Padosan Taai ki Chut Ki Khujli

हैलो दोस्तो.. मेरा नाम यादवेन्द्र है, मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ पर फिलहाल दिल्ली से ग्रेजुयेशन कर रहा हूँ।

अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है, यह स्टोरी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली मेरी ताई की है, उनका नाम संतोष है.. उम्र लगभग 40 साल है।
उनकी 3 देवरानियाँ हैं, उनमें सबसे छोटी देवरानी का नाम अनिता है। संतोष ताई के पति एक किसान हैं और उनका एक बेटा है जो 20 साल का है, जो बुरी संगत में होने के कारण सारे दिन बाहर रहता है।

उस वक़्त मैंने बारहवीं क्लास के एग्जाम दिए थे.. एग्जाम के बाद छुट्टियों में मैं खाली रहता था और खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है, मुझे हर वक्त सेक्स ही सूझता रहता था।

पड़ोसन को नंगी नहाते देखा
एक दिन दोपहर के वक़्त मैं छत पर गया, मुझे बाथरूम की छत पर चढ़ कर टंकी में पानी देखना था।
मैं वहाँ गया.. तो मैंने देखा कि हमारे पड़ोस वही संतोष ताई नंगी नहा रही थीं। उनके बाथरूम पर छत नहीं थी और दरवाज़ा भी नहीं था।

दरवाज़ा उनके घर की सीढ़ियों की तरफ खुलता था। मैं उनकी छत पर गया और उन्हें नहाते हुए देखने लगा।
उनकी वो खूबसूरत फूली हुई चूत, कड़क चूचे और उनकी नाभि मुझ पर कहर ढा रही थी।

मैंने वहीं अपना लंड निकाला और मुठ मारने लगा।
गर्मियों का समय था.. तो उस वक़्त छत पर कोई नहीं था।

अब मैं उन्हें रोज़ ही देखने लगा। वो अपनी चूत और चूचों पर साबुन बहुत अच्छे से मलती थीं।

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मैंने कुछ दिनों बाद देखा कि उनकी देवरानी जिसका नाम अनिता है.. वो भी उसी बाथरूम में नहाने आई है.. वो केवल पैन्टी पहन कर नहाती है।
अनिता के समय मुझे अलर्ट रहना पड़ता था।

एक बार संतोष ताई ने मेरी परछाई देख ली और मेरी तरफ देखने लगीं।
मैं तुरंत वहाँ से उनकी ही सीढ़ियों से नीचे आया और जैसा कि मैंने पहले बताया कि उनकी सीढ़ियों के सामने ही उनके बाथरूम का गेट है.. जिस पर दरवाज़ा नहीं लगा हुआ है। मैंने उन्हें बड़े करीब से बिल्कुल नंगी देखा और मैं बहुत घबरा भी गया था क्योंकि वो रोज़ मेरी मम्मी से बात करती थीं और वो मेरी मम्मी से भी बड़ी थीं।

अब मैं क्या करूँ मैं यही सोच कर परेशान था कि वो हमारे घर आ गईं तो क्या होगा।
मेरी तो गाण्ड फट गई, मैंने सोचा मैं तो गया.. पर उन्होंने मम्मी से कुछ भी नहीं कहा।

अगले दिन जब संतोष ताई कपड़े सुखा रही थीं तो मैं उनकी छत पर गया और उन्हें बोला- ताई सॉरी.. मुझे नहीं पता था कि आप नहा रही हैं, मैं मेरी गेंद लेने आया था।
वो मेरी तरफ देखकर हँसी और बोलीं- मैंने तुझे कुछ कहा?
मैंने कहा- नहीं..

वो फिर बोली- फिर तू किस लिए घबरा रहा है।
मैंने कहा- मैं तो सिर्फ़ आपको बताने आया था कि आप बुरा ना माने।
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं मैंने कोई बुरा नहीं माना।

मेरी जान में जान आई.. मैं फिर से उन्हें वैसे ही नहाते हुए देखने लगा। अब वो अक्सर मेरी परछाई देख लेती थीं और कभी-कभी ऊपर मेरी तरफ भी देख लेती थीं।

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एक संतोष ताई ने कहा- तुझे तेरी गेंद मिली या नहीं?
दोस्तो मेरी फिर से फट के हाथ में आ गई कि अब क्या बोलूँ।
मैंने कहा- वो तो उसी दिन मिल गई थी।
वो हँस दीं ओर बोलीं- ठीक है।

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