Patni Ke Aadesh Par Sasu Maa Ko Di Yaun Santushti-2

सासू माँ इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि दो मिनट के बाद ही उनका शरीर अकड़ गया और उन्होंने मेरा सिर अपनी जाँघों में दबा कर अपनी योनि में से रस का स्खलन कर दिया।

उनके योनि रस की मात्रा इतनी अधिक थी कि मेरा पूरा मुँह भर जाने के बाद भी उसने बाहर बह कर मेरे मुँह तथा गालों को धो दिया।

इसके पांच मिनट बाद सासू माँ ने एक बार फिर योनि रस का विसर्जन किया जिसे पीने के बाद डकार मारने के लिए मुझे उनसे अलग होना पड़ा।

मेरे अलग होते ही सासू माँ ने भी मेरे लिंग को चूसना बंद कर दिया और पीठ बल सीधा हो कर लेट गई तथा अपनी टाँगें इतनी फैला दी कि उनकी योनि भी अपना मुँह खोल कर मुझे न्यौता देने लगी।

मैं उनकी योनि का न्यौता स्वीकार करते हुए उनकी टांगों के बीच में बैठ गया और अपने लिंग को उनकी योनि के खुले हुए मुँह में रखते हुए जोर से एक धक्का लगा दिया।

धक्का लगते ही मेरे सात इंच लम्बे और ढाई इंच मोटे लिंग का अगला आधा भाग सासू माँ की गीली और चिकनी योनि में प्रवेश कर गया।

मैंने देखा कि सासू माँ के चेहरे पर कुछ असुविधा की रेखाएँ उभरी लेकिन उन्होंने अपने को सामान्य करते हुए मुस्कराते हुए सिर हिला कर मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया।

अपने लिंग पर सासू माँ की योनि की गर्मी महसूस कर मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया और मेरा लिंग लोहे की तरह सख्त होने बावजूद भी फूलने लगा।

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मैंने अधिक समय नहीं गवांते हुए एक और धक्का लगा कर अपने पूरे लिंग को उनकी योनि के अंदर पहुँचा दिया।

इस बार योनि के अंदर की सिकुड़ी हुई माँस-पेशियों को धकेलता हुआ जब मेरा लिंग उसमे घुसा तब सासू माँ ने मेरी कमर को कस कर पकड लिया और उनके मुँह से एक आह.. भी निकल गई।

मेरे पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें आनन्द की पहली किश्त मिली है इसलिए उनके मुख से वह स्वर निकला था।

उसके बाद मैं तेज़ी से अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करने लगा और उनके मुँह से लगातार आह.. आह.. का स्वर उनके आनंद का परिचय देने लगा।

उनके साथ संसर्ग करते हुए मुझे दस मिनट ही हुए थे की सासू माँ की टाँगें अकड़ गई और उन्होंने मुझे अपने बाहुपाश में कस कर अपने नाख़ून मेरी पीठ में धंसा दिए।

मुझे जब दर्द का एहसास हुआ तब मैं रुका ही था कि सासू माँ की योनि के अंदर मेरे लिंग को गर्मी महसूस हुई, तब मैं समझ गया कि उन्होंने तीसरी बार रस का विसर्जन किया था।

इस बार हुए विसर्जन के कारण योनि के अंदर बहुत ही फिसलन हो गई थी तथा माँस-पेशियों में थोड़ा ढीलापन आ गया था जिससे मेरा लिंग बहुत ही सहज भाव से उसके अंदर बाहर होने लगा।

उसके बाद जब मैं तेज़ी से संसर्ग कर रहा था तब सासू माँ ने मुझे बहुत ही तीव्र गति से करने के लिए कहा और खुद भी नीचे से कूल्हे उठा कर मेरे हर एक धक्के का जवाब देने लगी।

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इस अत्यंत तीव्र गति से संसर्ग करते हुए दस मिनट ही बीते थे तब सासू माँ की योनि की माँस-पेशियों ने सिकुड़ कर मेरे लिंग की जकड़ लिया।

योनि के अंदर हो रही उस जकड़न के कारण मेरे लिंग को बहुत ही रगड़ लगने लगी और मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि चंद क्षणों में सासू माँ की लम्बी और ऊँचे स्वर की सिसकारी और मेरी हुंकार के साथ दोनों के रस का स्खलन हो गया।

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