पत्नी के आदेश पर सासू माँ को दी यौन संतुष्टि-2

पत्नी के आदेश पर सासू माँ को दी यौन संतुष्टि-2

(Patni Ke Aadesh Par Sasu Maa Ko Di Yaun Santushti-2)

अपनी पत्नी की मम्मी यानि मेरी सास की अन्तर्वासना के हल के बारे में सोचते सोचते हमें नींद आ गई और सुबह आठ बजे खुली तब मैं जल्दी से उठ कर तैयार होकर ऑफिस चला गया।

साँझ को देर से घर लौटा तो रूचि और सासू माँ के बीच में किसी बात पर बहस चल रहे थी।

जब मैंने उनसे बहस की वजह पूछी तो सासू माँ उठ कर खड़ी हो गई और अपने पहने हुए कपड़ों की तरफ मेरा ध्यान दिलाते हुए मुझसे पूछा– राघव बेटे, मेरे इन कपड़ों में क्या बुराई है?

मैंने जब उनके पहने हुए कपड़ों पर गौर किया तो देखा कि उन्होंने बहुत ही महीन और टाईट ब्लाउज पहना हुआ था जिसमें उनके अड़तीस इंच नाप के उरोज उभर कर बाहर आ गए थे।
उन्होंने बहुत ही छोटा ब्लाउज पहना हुआ था और उस पर उन्होंने लाल रंग की साड़ी नाभि से काफी नीचे बाँध रखी थी जिस कारण उनकी नंगी कमर एवं पेट साफ़ दिखाई दे रहा था।

सासू माँ ने साड़ी कुछ अधिक कस कर बाँध रखी थी जिससे उनके अड़तीस इंच के गोल गोल नितम्ब उभर कर बाहर निकल आये थे।

उनके उभरे हुए वक्ष और नितम्ब तथा उनकी तीस इंच की गोरी तथा मुलायम कमर बहुत ही आकर्षक लग रही थी जिस कारण सासू माँ बहुत ही कामुक दिख रही थी।

सासू माँ का यह रूप देख कर मेरे दिल के एक कोने में उनके उभरे हुए उरोजों तथा बाहर निकले हुए नितम्बों को मसलने एवं दबाने की इच्छा जागृत हो गई।

उस समय सासू माँ अपनी बेटी रूचि से भी अधिक सुंदर, आकर्षक तथा कामुक लग रही थी तथा मैं उनको अपने आगोश में ले कर चूमना चाहता था लेकिन रूचि की उपस्तिथि के कारण अपने पर नियंत्रण रखा।

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मैंने सासू माँ के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा– मम्मी, मुझे तो आप इन कपड़ों में फंसे हुए लगते है क्योंकि ये कपड़े कुछ अधिक तंग और छोटे हैं, मेरे ख्याल में इन कपड़ों में तो आपका भी दम घुट रहा होगा।

मेरी बात सुन कर रूचि बोली– मैं भी तो इनको यही कह रही थी कि इन्हें बदल लें।

हम दोनों की बात सुन कर सासू माँ बोली– नहीं ये कपड़े न तो तंग हैं और न ही छोटे हैं। मैं तो इन कपड़ों में अपने को बहुत सहज महसूस कर रही हूँ।

सासू माँ की बात सुन कर रूचि बोली– मम्मी, आप अपने ब्लाउज को तो देखो कितना फंसा हुआ है। आप तो ठीक से सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है।

यह सुनते ही सासू माँ ने कहा– रूचि, क्या बकवास कर रही हो? मैं अभी तुम्हें दिखाती हूँ कि मुझे सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है।

इतना कह कर सासू माँ ने अपने वक्ष पर से साड़ी का पल्लू हटा दिया और एक लम्बी सांस लेते हुए बोली– लो देखो और बताओ क्या दिक्कत?!?

उनकी बात पूरी होने से पहले ही उनके ब्लाउज के सामने लगे सभी बटन कट कट की आवाज़ करते हुए टूट गए और ब्रा में फंसे हुए उनके उरोज ब्लाउज से बाहर निकल आये।

गुलाबी रंग की जालीदार पारदर्शी ब्रा में सासू माँ के उरोज और उनके ऊपर के काले अंगूर जितने मोटे चूचुक बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रहे थे।

मेरे को सासू माँ के वक्ष को घूरते हुए देख कर रूचि उठ कर उनकी साड़ी के पल्लू से उनके शरीर को ढक कर उन्हें खींचते हुए कपड़े बदलने के लिए कमरे में ले गई।

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कुछ देर के बाद जब सासू माँ हल्के आसमानी रंग की नाइटी पहन कर कमरे से बाहर निकली तब उनके काले चूचुकों ने घोषणा कर दी कि उन्होंने नाइटी के नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी।

रात को जब हम खाना खा रहे थी तब सासू माँ का चेहरा उतरा हुआ था, आँखें नम थी तथा वह कुछ भी नहीं बोल रही थी।

वह सिर्फ एक ही रोटी खा कर उठ गई और हमें शुभ रात्रि कह कर अपने बिस्तर पर जा कर लेट गई तब उनकी दयनीय स्थिति देख कर रूचि का चेहरा भी उतर गया।

कुछ देर के बाद हमने कमरे के बाहर सिसकियों की आवाज़ सुनी तब रूचि सासू माँ की देखने के लिए बाहर गई और कुछ ही क्षणों में उन्हें अपने साथ हमारे कमरे में ले आई।

क्योंकि रूचि उनकी दयनीय हालत सहन नहीं कर सकी इसलिए वह उन्हें अपने साथ अंदर ला कर बिस्तर पर बिठा कर पूछा– मम्मी, मैंने तो कुछ कहा ही नहीं है फिर क्या हो गया, अब क्यों रो रही हैं? क्या पापा जी की याद आ रही है?

सासू माँ सिसकती हुई बोली– नहीं, मुझे उनकी याद नहीं आ रही है। मेरे पूरे शरीर में आग लगी हुई है और मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर सकती। मुझे अगर जल्द ही यौन सुख नहीं मिला तो मैं पागल हो जाऊँगी। क्या तुम दोनों मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते?

इसके बाद सासू माँ रोने लगी और उनकी आँखों में से आंसुओं की धारा बहने लगी जिसे देख कर हम दोनों के दिल पसीज गए।

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