पैसों के लिए हॉट गर्ल के रंडी बनने की कहानी

ही दोस्तों मैं श्रेया. मैं 21 साल की वर्जिन हू. मेरा फिगर 34-28-34 है. मेरा रंग गोरा और मेरी हाइट 5’2″ है. दिखने में मैं काफ़ी हॉट लगती हू.

मा बाप के स्ट्रिक्ट होने के कारण कॉलेज लाइफ तक मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही था. यहा तक की कोई माले फ्रेंड भी नही था. मेरी नयी-नयी नौकरी नोडीया की एक बहुत बड़ी मंक में लग गयी थी, और मेरे बहुत ज़िद करने के बाद मम्मी-पापा ने मुझे नॉइदा जॉब के लिए शिफ्ट होने की पर्मिशन दे दी. मगर पापा ने शर्त रखी थी की शादी मैं उनकी पसंद के लड़के से ही करूँगी.

मैं बहुत खुश थी. ये फ्रीडम मेरे लिए बिल्कुल नयी थी. अब मैं कुछ भी कर सकती थी. ऑफीस का मेरा पहला दिन था. मेरी टीम में मेरे इलावा सिर्फ़ एक और लड़की थी सौम्या. मेरे मॅनेजर का नाम ज़िशन था. उसकी उमर 35, हाइट 6’2″, चेहरे पे बियर्ड और रंग बिल्कुल गोरा.

ज़िशन काफ़ी हॅंडसम था. उसके इस हॅंडसम चेहरे के पीछे का साइटान मुझे बाद में पता चला. ऑफीस का पहला दिन तो काफ़ी अछा गया. मैं सबसे मिली, और बातें करी. ऐसे ही धीरे-धीरे एक महीना बीट गया.

मेरी सौम्या के साथ दोस्ती भी हो गयी थी. ईये एक महीने में टीम के सारे मर्द मेरे मज़े लेने की कोशिश करते रहे. कभी वो मेरी गांद पर हाथ मारते, तो कभी काम समझने के बहाने मेरी बूब्स को छूटे.

मैने जब ये बात सौम्या के साथ शेर की तो उसने कहा, की ये सब नॉर्मल है. और मैं इन सब बातों को उतनी सीरीयस ना लू. उसने बताया, की शुरू-शुरू में लोग उसके भी मज़े लेते थे.

सौम्या का कॅरक्टर मुझे शुरू से ही ठीक नही लग रहा था. सब सही था, बस एक दिक्कत थी मेरी सॅलरी बहुत कम थी. खुद के खर्चे चलना भी मुश्किल हो गया था. फिर मैने इस बारे में ज़िशन से बात करने का सोचा.

ज़िशन ने मुझे अपने कॅबिन में बुलाया. मैने वाइट शर्ट और रेड स्कर्ट पहनी थी.

ज़िशन: बोलो श्रेया, क्या काम है?

मे: ज़िशन मुझे आप से सॅलरी इनक्रिमेंट रिलेटेड बात करनी है.

ज़िशन: तुम्हे कंपनी जाय्न किए ठीक से एक महीना भी नही हुआ, और तुम्हे सॅलरी बदवानी है. मज़ाक है क्या?

मे: नही ज़िशन, मुझे खुद के खर्चे चलाने में दिक्कत हो रही है. तोड़ा आप सॅलरी बढ़ा देते तो हेल्प हो जाती.

ज़िशन: अभी किस बेसिस पे तुम्हारी सॅलरी बढ़ौ? नही बढ़ सकती तुम्हारी सॅलरी.

मैं मायूस हो कर कॅबिन से बाहर जाने लगी. तभी पीछे से ज़िशन ने मुझे आवाज़ दे कर रोका.

ज़िशन: अफीशियली तो मैं तुम्हारी कुछ हेल्प नही कर सकता. बुत अनाफीशियली मैं बहुत कुछ कर सकता हू.

मे: वो कैसे सिर?

ज़िशन: मेरी पर्सनल ज़रूरते पूरी करनी होंगी तुम्हे. जो मैं बोलूँगा करना होगा, और ना नही बोल सकती तुम. बोलो मंज़ूर है?

मे: कैसी पर्सनल ज़रूरते सिर?

ज़िशन: तुम इतनी तो समझदार हो ही, की समझ सको की क्या ज़रूरते है मेरी.

मैं समझ गयी थी की अगर अभी मैने हा बोल दिया, तो आयेज मुझे ये डिसिशन महँगा पद सकता था. मगर मेरे पास और कोई चारा भी नही था. घर वापिस जेया नही सकती थी, और इतनी कम सॅलरी में इस शहर में रह भी नही सकती थी. मैने तोड़ा सोच के हामी भर दी.

मेरे हा भरते ही ज़िशन एक-दूं से उठा, और मेरे करीब आ कर मुझे सूंघने लगा. मानो कोई शेर अपने शिकार को सूंघ रहा हो.

ज़िशन: मैं जो बोलता हू मेरे साथ बोलती जाओ. आज से तू मेरी पर्सनल प्रॉपर्टी है.

मे: आज से मैं आपकी पर्सनल प्रॉपर्टी हू.

ज़िशन: मैं जो बोलूँगा, तू बिना सवाल पूछे करती जाएगी, और बदले में तुझे पैसे मिलेंगे.

मे: आप जैसा बोलॉगे मैं बिना कुछ सवाल पूछे करती जौंगी, और उसके बदले में मुझे पैसे मिलेंगे.

इतने में ही ज़िशन ने मुझे पीछे से कस्स के जाकड़ लिया, और मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा. मैं उसी वक़्त ही समझ गयी थी, की मैने बहुत बड़ी ग़लती कर दी थी.

मे: ज़िशन तोड़ा आराम से. मैने कभी ऐसा कुछ नही किया. मुझे दर्द हो रहा है.

ज़िशन इतने ज़ोर से मेरे बूब्स दबाने लगा, की मेरी शर्ट के दो बटन तक टूट गये. वो मेरी शर्ट के ही उपर से ज़ोर-ज़ोर से मेरे बूब्स दबा रहा था.

ज़िशन: चुप साली, अब तू मेरी है. तेरे साथ कही भी कुछ भी कर सकता हू मैं.

ज़िशन मेरी बूब्स ऐसे मसल रहा था मानो उन्हे मेरे बदन से उखाड़ फेंकेगा. मैं दर्द में आहें भर रही थी. मगर वो फिर भी रुकने का नाम नही ले रहा था.

ज़िशन ने मुझे उपर से आधा नंगा किया, और मेरे बूब्स को ब्रा से बाहर निकाल कर मसालने लगा. मसालते-मसालते उसने मुझे अपनी टेबल पर लिटा दिया, और मेरे बूब्स को जाम कर चूसने लगा.

आहिस्ता-आहिस्ता वो भी टेबल पर चढ़ गया, और मेरे बूब्स चूस्टा ही रहा. मेरे बूब्स चूस्टे-चूस्टे मेरे दोनो हाथो को उपर ले-जेया कर अपने एक हाथ से जाकड़ लिया, और मेरी कांख को चाटने लगा.

ज़िशन: तेरी कांख की खुश्बू मुझे पागल कर रही है.

वो मेरी कांख को चाट-ते हुए मेरे बूब्स तक आता, और वापस चाट-ते हुए कांख तक जाता. मुझे गुदगुदी सी होती जब भी वो मेरे कांख चाट-ता. .-बीच में वो मेरे बूब्स पर . से . भी लेता.

मैं चीखती मगर मेरे चीखने का उस पर कोई असर नही था. वो और ज़ोरो से मेरे बूब्स को चूसने लगता. इन सब से ना जाने क्यूँ मुझे मज़ा आने लगा. मैं भी इसका आनंद लेने लगी. लगभग 30 मिनिट बाद ज़िशन रुका, और अपने कपड़े सही किए. फिर वो बोला-

ज़िशन: तेरे अंदर से दर्र निकालना बहुत ज़रूरी है. मैं कॅंटीन जेया रहा हू. ठीक आधे घंटे में मुझे कॅंटीन में मिल, वरना तेरी नौकरी तो गयी.

ये बोल कर ज़िशन कॅबिन से निकल गया. ज़िशन का ये मुझ पर हुकुम चलना मुझे कही ना कही अछा लग रहा था.

इसके आयेज की कहानी पार्ट 2 में कंटिन्यू करती हू. अगर आपको मेरी कहानी पसंद आ रही है, तो कॉमेंट में ज़रूर बताए. आपकी फीडबॅक से मुझे हॉंसला मिलेगा. तो मिलते है दोस्तों, अगले पार्ट में.

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