अब मौसी जी का मुँह मेरी तरफ़ था, मौसी जी मेरे पास आकर खड़ी हो गई थी, मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था।
मौसी जी ने कहा- क्या हुआ तुझे?
मेरे मुँह से एक लफ़्ज़ भी नहीं निकल रहा था।
मौसी जी समझ गई थी कि मेरी सीटी तो गुल हो गई!
मौसी ने मेरे दोनो हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर बाँध लिए थे।
मेरे हाथों पर उनकी कमर का स्पर्श मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था, मेरा दिल कर रहा था मैं उनसे चिपक जाऊँ, मैंने अपने दिल की बात सुनने में ज़रा भी देरी नहीं की, मैं उनसे जोर से चिपक गया।
मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आ रहा था।
मौसी ने भी मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया था, मेरी लुल्ली खड़ी हो गई थी, मौसी को मेरी लुल्ली के स्पर्श से पता लग गया था कि मेरी पैंट में तम्बू खड़ा है!
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही खड़े रहे, थोड़ी देर बाद मौसी ने मुझे कहा- इकबाल क्या हुआ?
मैंने कहा- बहुत मजा आ रहा है मौसी!
मौसी ने कहा- आज मैं तुझे तेरी जन्मदिन का गिफ्ट दूँगी कि तू भी क्या याद रखेगा!