Janamdin Per Mausi Ne Karwai Zannat Ki Sair-1

मैंने जाकर नेहा को बोल दिया कि मौसी जी तुझे बुला रही है और मैं नहाने चला गया।
जब तक मैं नहा कर वापिस आया तो खाना बन चुका था और मौसा जी सलाद काट रहे थे।

मैं और सुमित टी वी देखने लगे।

थोड़ी देर बाद खाना आ गया, हम सबने मिल कर खाना खाया।
नेहा और मौसी जी रसोई में ही रोटी पका रही थी, मैं सुमित और मौसा जी खा रहे थे!

हमारे खाने के बाद नेहा और मौसी जी कमरे में आ गई, मौसी जी ने मुझे कहा- बेटा मैं अब थक गई हूँ, तू हमें खाना ला कर दे!
मैंने कहा- क्यों नहीं!

फ़िर मैंने मौसी जी को और नेहा को खाना लगा कर दिया।

मैं टी वी देखने बैठ गया टी वी पर सिंगिंग का प्रोग्राम आ रहा था कुछ देर बाद मौसी जी और नेहा खाना खाकर उठ गई।

मौसी जी ने थोड़ी देर बाद मुझे आवाज़ लगाई और कहा- तू और सुमित मिल कर छत पर बिस्तर लगा लो।
मैंने कहा- जी मौसी जी!

हम बिस्तर बिछाने ऊपर चले गए।
मैंने और सुमित ने बिस्तर बिछाए, फ़िर मौसी जी को छोड़ कर सभी ऊपर आ गए क्योंकि मौसी जी बरतन धो रही थी।

मेरी सेक्सी मौसी

हम काफी देर बाते करते रहे, मुझे प्यास लगने लगी, मैं जैसे ही नीचे पानी पीने उतरा तो पहली मंजिल पर मौसी जी मेरे सामने नहा कर बाहर निकली थी, वो बिल्कुल मेरे सामने खड़ी थी।

मैं तो उन्हें देखता ही रह गया क्योंकि मैंने आज तक ऐसा दृश्य नहीं देखा था।
मौसी जी ने नाईटी पहन रखी थी, उसके नीचे कुछ नहीं पहना था क्योंकि मुझे मौसी जी के बूब्स और निप्पल साफ दिख रहे थे, उनके तने हुए बूब्स 40″ के होंगे!

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मेरी आँखें वहीं की वहीं गड़ी रह गई, मैं कुछ सैकिंड वहीं खड़ा रहा।
मौसी जी ने मुझे देख लिया था कि मेरी नज़र कहाँ पर है।
मेरा ध्यान सिर्फ बूब्स पर था।

मुझे यह एहसास ही नहीं हुआ कि मौसी जी ने मुझे देख लिया है क्योंकि मैं पहली बार एकदम तने हुए बूब्स देख रहा था, मुझे अपने अंदर बड़ी झनझनाहट महसूस हो रही थी।

ऐसा नजारा देख कर मेरी पैंट में 2 बजकर दस मिनट हो गए थे, मतलब मेरा खड़ा हो गया था।

मौसी जी ने मुझे कहा- क्या देख रहा है इकबाल?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं!

और मैं नीचे पानी पीने चला गया।
मुझे डर लग रहा था कि इसके बारे में मौसी जी मौसाजी को ना कह दें।

मैं पानी पीकर ऊपर गया तो सभी आपस में बातें कर रहे थे, मैं भी चुपचाप बैठ गया। थोड़ी देर बाद सभी सोने के लिए चले गए।

नेहा ओर सुमित नीचे चले गए क्योंकि वो कूलर चला कर ही सोते हैं।
मैं मौसा जी और मौसी जी ऊपर छत पर ही सो रहे थे।

मुझे आँख बंद करते ही वो सीन याद आ रहा था पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं, बस मैं उसी सीन को याद करते करते सो गया।

अगले दिन मैं मौसी जी से आँख नहीं मिला पा रहा था।
उस दिन के बाद मैं मौसी जी के बूब्स को चोरी छिपे देखता था कभी सफाई करते हुए कभी रसोई में!
मौसी जी ने मेरी चोर नज़र को पकड़ लिया था।

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कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा और कुछ दिन बाद मेरा जन्मदिन आने वाला था।

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