Padosan Taai ki Chut Ki Khujli

तभी बाहर से अनिता ताई ने संतोष ताई को आवाज़ दी। उन्होंने पेटीकोट सही किया और वो उठ गईं। मैंने भी अपने लंड को पैन्ट में डाला और दरवाज़ा खोल दिया। इस तरह मेरी वासना अधूरी रह गई।

उसके 5 दिन बाद मैं बी.टेक. के एड्मिशन के लिए अपने कॉलेज में चला गया और वो लोग अपने नए घर में शिफ्ट हो गए।

परिवार की लड़ाई के कारण अब हमारा उनके घर आना-जाना नहीं है।

मुझे मेल करें.. और बताइए आपको मेरी रियल स्टोरी कैसी लगी।

इस कहानी का अगला पार्ट आपकी प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।

यादवेन्द्र गौड़

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