Patni Ke Aadesh Par Sasu Maa Ko Di Yaun Santushti-2

अगले पांच मिनट के बीतते ही सासू माँ ने बहुत जोर से सिसकारी ली तथा उनका शरीर अकड़ गया, टाँगे कांपने लगी और उनकी योनि ने मेरे लिंग को जकड़ कर निचोड़ना शुरू कर दिया।

कुछ ही क्षणों में ही हम दोनों का रस स्खलित हो गया और सासू माँ की टांगों ने भी जवाब दे दिया जिस कारण वह हाँफते हुए ज़मीन पर बैठ गई।

क्योंकि मैं भी बहुत थक चुका था इसलिए मैं सासू माँ के पास ही ज़मीन पर लेट गया तब उन्होंने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी गोदी में रख लिया।

मेरे सिर को सासू माँ की गोदी में रखते ही वह उनके उरोज से टकराने लगा और जब उनके उरोजों की चूचुक मेरे होंठों के छूने लगी तब मैं उनको अपने मुँह में ले कर चूसने लगा।

कुछ देर के बाद हम दोनों ने उठ कर एक दूसरे के गुप्तांगों को धोया और फिर नहा कर बाथरूम से बाहर निकले और कपडे पहन कर अपनी अपनी दिनचर्या में लग गए।

रात को जब रूचि बुटीक से वापिस आई और उसने मुझसे दिन में हुई क्रिया के बारे में पूछा तो मैंने सब बता दिया।
तब उसने मेरे लिंग को बाहर निकाल उसे धन्यवाद करते हुए कस कर चूम लिया।

पिछले दो वर्षों से मैं हर रात रूचि से सम्भोग करता हूँ और शनिवार तथा रविवार की दोपहर को सासू माँ को आनन्द और संतुष्टि प्रदान करता हूँ।

रूचि के माहवारी वाली पांच रातों को मैं उसकी मौजूदगी में ही सासू माँ के साथ संसर्ग कर के उन्हें आनंद और संतुष्टि देता हूँ।

यह कहानी भी पड़े  बेटे ने सुनी माँ के सम्बन्धो की दास्तान

इस बीच सासू माँ कई बार सोमवार से शुक्रवार तक पापा जी के पास अलवर चली जाती थी लेकिन हमेशा शनिवार और रविवार को आनंद और सतुष्टि प्राप्त करने के लिए अवश्य लौट आती थीं।

प्रिय मित्रो, मैं अपने बचपन के मित्र सिद्धार्थ वर्मा का बहुत आभारी हूँ जिसने मेरे द्वारा लिखी जीवन की इस घटना का अनुवाद एवं संपादन करके आप सबके सामने प्रस्तुत किया है।

Pages: 1 2 3 4 5 6 7



error: Content is protected !!