पत्नी के आदेश पर सासू माँ को दी यौन संतुष्टि-2

मैंने देखा कि सासू माँ के चेहरे पर कुछ असुविधा की रेखाएँ उभरी लेकिन उन्होंने अपने को सामान्य करते हुए मुस्कराते हुए सिर हिला कर मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया।

अपने लिंग पर सासू माँ की योनि की गर्मी महसूस कर मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया और मेरा लिंग लोहे की तरह सख्त होने बावजूद भी फूलने लगा।

मैंने अधिक समय नहीं गवांते हुए एक और धक्का लगा कर अपने पूरे लिंग को उनकी योनि के अंदर पहुँचा दिया।

इस बार योनि के अंदर की सिकुड़ी हुई माँस-पेशियों को धकेलता हुआ जब मेरा लिंग उसमे घुसा तब सासू माँ ने मेरी कमर को कस कर पकड लिया और उनके मुँह से एक आह.. भी निकल गई।

मेरे पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें आनन्द की पहली किश्त मिली है इसलिए उनके मुख से वह स्वर निकला था।

उसके बाद मैं तेज़ी से अपने लिंग को उनकी योनि के अन्दर बाहर करने लगा और उनके मुँह से लगातार आह.. आह.. का स्वर उनके आनंद का परिचय देने लगा।

उनके साथ संसर्ग करते हुए मुझे दस मिनट ही हुए थे की सासू माँ की टाँगें अकड़ गई और उन्होंने मुझे अपने बाहुपाश में कस कर अपने नाख़ून मेरी पीठ में धंसा दिए।

मुझे जब दर्द का एहसास हुआ तब मैं रुका ही था कि सासू माँ की योनि के अंदर मेरे लिंग को गर्मी महसूस हुई, तब मैं समझ गया कि उन्होंने तीसरी बार रस का विसर्जन किया था।

इस बार हुए विसर्जन के कारण योनि के अंदर बहुत ही फिसलन हो गई थी तथा माँस-पेशियों में थोड़ा ढीलापन आ गया था जिससे मेरा लिंग बहुत ही सहज भाव से उसके अंदर बाहर होने लगा।

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उसके बाद जब मैं तेज़ी से संसर्ग कर रहा था तब सासू माँ ने मुझे बहुत ही तीव्र गति से करने के लिए कहा और खुद भी नीचे से कूल्हे उठा कर मेरे हर एक धक्के का जवाब देने लगी।

इस अत्यंत तीव्र गति से संसर्ग करते हुए दस मिनट ही बीते थे तब सासू माँ की योनि की माँस-पेशियों ने सिकुड़ कर मेरे लिंग की जकड़ लिया।

योनि के अंदर हो रही उस जकड़न के कारण मेरे लिंग को बहुत ही रगड़ लगने लगी और मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि चंद क्षणों में सासू माँ की लम्बी और ऊँचे स्वर की सिसकारी और मेरी हुंकार के साथ दोनों के रस का स्खलन हो गया।

मेरी साँसें फूल गई और मैं निढाल हो कर हांफता हुआ सासू माँ के ऊपर लेट गया और वह मुझे अपने बाहुपाश में लेकर चूमने लगी।
उनके मुख से तेजी से निकलती हुई गर्म साँसें यह बता रही थी कि वह भी हांफ रही थी लेकिन प्रेम भाव से वशीभूत होकर वह मेरे मुँह, गालों और होंठों को चूमे तथा चूसे जा रही थी।

पांच मिनट बीतने पर जब मुझे पंखे की हवा कुछ ठंडी लगने लगी तब मुझे ज्ञात हुआ कि मेरा और सासू माँ का पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था।

कुछ क्षणों के बाद जब मैंने अपने लिंग को सासू माँ की योनि से बाहर निकाल कर उनके बगल में लेट गया तब वह उठ बैठी और मेरे लिंग को मुँह में लेकर चाट तथा चूस कर साफ़ कर के वापिस लेट गईं।

एक घंटे तक हम बिना कोई बात किया एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहने के बाद सासू माँ बोली– मेरे राजा, तुमने जो आनंद एवं संतुष्टि मुझे आज दी है वह तुम्हारे ससुर जी ने आज तक कभी भी नहीं दे सके। मेरे विवाह के पच्चीस वर्ष बाद ही मुझे यह आनंद एवं संतुष्टि प्राप्त हुई है।

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इसके बाद वह उठ कर बाथरूम में चली गई और दो मिनट के बाद ही मुझे आवाज़ लगा कर कहा– मेरे जानेमन, मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ, जल्दी से आ जाओ।

क्योंकि मुझे भी सासू माँ के साथ सम्भोग करने पर एक अलग ही अनुभव हुआ इसलिए मुझे उनके साथ नहाते हुए संसर्ग करने की इच्छा जाग उठी और मैं बाथरूम में चला गया।

वहाँ सासू माँ शावर के पास मेरी इंतज़ार में खड़ी थी और मेरे अन्दर पहुँचते ही मुझे खींच कर शावर के नीचे ले गई और उसे चला कर मुझसे लिपट गई।

पानी की फुहार के नीचे हम कभी एक दूसरे का चुम्बन लेते, कभी हम अपने शरीर को दूसरे के शरीर से रगड़ते, कभी एक दूसरे के गुप्तांगों को मसलते, चूमते एवं चूसते।

मेरी उत्तेजना बढ़ने के कारण जब मेरा लिंग तन कर खड़ा हो गया तब सासू माँ ने झुक कर उसे मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं भी थोडा झुक कर उनके उरोजों से खेलने लगा।

तभी मेरी नज़र उनके पीछे की ओर निकले हुए नितम्बों पर पड़ी और मैंने झट से उनके नितम्बों के बीच में से अपना एक हाथ बढ़ा कर उनकी योनि में उंगली करने लगा तथा दूसरे हाथ से उनकी चूचुक मसलने लगा।

मेरे इस दोहरे आक्रमण से सासू माँ ने तीन मिनट में ही अपने शरीर को ऐंठते हुए अपनी योनि को सिकोड़ लिया और अपने योनि रस से मेरे हाथ धो दिए।

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