Patni Ke Aadesh Par Sasu Maa Ko Di Yaun Santushti-2

मैं झट से उठ कर बैठ गया और देखा कि सासू माँ ने नीचे सिर्फ पेटीकोट ही पहना हुआ था क्योंकि उनके नितम्बों की गोलाई से चिपके पेटीकोट पर पैंटी की रूपरेखा दिखाई नहीं दे रही थी।

मैंने सासू माँ से कहा– आप चाय नाश्ता मेज पर लगाओ, मैं तब तक मुँह हाथ धो कर आता हूँ।

मैं बाथरूम से निपट कर आया और सासू माँ के साथ बैठ कर चाय नाश्ता किया फिर बैठक में दीवान पर बैठ कर अखबार पढ़ने लगा।

कुछ देर के बाद सासू माँ रसोई तथा घर की सफाई करके मेरे पास आई और बोली– मेरे राजा, रूचि कह गई थी कि तुम आज मुझे आनन्द और संतुष्टि दोगे। तुम वह मुझे नहाने से पहले दोगे या नहाने के बाद दोगे या फिर नहाते हुए दोगे?

मैंने उनके प्रश्न के उत्तर में उनसे ही प्रश्न पूछ लिया– आप वह आनंद और संतुष्टि कब लेना चाहेंगी?

उन्होंने तुरंत उत्तर दिया– नहाने के बाद दिया तो जब पसीना आएगा तब फिर से नहाना पड़ेगा। मैं तो चाहूंगी कि तुम वह आनन्द एवं संतुष्टि को नहाने से पहले और नहाते हुए दे दो।

मैंने उनकी बात सुन कर उठ कर उनके पीछे पीछे कमरे में जाते हुए मुस्करा कर कहा– ठीक है चलिए जैसा आप कहती हैं, वैसा ही करते हैं।’

कमरे में पहुँच कर सासू माँ मेरे पास आईं और अपने दोनों हाथों के बीच में मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मैंने उनको अपना सहयोग देते हुए उनके चुम्बन लिए और होंठों तथा जीभ को चूस कर उनको उत्तेजित करने की शुरुआत की।

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सासू माँ भी मेरे होंठों और जीभ को चूसती रही लेकिन उनके हाथ मेरे लिंग को छोड़ कर बाकी शरीर के कई हिस्सों को सहला एवं मसल रहे थे।

उनकी देखा देखी मैंने भी अपने हाथों का प्रयोग शुरू कर दिया और सबसे पहले उनके नितम्बों को दबाया फिर कमर को सहलाते हुए ऊपर बढ़ा तथा उनके उरोजों पर जाकर रुक गया।

उनके बहुत ही मुलायम, ठोस और मासल उरोज मेरे हाथ में समा ही नहीं रहे थे इसलिए मैं उनके काले अंगूरों जितनी बड़े चूचुकों को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर मसलने लगा।
मेरी इस क्रिया से सासू माँ उत्तेजित होने लगी और उन्होंने मेरे लोअर के ऊपर से मेरे लिंग को टटोलने लगी।

जैसे ही उनके हाथ में मेरा लिंग आया उन्होंने उसे मसलना शुरू कर दिया तब मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल कर उनके उरोजों को मसलने एवं चूसने लगा।

सासू माँ की उत्तेजना जब और भी अधिक बढ़ गई तब उन्होंने मेरे लोअर को नीचे सरका कर मेरे लिंग को बाहर निकाला और उसे हिलाने लगी, जिससे वह सख्त होना शुरू हो गया।

तब मैंने सासू माँ के पेटीकोट के नाड़े को खींच कर उसकी गाँठ खोल दी और उसे नीच गिरा कर उन्हें बिलकुल नग्न कर दिया।

फिर मैं उनके जघन-स्थल पर हाथ फेरता हुआ उनकी योनि तक पहुँच गया और अपनी दो उंगलियाँ उसमें डाल कर अंदर बाहर करने लगा।

जब सासू माँ की समझ नहीं आया कि क्या करें, तब वह बोली– मुझे खड़े होकर थोड़ी असुविधा हो रही है। हमने जो करना है क्यों न हम उसे लेट कर करें?

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मैंने उनकी बात मानते हुए उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और खुद पलटी हो कर उनके साथ लेट गया जिससे वह मेरे लिंग को मुँह में ले कर चूसने लगी और मैं उनकी योनि को चाटने अथवा चूसने लगा।

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