लीबिडो कामपिपासा अन्तर्वासना

‘शिवांगी कैसा लग रहा है?’ निप्पल को मुँह से बाहर निकालते हुए मैंने पूछा।
‘बस पीते रहो.. लो अब दूसरे को पियो.. बहुत देर से इसे जलन हो रही थी..’ अपनी दूसरी चूची मेरी मुँह की ओर बढ़ाते हुए उसने कहा।

उसका शरीर तवे की तरह धधक रहा था। मेरा लण्ड भी तनकर खड़ा हो गया था।

‘अपनी टांगों को क्रॉस करके सामने से मेरी गोद में अच्छे से आ जाओ.. इससे दोनों चूचियों को बारी-बारी से पीने में सहूलियत होगी..’ मैंने कहा।
‘नहीं ऐसे ही पियो अभी.. इसकी जलन मिटाओ पहले..’

अपनी बड़ी चूचियों को उसने अपनी हाथों में थाम रखा था। मैंने दूसरे निप्पल को भी चूसना शुरू कर दिया।
एक बार फिर उसकी आंखें बंद हो गईं।
मेरी चुसाई के साथ ही उसके मुँह से जोर-जोर की मादक सिसकारियां निकल रही थीं और उन मादक ध्वनियों के प्रभाव में आकर मैं उसके निप्पल को पूरे दम से चूस रहा था.. बीच-बीच में काटता भी जा रहा था।

‘आई रियली लव इट.. डू इट मोर हार्ड.. मैं बताऊँ अभी मुझे क्या लग रहा है.. कि तुम मेरी चूचियों को बेदर्दी से मसलो और काटो.. काटो ना.. बाइट दो.. यस.. ऐसे ही.. और.. आहह..’ उसके मुँह से लगातार ये शब्द निकल रहे थे।

मेरा हाथ स्कर्ट के ऊपर से ही उसके चूतड़ों और जांघों पर दौड़ रहा था। मैंने ऊपर से स्कर्ट के बटन को खोलने की कोशिश की.. पर असफल रहा।

अपनी आंखें खोलकर वह मेरी ओर देखते हुए हँसने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
‘तुम बिल्कुल बुद्धू हो.. सिर्फ किताब चाटते हो।’

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‘ऐसा क्या किया मैंने?’
‘पागल स्कर्ट को नीचे से उठाओ.. समझ में आ जाएगा।’

उसकी स्कर्ट को नीचे से उठाते ही उसकी कसी हुई सावंली जांघें चमक उठीं।

उसकी यह अदा मुझे पसंद आई, मुझे समझ आ गया कि ये पूरी तरह से तैयार होकर आई है।

मेरा हाथ सीधे उसकी चूत तक चला गया। उसकी चूत घने काले बालों से भरी हुई थी। अपनी उंगलियों को मैं उसके बालों में फिराने लगा।

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मेरी गोद में पड़ा हुआ उसका शरीर मरोड़ खाने लगा।
इसके साथ ही मैं बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को भी जोर-जोर से चूस रहा था।

फिर धीरे-धीरे मैंने हथेलियों से उसकी चूत को मसलना शुरू कर दिया। उसके चूतड़ खुद ब खुद उठने लगे थे।

वह जोर जोर से अपनी चूतड़ हिला रही थी और बोल रही थी- तुमने मुझे पागल कर दिया है.. ये मुझे क्या हो रहा है.. आईई.. और रगड़ो मेरी चूत को.. चूचियों को भी चबा जाओ.. कुचल दो इन्हें काट खाओ.. और जोर से रगड़ो.. आहह.. जोर से.. छोड़ना मत..’

मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरी हथेलियों पर कुछ गरम-गरम से गिर रहा है, मैंने चूत को थोड़ी और जोर से रगड़नी शुरू कर दी।

अब मैंने बीच की फिंगर को थोड़ा साइड किया और उसकी क्लिट को टटोलने लगा। उसकी क्लिट को मिडल फिंगर से गोल-गोल करके रगड़ने लगा।

उसका चूतड़ अब लयबद्ध तरीके से ऊपर-नीचे हो रहे थे। दोनों होंठों को उसने दांतों में दबा रखा था.. आँखें अभी भी बंद थीं।

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ऐसा लग रहा था जैसे उसके पूरे शरीर में सुनामी आ गया हो.. और उसका केंद्र बिंदु उसका क्लिट हो।

मैं उसकी क्लिट को लगातार रगड़ रहा था.. उसकी एक चूची मेरे मुँह में थी.. जिसे मैं चपड़-चपड़ कर चूस रहा था। बीच-बीच में निप्पल को दांत से काट लेता था और काटते ही वह जोर से चिहुंक उठती थी।

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