ऑफीस कॉलीग्स से लड़की के चुदने की कहानी

ही दोस्तों, ये कहानी का 2न्ड पार्ट है. जहा पर मेरी बमपर चुदाई हुई. एक साथ दो उतावले लॉड लेने का आनंद क्या होता है, मैं उसी दिन जान पाई. यू तो लाइफ काफ़ी रोमांचक रही है, पर एक साथ 2 च्छेद भरवा लेने का सुख मुझे इस बार पहली दफ़ा ही प्राप्त हुआ. चलते है कहानी पे.

वो दोनो मुझे रूम में ले आए थे. उनका फ्लॅट काफ़ी बड़ा और वेल फर्निश्ड था. वो लोग मुझे भावेश के रूम में ले गये, और मुझे बिस्तर पर फेंक दिया.

मैं: देखो मैने कभी 2 से नही करवाया है.

जिग्नेश: बहुत मज़ा आएगा. प्यार से करेंगे. तुम्हे काफ़ी आनंद मिलेगा.

बातें करते-करते जिग्नेश ने मेरी कपरी उतार दी, और मेरी टाँगो से मुझे खींच कर मेरी टाँगो को अपने कंधो पे रख लिया. मैं बिस्तर के कोने में थी.

मेरी पिंक कलर की चड्डी देख कर वो पागल हो उठा. जिग्नेश का ये रूप मैने नही देखा था. मैं उसको बहुत सीधा समझती थी. उसने मेरी चड्डी को नीचे से साइड करके मेरी छूट के उपर का ढीला माज़ सहलाने लगा.

मेरी छूट जो पहले से गीली थी और पानी छ्चोढ़ रही थी, उस पर उसने अपनी जीभ निकाल कर रख दी, और आइस क्रीम की तरह चाटने लगा. मैने अपना सिर बिस्तर में धासा लिया, और दोनो हाथो से चादर जाकड़ ली.

इतने में भावेश ने अपनी जीन्स उतरी और बिस्तर पे चढ़ा. मेरे पास आ कर उसने अपना 6.5 इंच का मोटा सा लॉडा मेरे मूह पे ला कर तां दिया.

मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. मैने दोनो हाथो से उसका लॉडा पकड़ा और उसे सहलाने लगी. मैने कपड़े निचोढ़ने की तरह उसके लॉड को प्यार से सहलाना मसलना शुरू किया. उसका टोपा ऐसा तन्ना हुआ था, जैसे ना-जाने कितनी बार चुदाई कर चुका हो. उसके उपर की ढीली सतह जब मेरे कोमल हाथो में लिसलिसती थी, तो एक अजीब सी शरीर में सनसनी दौड़ जाती थी.

मैं उचक कर अपनी जीभ उपर लगाने लगी. उसने पीछे से आ कर मेरी त-शर्ट खींच डाली, और मेरे मूह पर आ कर बैठ गया. उसका लॉडा मेरे मूह में चला गया, और वो सरपट मेरा मूह छोड़ने लगा. वो घोड़ा बन कर मेरे मूह पर बैठा हुआ था, और उसका लॉडा मेरे मूह में पेले जेया रहा था.

उधर जिग्नेश मेरी छूट ऐसे चाट रहा था की मानो ऐसा हसीन सुख मुझे कही ना मिला हो. उसकी जीभ की शराराते मुझे पागल किए जेया रही थी जिसका दूं मैं भावेश के लॉड पे निकाल रही थी.

उसने फिर अपनी जीभ निकली, और मेरी छूट को उपर से रगड़ने लगा. मेरे ग-स्पॉट पर अपनी जीभ की टिप से धुरी चला थी उसने. मैं पागल हो ही चुकी थी. परम आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँचती जेया रही थी.

इतने में जिग्नेश ने उठ कर मेरी पनटी नीचे सरका कर मेरे पैरों से बाहर निकाल दी. मेरी टांगे हिल उठी. अब मेरी छूट नंगी थी, और जिग्नेश का लॉडा उस पर ताप-ताप करके दस्तक दे रहा था.

यहा मैं भावेश का लॉडा चूसने में मस्त थी, और वाहा जिग्नेश का टोपा मेरी छूट के दरवाज़े में अपनी फिटिंग कर चुका था. मैने लॉडा मूह से निकाल कर आवाज़ देनी चाही, पर जिग्नेश ने इतनी देर में अपना गोलाकार खूबसूरत टोपा धीरे से अंदर घुसा दिया.

आअहह, मेरी चीख निकल गयी. उसने और तेज़ धक्का मार कर अपना लंड मेरी छूट में अपने अंदो की गहराई तक पूरा फिट कर दिया. मेरे अंदर वो 7 इंच का टवर ऐसा लग रहा था, जैसे किसी सब्मरीन ने अंदर घुस के मिज़ाइल चला दी हो.

जिग्नेश का लॉडा ज़्यादा मोटा, ज़्यादा तन्ना हुआ, बाला का खूबसूरत और 7 इंच लंबा था. इतनी कॅल्क्युलेशन करना अब मेरी छूट को आता था. जिग्नेश ने अपनी पूरी ताक़त से मेरी छूट फाड़ना चालू कर दिया. उसने ढाका-धक शताब्दी ट्रेन की स्पीड से मेरी छूट में अपनी लॉड की रेल चला दी.

मुझे बहुत दर्द होने लगा, और मैं ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी: अया अया जिग्नेश आअहह आहह जिग्नेश.

भावेश आ कर मेरे पीछे बैठ गया. मेरी ब्रा उतार कर मुझे आध-नंगा से पूरा नंगा कर दिया, और मेरे मुम्मो पे हाथ रख कर उन्हे मलने लगा. जैसे मानो मुझे शांत कर रहा हो.

मेरी गर्दन घुमा के भावेश ने होंठ चूसने शर कर दिए, और मेरे मुम्मो के निपल्स को अपनी उंगलियों और अंगूठो से रगड़ना और मसलना चालू कर दिया. मेरी करकराहट अब फिरसे मूड में बदलने लगी.

जिग्नेश सामने से मुझे छोड़ रहा था, और भावेश पीछे से मेरी स्मूच ले रहा था. साथ में मेरे मुम्मो को भी दबा रहा था. मेरा पूरा शरीर दोनो शैतानो के हाथ में था. कुछ देर धक्का-पेल छूट चुदाई के बाद भावेश ने कहा-

भावेश: जिग्नेश अब मैं करता हू.

जिग्नेश ने अपना लॉडा निकाला, और मेरे मूह में दे दिया. उसका लॉडा सही में बड़ा था. मेरी कॅल्क्युलेशन सही निकली. मैने उसका मोटा लंड ज़ोरो से सहलाना और चूसना चालू कर दिया. उसके लॉड में से मेरी छूट के पानी की खुसभू आ रही थी.

इतने में भावेश ने मुझे कमर से उठा के पीछे खींच लिया और घोड़ी बना दिया. अब मैं घोड़ी बन कर जिग्नेश का मोटा लंड चूस रही थी, और भावेश ना-जाने मेरे पीछे क्या करने वाला था. भावेश ने निशाना साध रखा था मेरी गांद पे. उसने मेरी गांद पे अपना चिकना टोपा रख दिया.

वही टोपा जिसे मैने ही चूस-चूस के मखमली किया था, ताकि मुझे ज़्यादा दर्द ना हो. मैने हाथ से इशारा किया की गांद नही, पर इतनी जिस्मो की गर्मी में कों किसी की सुनने वाला था. उसने टोपा टीकाया, और धीरे-धीरे अंदर सरकाना चालू किया. मेरे मूह से जिग्नेश का लॉडा निकल गया, और मैं फिरसे घबराहट मोड में गयी.

भावेश ने धीरे-धीरे से मेरी गांद की गलियों में से सरकते हुए अपना फुल लॉडा मेरी गांद में फिट कर दिया. मेरे प्राण छूट गये. मेरी गांद में मानो 440 वॉल्ट का करेंट दौड़ गया हो. उसने धीरे-धीरे फिर उसको बाहर निकाल कर अंदर किया.

आहह आहह ह्म. मैं बिस्तर पर पस्त होके गिर गयी. भावेश ने मेरे मुम्मो पे हाथ रख के मुझे घोड़ी मोड में छोड़ना चालू कर दिया. आयेज-पीछे उपर-नीचे, मेरी सुध-बुध खो गयी. जिग्नेश ने फिर अपना लॉडा मेरे मूह में दे डाला.

लगभग 15 मिनिट रगदाई के बाद मेरी गांद भी मखमली हो गयी, और धक्को में मज़ा आने लगा. अब जिग्नेश मेरा मूह चूस रहा था. 5 और मिनिट बाद भावेश का लंड रस्स छूट गया, और मेरी गांद के उपर उसने उससे चित्रकारी कर दी.

जिग्नेश का भी पानी छूट गया और उससे मेरा मूह भर आया. मैं उंगलियों से गांद पे हाथ लगा कर, और मूह से रस्स निकाल कर दोनो के रस्स को मस्त होके चाटने लगी, और हम तीनो बिस्तर पर पद गये.

तीनो हाँफने लगे. भावेश ने मेरी छूट के उपर बनी ट्रिम झाड़ी पर अपना हाथ रख दिया, और जिग्नेश ने मेरे मुम्मो पे. और मैं दोनो के लंड पकड़ कर बीच में पड़ी रही. पानी छ्चोढने के बाद दोनो के टवर गिर गये थे. उसके बाद तीनो को नींद लग गयी.

एक घंटे बाद जब मेरी नींद खुली, और मैं बातरूम में जेया कर मूह हाथ ढोने लगी, तब तक मेरी काफ़ी चुदाई हो चुकी थी. इतने में भावेश की नींद भी खुल गयी. अभी शायद किसी की भी आग शांत नही हुई थी. और मेरी भी नही हुई थी. सुबा के 4 बाज रहे थे.

भावेश ने मुझे बातरूम की दीवार से लगा दिया और मुझे फिरसे कोमल स्मूच करने लगा. मेरे मुम्मो को आते की तरह गूँथने लगा. और खड़े-खड़े ही अपना लॉडा मेरी छूट में फिट करके, मेरी छूट में घुसा दिया. मेरी छूट और गांद इस वक़्त तक पूरी चिकनी थी, और लंड भी अंदर-बाहर होके उसमे और मज़ा दे रहा था.

मैं खड़े-खड़े चूड़ने लगी. रात को एक बार चूड़ने के बाद दोबारा थोड़ी देर बाद किया जाए तो शरीर और मखमली और कोमल हो जाता है. ये एहसास मैं उस दिन कर रही थी. एसी में नंगे बदन पड़े हुए ठंडे शरीर और अंदर की गर्मी. मेरी बातरूम चुदाई 5 मिनिट तक चली. फिर वो मेरा हाथ पकड़ के मुझे बेडरूम में ले आया.

वो बिस्तर पर लेट गया, और मैं उसके उपर जेया बैठी. मैने अपनी गीली छूट उसके गीले लॉड के उपर रख दी, और उपर-नीचे होने लगी. ये संवाद ऐसे हो रहा था जैसे मानो ये च्छेद उसी लंड के लिए बना हो. हम दोनो ने हाथ मिला लिए और मैं तेज़ी से उस पर कूदने लगी.

मेरी छूट के अंदर एक अलग सी कसमसाहट हो रही थी, जैसे उसका टोपा एक-एक दीवार पर सरसरते हुए जेया रहा हो.

इतनी देर में जिग्नेश की आँख खुल गयी, और उसका लॉडा तन्ना हुआ था. उसने चोरी से मेरे पीछे आके मुझे झुका दिया, और मेरी गांद में अपना मोटा 7 इंच घुसेड डाला. मेरी करकराहट निकल पड़ी. मेरी गर्दन उपर उठ गयी.

दो लंड मेरे अंदर थे. ऐसा पहली बार हुआ था की एक साथ दो च्छेद मैने दो लुंडो से भरवाए हो. मेरा सुख चरम सीमा पे था. 10-15 मिनिट दोनो ने मेरी बमपर डबल चुदाई की.

दोनो के तनने हुए लुंडो की उभरी हुई नास्से जब अंदर-बाहर हो कर मेरी छूट और गांद की दीवारे चू रही थी, उसमे अजीब से झंझनाहट हो रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

उसके बाद दोनो ने बारी बदल के मेरी 15 मिनिट और चुदाई की, और मेरा पानी च्छुड़वा दिया. दोनो ने अपना वीरया भी मेरे पेट पे छ्चोढ़ दिया.

पूरा सुख ले कर हम तीनो फिरसे बिस्तर पे पस्त होके गिर पड़े. अगले दिन सनडे को भी हम लोगों ने जाम कर सेक्स किया. खाना पीना सब घर ही माँगते रहे, और बारी-बारी छोड़म-पट्टी चलती रही. (वो सब बतौँगी कभी शायद अगले भाग में).

यही थी मेरी उस रात की थ्रीसम कहानी. कहानी कैसी लगी ये बताने के लिए मुझे मेसेज ज़रूर कीजिएगा.

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