Janamdin Per Mausi Ne Karwai Zannat Ki Sair-1

मेरे जन्मदिन से दो दिन पहले मौसी जी ने मुझे रात के खाने के समय रसोई में बुलाया।
अभी खाने की तैयारी चल रही थी, मौसी जी ने मुझे प्याज टमाटर काटने को दिए, मैं प्याज टमाटर काटने लगा और हम साथ साथ
बातें करने लगे।

मौसी जी ने मुझसे पूछा- तेरा जन्मदिन आ रहा है, क्या गिफ्ट चाहिए तुझे?
मैं हँसने लगा, मैंने कहा- मैं क्या बताऊँ इस बारे में… जो आपकी मर्जी हो!

मौसी जी ने कहा- अच्छा जी, फ़िर नहीं कहना कि मेरी पसंद का गिफ्ट नहीं दिया।
मैंने कहा- ठीक है, नहीं कहूँगा!

मौसी जी ने कहा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं उनका यह सवाल सुन कर चौंक गया, मैंने कहा- नहीं!
मौसी जी ने कहा- अच्छा जी, फ़िर तो तेरी शादी करवा देनी चाहिये!

ऐसी बातें सुन कर मैं मौसी जी से थोड़ा खुल गया था।
मैं मौसी जी के बूब्स बडे ध्यान से देखने लगा, मौसी जी ने मुझे देख लिया था पर कुछ कहा नहीं!

फ़िर मौसी जी ने दाल में तड़का लगाया और मैं उनके पास खड़ा उनका जिस्म निहार रहा था।

हम साथ साथ बातें भी कर रहे थे मुझे बहुत मजा आ रहा था!

फिर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था!
मेरे जन्मदिन वाले दिन सभी ने उठते ही मुझे मुबारकबाद दी और सभी तैयार होकर अपने अपने काम से चले गए।

सबके जाने के बाद मैंने मेन गेट बंद कर दिया।

घर पर रोज़ की तरह मैं और मौसी जी ही थे, मौसी जी सफाई करने लगी और मुझे भी साथ में पानी की बाल्टी भर के पकड़ाने के लिए बुला लिया।
मैंने और मौसी जी ने मिल कर सफाई की।

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हम पहली मंजिल पर थे, सफाई करने के बाद मौसी जी ने मुझसे कहा- इकबाल, मैं बहुत थक गई हूँ, मेरी कमर और पैर दबा दे!
मैंने मौसी जी को कहा- आप उल्टी लेट जाओ।

मैंने मौसी जी के पैर और कमर अपने पाँव से दबाए।

थोड़ी देर बाद मौसी जी ने कहा- बस कर!
और मौसी जी वहीं लेटी रही।

मैं भी मौसी जी के पास ही लेट गया क्योंकि मैं भी बहुत थक गया था।
मौसी जी ने मुझसे पूछा- इकबाल, चाय पियोगे?
मैंने कहा- नहीं, मैं थक गया हूँ, मैं कुछ देर सोऊँगा।

मौसी जी ने कहा- ठीक है।
और मौसी जी नीचे चली गई।

मौसी का नंगा बदन

मेरी आँख लग गई थी, मैं आधे घंटे बाद उठा और अपनी चप्पल ढ़ूंढ़ रहा था, शायद सफाई करते समय इधर उधर रख दी थी तो मुझे नहीं मिली तो मैं नंगे पैर ही नीचे चला गया क्योंकि थोड़ी देर पहले ही सफाई हुई थी तो फ्लोर साफ ही था।

जब मैं नीचे गया, मुझे मौसी जी कहीं दिखाई नहीं दी तो ड्रेसिंग वाले रूम में गया अंदर घुसते ही मैं चौंक गया क्योंकि मौसी जी शीशे के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, उनकी पीठ मेरी ओर थी।

मैं तो वही खड़ा का खड़ा रह गया, मौसी जी अपने बदन पर पाऊडर लगाने लगी।

क्या खुशबू थी कमरे में… एक तो ऐसा दृश्य… ऊपर से खुशबू… मैं तो मदहोश हुए जा रहा था क्योंकि मैंने आज तक ऐसा कुछ भी नहीं देखा था।

मुझे नहीं मालूम था कि मौसी जी ने मुझे शीशे में देख लिया था।
मौसी जी ने कहा- तू अभी तक यहीं खड़ा है? मैं तो सोच रही थी तू घबरा कर चला गया होगा!
मैंने कुछ नहीं कहा।

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