पैसों के लिए वर्जिन लड़की के ज़लील होने की कहानी

पिछला भाग पढ़े:- ऑफीस की रखैल-1

तो जैसा की आपने पार्ट-1 में पढ़ा की कैसे ज़िशन मेरी अनाफीशियली मदद करने के बहाने मुझे अपने मज़े के लिए मुझे इस्तेमाल करने लगा. और अपने कॅबिन में जाम कर मेरे बूब्स दबाने के बाद, सरेआम मेरे मज़े लेने के लिए मुझे कॅंटीन में बुलाया. अब आयेज.

तो मैं भी थोड़ी दर बाद अपने कपड़े ठीक करके कॅबिन से निकली, और कॅंटीन पहुँची. क्यूंकी मेरे उपर के दो बटन्स ज़िशन ने तोड़ दिए थे, तो मेरी क्लीवेज और उभर कर दिखाई दे रही थी. सब की नज़र मुझ पर थी.

ज़िशन कॅंटीन में एक टेबल पर बैठ था. मैं उसके पास जेया कर खड़ी हो गयी.

ज़िशन: शाबाश, अची रंडी बनेगी तू. आ बैठ.

मैं ज़िशन के बगल में बैठ गयी. ज़िशन ने जान-बूझ कर पेन गिराया, और उसको उठाने के बहाने झुका, और मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरी झांट के बालों से खेलने लगा. वो मेरी छूट मसालने लगा.

मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया था. पहले किसी ने मेरे साथ ऐसा नही किया था. धीरे-धीरे मैं गरम होने लगी. मगर क्यूंकी हम पब्लिक प्लेस पर थे, तो मैं ज़्यादा कुछ कर भी नही सकती थी. ज़िशन ने मेरे कान में धीरे से बोला-

ज़िशन: मज़ा आ रहा है ना मेरी जान? देख तेरा चेहरा कैसे लाल हो गया है.

मैने बस सर हिला कर हामी भर दी. लोगों को शायद शक होने लगा था, लोग हमारे आस-पास भटकने लगे थे.

मे: ज़िशन लोग हमारे आस-पास भटक रहे है.

ज़िशन: तो क्या हुआ? यही दर्र तो निकालना है तेरे अंदर से. चल अब मेरा लंड खड़ा हो चुका है, चूस इसको.

मे: मैने पहले कभी ये सब नही किया, और यहा लोग भी बहुत है.

ज़िशन ने मेरी चूची पकड़ी, और कस्स के दबा दी. मैं दर्द से तिलमिला उठी.

ज़िशन: तुझे पहले ही बोला था तू कोई सवाल नही कर सकती.

मजबूरन मैने टेबल के नीचे जेया कर ज़िशन का लंड उसकी पंत से निकाला. ज़िशन का लंड लगभग 9 इंच लंबा, और 4 इंच मोटा रहा होगा. उसका लंड देख कर ही मेरी हालत खराब हो गयी.

हमारा टेबल भी हमारी कुछ ख़ास मदद नही कर रहा था. अगर कोई नीचे झुक कर देखता तो उसको सब सॉफ-सॉफ दिख भी जाता. फिर भी मैने ज़िशन के लंड को साइड-साइड से चूसना चालू किया, और धीरे-धीरे मूह में लेने की कोशिश की.

ज़िशन के लंड के खुश्बू में मैं गीली हो चुकी थी. मुझे भी कुछ एग्ज़ाइटिंग करने में मज़ा आ रहा था. ज़िशन का लंड फिर मैने चूसना शुरू किया. उसको भी मज़ा आ रहा था.

ज़िशन के लंड को सिर्फ़ मूह में लेने के लिए मुझे पूरा मूह खोलना पद रहा था. मेरे मूह का सारा थूक मेरे कपड़ो पर गिर रहा था. मेरे बूब्स मेरी थूक से ही गीले हो गये थे.

ज़िशन: पूरा अंदर ले.

मे: इससे ज़्यादा अंदर नही जाता. मैं कोशिश कर रही हू.

ज़िशन ने मेरी बालों को पकड़ा, और ज़ोर-ज़ोर से लंड मेरे मूह में धकेलने लगा. उसका लंड मानो मेरे मूह को चीरता हुआ गले तक जेया रहा हो. आवाज़ भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी. मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे. मगर मेरी छूट और गीली होती जेया रही थी.

मुझे पता चल गया था, की कुछ लोगों को पता लग गया था, की हम क्या कर रहे थे. मगर मेरे बस में कुछ नही था. मेरे मूह को जाम के छोड़ने के बाद ज़िशन ने लंड निकाल कर दोबारा मुझे चेर पे बैठने को कहा.

मेरे बाल बिल्कुल खराब हो चुके थे, और माकूप भी बिगड़ गया था, और मेरे गले से बूब्स तक थूक से गीले थे. ज़िशन ने मेरे बाल पकड़े, और खींच कर मुझे उसी हालत में टेबल के नीचे से निकाल कर चेर पे बिता दिया. कॅंटीन में बैठे लगभग आधे लोग मुझे ही घूरे जेया रहे थे.

मैं शरम से पानी-पानी हो चुकी थी. ज़िशन ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे उसको कुछ फराक ही नही पद रहा था. मेरी छूट बिल्कुल पानी-पानी हो चुकी थी. फिर ज़िशन ने मेरा हाथ पकड़ा, और मुझे कॅंटीन के पीछे ले गया.

कॅंटीन के पीछे थोड़ी खाली सी लॉबी थी. यहा अक्सर कोई नही आता था. यहा सिर्फ़ कुछ लोग कभी-कभी स्मोकिंग करने आया करते थे. ज़िशन मुझे दीवार से लगा कर मुझे किस करने लगा. अब तक मैं भी पूरी गरम हो चुकी थी, तो मैं भी ज़िशन को किस करने लगी. ज़िशन मुझे पूरी तरह से कंट्रोल कर रहा था.

उसकी पूरी ज़ुबान मेरे मूह में थी, और मैं उसको चूस रही थी. ज़िशन मेरे होंठो को बीच-बीच में दांतो से पकड़ के खींच रहा था. इससे मुझे दर्द तो काफ़ी हो रहा था, मगर मैं और हॉर्नी होती जेया रही थी.

फिर ज़िशन ने मुझे घुटनो के बाल बिताया, और मेरे दोनो हाथो को जाकड़ लिया, और अपना लंड मेरे मूह में दे कर मेरे मूह को छोड़ने लगा. मैं कोशिश तो कर रही थी की आराम से चूसू, मगर वो मुमकिन कहा.

फिर ज़िशन ने मेरे सिर को पकड़ा, और एक ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड मेरे मूह में दे दिया. ज़िशन का लंड मेरी सारी हादे पार कर सीधा मेरे गले तक चला गया था. मैं साँस तक नही ले पा रही थी, और ज़िशन मुझे चोक किए जेया रहा था.

मेरे चेहरा पूरी तरह लाल हो चुका था. ज़िशन ने मेरी नाक तक बंद कर रखी थी. मैं बेहोश होने ही वाली थी की ज़िशन ने अपना लंड निकाल लिया. तब जेया कर मुझे कही साँस आई.

मैं अभी ठीक से साँस लेने की कोशिश ही कर रही थी, की दोबारा ज़िशन ने लंड मेरे मूह में उसी तरह डाल दिया, और मेरी नाक भी बंद कर दी. ज़िशन मुझे हर बार बेहोश होने के एड्ज पे लाता, और छ्चोढ़ देता. ऐसा लगभग उसने 5-6 बार किया.

मे: ज़िशन तोड़ा आराम से करो, मेरा फर्स्ट टाइम है.

ज़िशन ने मानो मेरी बातों पे ध्यान ही नही दिया. फिर उसने मेरे बालों तो पकड़ कर खींच के मुझे खड़ा किया.

मे: तुम ऐसे भी बोलॉगे तो मैं खड़ी हो जौंगी.

ज़िशन: उसमे मज़ा कहा.

ऐसा कह कर ज़िशन ने मुझे दीवार की तरफ घुमाया, और मेरी स्कर्ट उठा कर मेरी छूट मसालने लगा. मैं हाथो से स्कर्ट नीचे करने की कोशिश करती, मगर ज़िशन फिर उठा देता. ज़िशन ये सब में एक्सपर्ट था.

वो मेरी छूट को इस तरह से मसल रहा था, की दर्द तो हो रहा था, मगर मज़ा भी आ रहा था. ज़िशन बीच-बीच में मेरी झाँत के बालों से भी खेलता.

ज़िशन का लंड बार-बार मेरी गांद से टकरा रहा था. इन सब से मैं गीली होने लगी. अब मुझसे रुका नही जेया रहा था, और मैं भी मोन करने लगी.

ज़िशन ने फिर मेरी छूट में एक उंगली डाली. क्यूंकी मैं अभी तक वर्जिन थी, और मेरी छूट एक-दूं टाइट थी.

ज़िशन को भी ये बात समझ में आ गयी. उसने दो उंगली मेरे मूह में डाली, और उन्हे गीला करने को कहा. मैने भी उंगलियों को चूस कर गीला कर दिया. फिर ज़िशन ने मेरी छूट में उंगली सेट की, और ज़ोर लगा कर दोनो उंगलियाँ मेरी छूट मैं डाल दी.

मे: आहह… बहुत जलन हो रही है. प्लीज़ इसे बाहर निकालो.

ज़िशन मेरे चूचे खींचने लगा, जिससे मैं और तुर्न ओं हो गयी. फिर ज़िशन अपने घुटनो पर बैठ कर मेरी छूट चाटने लगा. ज़िशन मेरी छूट में उंगली करता, और जो पानी निकलता, उसको चाट जाता. उसकी ज़ुबान में कुछ जादू सा था.

जल्द ही मैं झाड़ गयी, और मेरा सारा पानी ज़िशन पी गया. फिर ज़िशन खड़ा हुआ, और मुझे दोबारा थोड़ी देर में कॅबिन में आने को कहा. मैं समझ नही पा रही थी की ज़िशन ये बार-बार जगह क्यूँ बदल रहा था. मगर मुझे सवाल पूछने की इजाज़त नही थी.

ज़िशन के वाहा से जाने के बाद मैने थोड़ी चैन के साँस ली. मेरी ड्रेस, मेकप हेर सब बिगड़ गया था. अभी मैं तोड़ा रिलॅक्स ही कर रही थी की मैने देखा के एक कोने से कुछ लोग मुझे घूरे जेया रहे थे. मैं समझ गयी की इन्हे भी पता लग गया था, की यहा क्या हुआ था.

मैने अपने कपड़े ठीक किए, और वाहा से निकल गयी. वो लोग मुझे हवस की नज़रो से देख रहे थे. एक ने मेरी गांद पे हाथ मारा और बोला “जानेमन कभी हमे भी मौका दो”. मैने कुछ नही बोला और वाहा से सर झुका कर निकल गयी. बदनाम तो मैं हो ही गयी थी. मगर इन सब में मज़ा भी बहुत आ रहा था.

तो दोस्तों इसके आयेज की कहानी पार्ट-3 में बताती हू, की ज़िशन ने मुझे कॅबिन में बुला कर मेरे साथ क्या-क्या किया. अगर आपको ये कहानी पसंद आ रही है, तो मुझे कॉमेंट में ज़रूर बताए.

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