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- चड्डी नहीं मिल रही है।
उन्होंने कहा- मुझे पता है.. जब तुम बाहर गए थे.. तब मैंने छुपा दी थी।
मैंने कहा- बताओ ना कहाँ है?

उन्होंने अपना गाउन धीरे से ऊपर किया.. मैंने देखा उन्होंने मेरी चड्डी पहन रखी थी।

अब उन्होंने अपना पूरा गाउन उतार दिया। वो सिर्फ़ एक जॉकी की चड्डी में थीं.. जो उन्होंने अपनी बड़ी से गाण्ड के ऊपर फंसा रखी थी। उसमें से उनके कूल्हे बाहर निकल रहे थे।

उन्होंने कहा- ले लो अपनी चड्डी..

मैंने झट से चड्डी उतार ली और देखा कि आंटी ने शायद आज ही अपनी चूत के बाल शेव किए थे।
शायद उन्होंने चूत में कुछ लगाया था जिससे उनकी चूत महक रही थी।

वो घुटनों के बल बैठ गईं और मेरे सोए हुए लंड को मुँह में लेकर खड़ा करने की कोशिश करने लगीं। मेरा लंड खड़ा हो गया.. तो वो घोड़ी बन गईं।

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उन्होंने मुझसे कहा- अब चोदो अपनी आंटी को..
मैंने लौड़ा फिट किया.. और कुछ झटके लगाए।

उन्होंने कुछ धक्कों के बाद लंड को निकालवाया फिर मुझे सीढ़ियों पर लेकर गईं। वहाँ उन्होंने मुझसे चुदवाया। वो मेरे ऊपर बैठ कर ऊपर-नीचे हो रही थीं।

थोड़ी देर बाद वो मुझे अपने कमरे में ले गईं.. वहाँ उन्होंने मेरा लंड मम्मों के बीच डलवाया.. मैंने उनके मम्मों को चोदा। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा माल अपने दूध पर निकलवा लिया।

वो मम्मों पर माल समेटे हुए रसोई में गईं और उस वीर्य को ब्रेड पर लगा कर खा लिया।
सच में आंटी तो बहुत सेक्सी निकलीं, उनकी इस हरकत को देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

खुली छत पर गांड चुदाई

फिर वो मुझे छत पर ले गईं पर छुपके.. ताकि कोई देख ना ले। पानी की टंकी के पीछे मुझसे कहा- अब डाल दो मेरी गाण्ड में अपना लौड़ा.. मेरी भी गाण्ड रचना और नफ़ीसा की तरह फाड़ दो।

मैंने उनकी गाण्ड को बहुत बुरी तरह से चोदा।
वो छत पर भी ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ कर रही थीं ‘ऊओह चोद दो.. आअहह फाड़ दो गाण्ड मेरी.. ईएआअहह आआहह..’

आंटी बस चुदना चाहती थीं.. उन्हें कोई फिकर नहीं थी।
भगवान की दया से किसी ने हमें चुदाई करते हुए देखा भी नहीं था।

फिर आंटी ने मुझे घर के पीछे वाले लॉन में जाने के लिए बोला।
मैंने कपड़े पहने और वहाँ चला गया।

थोड़ी देर बाद आंटी चाय-नाश्ता लेकर आईं.. लेकिन आंटी अभी भी नंगी ही थीं। उन्होंने कुछ नहीं पहन रखा था। उन्होंने ब्रेड और चाय को टेबल पर रखा और लॉन में टाँगें फैला कर लेट गईं।

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अब उन्होंने कहा- अरे यार उतार दो अपने कपड़े..
मुझे क्या प्राब्लम थी.. मैं एक पल में नंगा हो गया।

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