लीबिडो कामपिपासा अन्तर्वासना

फिर मेरे सामने ही फर्श पर बैठ कर मेरी चड्डी को नीचे करके मेरे लंड को बाहर निकालते हुए बोली- आज तक मैंने किसी का लंड नहीं चूसा.. मुझे एक बार लंड चूसना है.. मैं भी तो देखूं कि इसका टेस्ट कैसा लगता है।

उसका हाथ लगते ही मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा चुका था। लंड को मुँह में लेकर मेरी ओर देखते हुए उसने चूसना शुरू कर दिया।
वह चूस कम रही थी और खेल ज्यादा रही थी, कभी अपना जीभ चलाती.. तो कभी हल्के से दांत काटती.. तो कभी लॉलीपॉप की तरह चूसती।
बीच-बीच में वो अपना मुँह निकालकर मेरे लंड को देखती भी थी और फिर उस पर चुम्बन भी करती थी।

अपने हाथ का बित्ता बनाकर उसे नापते हुए पूछा- यह पूरा मेरे अन्दर चला जाएगा? देखो तो कैसे डंडे की तरह खड़ा है.. मैं तो मर ही जाऊँगी.. पर तुझे लूंगी जरूर।

‘तुम कर क्या रही हो?’ मैंने पूछा।
‘देखो.. मुझे इसकी दोस्ती अपनी चूत से करानी है.. इसलिए इससे बातें कर रही हूँ। सुबह हो गई है.. अभी इसे अन्दर लेने की हिम्मत नहीं हो रही है.. पता नहीं क्या होगा.. मैं तुम्हारे ऊपर आती हूँ और मेरा जैसे मन करेगा मैं करूँगी.. तुम कुछ भी नहीं करोगे और करोगे भी तो मेरे इशारे पर..’ उसने अधिकार के साथ कहा।

मैंने कहा- अच्छी बात है। लेकिन यह छूट मैं सिर्फ अभी के लिए द़े रहा हूँ.. आगे तक के लिए नहीं।

‘मैं खुद चुदवाना चाह रही हूँ.. लेकिन थोड़ा डर लग रहा है। मुझे थोड़ी सहज तो होने दो.. फिर जैसे मन हो कर लेना.. मैं मना नहीं करूँगी। मुझे पता है कि आदमी लोग जानवर होते हैं।’

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फिर उसने जमीन पर एक चादर बिछा कर मुझे लिटा दिया और घुटनों को बल मेरे पेट के ऊपर आ गई।
उसका उठा हुआ पिछवाड़ा मेरे लंड को छू रहा था।

पहले उसने अपने चूतड़ों से मेरे लंड को खूब सहलाया फिर चूत को लंड पर दबाते हुए बैठने लग गई।
मेरा तना हुआ लंड उसकी चूत की दीवारों से कशमकश कर रहा था।

मेरे सर के नीचे दो तकिया लगाते हुए उसने अपनी एक चूची मेरे मुँह की ओर बढ़ाते हुए कहा- लो.. अब इसे पियो.. आराम से.. काटना मत।

मैं निप्पल को मुँह में पकड़ कर चूसने लगा और वह सिसकारी भरती हुई अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी।
मैं दोनों हाथ बढ़ाकर उसके चूतड़ों को सहलाते हुए मसलने लगा।

अपने शरीर का भार अपने दोनों हाथों में लेकर वह अपनी चूत को मेरे लंड पर घिसे जा रही थी।
अपनी पूरी कोशिश करते हुए वह क्लिट को लंड पर रगड़ रही थी।

मैंने उसके बाल खोलकर करके उसके कंधों पर बिखरा दिए थे।

एक बार फिर उसकी आँखें बंद हो गईं, उसकी पूरी कमर अजीब तरीके से मूव कर रही थी।
इसके साथ ही उसकी गांड के चलने की गति मैं अपनी जांघों पर महसूस कर रहा था।
मैं उसकी चूचियों को लगातार चूस रहा था।

वह बड़बड़ाने लगी- मैं चुदवाना नहीं.. चोदना चाहती थी.. तुम मुझे मिल गए, अब मैं तुम्हें छोड़ूंगी नहीं.. देखो मेरी चूत कैसे तुम्हारे लंड पर चढ़ी हुई है.. आह..ह ऊईई.. यू आर सो ग्रेट.. लव यू.. यू आर इमैजिंग..
उसने मेरे ऊपर चुंबनों की बौछार कर दी।

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फिर उसका शरीर अचानक से ढीला हो गया, वह निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गई।

कुछ देर बाद उसने अपनी आँखें खोलीं और मेरी ओर देखते हुए कहा- थैंक्स अ लॉट…
‘फॉर व्हाट?’ मैंने पूछा।
‘तुमने मुझे अपने मन की करने दी.. आज लगा कि मैंने खुद को अच्छी तरह से जिया है.. खुद के करीब आ गई.. खुद को पा लिया है।

पॉर्न की दुनिया में इस लेखक पहली कहानी है।

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