ही गाइस, मैं राज शर्मा. मैं एक बॉटम हू, और मुझे रंडियो की तरह गांद मरवाने में बहुत मज़ा आता है. ये 2न्ड पार्ट है, तो अगर आप लोगों ने मेरी पहली स्टोरी नही पढ़ी है, तो वो रेड कर लो पहले.
तो आपने पढ़ा कैसे कॅंटीन वाले चाचा अब मुझको देख कर मूठ मारने लग गये थे, और मेरे गांद के दीवाने हो गये थे.
फिर एक दिन मैं कॉलेज जल्दी चला गया. मैने देखा चाचा भी आ गये थे, और बाकी के कुक्स देर से आते थे, तो वो छाई बनाने का समान रेडी कर रहे थे. क्यूंकी सारे कॉलेज में उनकी छाई ही सब पीते थे. जैसे ही मैं कॅंटीन में गया, चाचा मुझे देख कर शॉक्ड गये.
चाचा: अर्रे तुम अभी? अभी तो कॉलेज शुरू होने में टाइम है.
मैं: हा, मैं तोड़ा जल्दी आ गया क्यूंकी मुझे लाइब्ररी जाना था. पर लाइब्ररी भी अभी बंद है तो छाई पीने आ गया.
चाचा: अछा रूको, मैं छाई बना कर लता हू.
फिर चाचा छाई बना के लाए. मुझे छाई देते समय थोड़ी छाई टेबल पर, और थोड़ी उनकी पंत पे गिर गयी. तो मैं जान-बूझ कर उनकी ज़िप के उपर से लंड सहलाने लगा, की छाई गिर गयी. तभी मुझे फील हुआ की उनका लंड अब खड़ा हो रहा था.
चाचा: अर्रे मैं सॉफ कर लूँगा.
चाचा अंदर गये, और एक कपड़ा ला कर टेबल पे गिरी छाई को सॉफ करने लगे. फिर चाचा मेरे पास बैठ कर बातें करने लगे.
चाचा: तुम्हारे दोस्त तुम्हे इतना च्चेड़ते है, तुम्हे बुरा नही लगता?
मैं: अछा आपने देखा है उनको मुझे च्चेड़ते हुए?
चाचा: हा, तुम्हारे दोस्त तुम्हारी गांद और दूध दबाते रहते है. एक दोस्त तो तुम्हारी गांद में अपना मूह तक घुसा देता है
मैं (हेस्ट हुए): अर्रे वो मुझे भी ये अछा लगता है.
चाचा: अछा?
चाचा मेरी गांद को घूरे जेया रहा था. तो मैं भी तोड़ा स्ट्रेच करके अपनी गांद को चेर के एड्ज में ले गया, ताकि गांद आचे से और कर्वी दिखे.
मैं: क्या सोच रहे हो चाचा?
चाचा: सेयेल तेरी गांद सही में मस्त है रे.
मैने चाचा की पंत के उपर हाथ डाला, तो देखा चाचा का एक-दूं लोहे की तरह खड़ा हुआ था.
मैं: तो ले लीजिए ना.
चाचा फिर मेरी गांद को टच करते है, और गांद दबाते है. और सहलाते है.
चाचा: तुझे रंडी बना के छोड़ूँगा भद्वे.
मैं: अछा दिखा दीजिए अपनी ताक़त.
फिर उन्होने खड़े हो कर अपनी ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाला. उफफफफफ्फ़, क्या लंड था बबक 7-8 इंच का. अभी भी सोचता हू तो चूसने का मॅन करता है.
चाचा: ले चूस इसको भद्वे.
मैं घुटनो पर बैठ कर लंड चूसने लग गया. उफफफफफ्फ़, पहले लंड पर थूक लगाई. फिर पूरा मूह में भर कर खूब चूसा. चाचा मुझे गाली पे गाली दे रहे थे.
चाचा: उफफफफफफ्फ़ मदारचोड़, क्या चूस्टा है तू.
और मैं मज़े से उम्म उम्म करके लंड चूज़ जेया रहा था. मैं फुल रंडियो की तरह लंड को मसल-मसल कर चूस रहा था.
मैं: इसी लंड से मूठ मेरे छाई में डाली थी ना?
चाचा: ओह, तो तूने देखा था मुझे मूठ डालते हुए?
मैं: हा, मैने देखा था.
चाचा: तो ले भद्वे मूह खोल.
मेरे मूह में ज़ोर से लंड डाल कर मेरा सर पकड़ कर वो मेरा मूह छोड़ने लगे. डीप थ्रोट चल रहा था, और स्लूर्प्प स्लूर्प्प की आवाज़े भी आ रही थी. उफफफफफ्फ़ मज़ा ही आ गया था.
फिर चाचा ने मुझे उठाया, और मुझसे लिपट कर मेरी गांद मसालने लगे. फिर मैने सेडक्टिव वे में अपनी पंत खोली. मेरी चिकनी मोटी चुड़क्कड़ गांद देख कर वो पागल हो गये. फिर वो झुक कर मेरी गांद में मूह डाल कर मेरा च्छेद चाटने लगे.
उफफफफफ्फ़, क्या लंबी जीभ थी, पूरी च्छेद के अंदर डाल कर अंदर-बाहर कर रहे थे. अपनी जीभ से वो मेरी गांद छोड़ रहे थे. मेरे मूह से सिर्फ़ आहह श यॅ की आवाज़े निकल रही थी. मेरी गांद को बीते भी कर रहे थे वो.
ऐसे ही मेरी गांद को आचे से थूक लगा कर खाने के बाद, वो मेरा दूध पकड़ कर दबाने लगे. अब वो अपना लंड मेरी गांद में फेरने लगे. फिर उन्होने मेरे च्छेद में अपना लंड सेट किया, और ज़ोर से धक्का मारा. एक बार में पूरा लंड अंदर चला गया.
चाचा: उफफफफफफफ्फ़, चुड़क्कड़ छेड़ है तेरा. एक बार में ही लंड पूरा अंदर चला गया.
मैं: आचे से छोड़ ना मदारचोड़.
चाचा: हा भद्वे छोड़ रहा हू तुझे, मेरी रंडी छिनाल.
और फिर जो स्पीड में चाचा ने छोड़ना शुरू किया, उफफफफफफ्फ़, पच पच पच करके आवाज़ आ रही थी, और मैं ज़ोर से आहह आहह कर रहा था.
इतना मज़ा आ रहा था, की मेरी तो आँखें बंद हो गयी, और च्छेद मेरा स्ट्रेच हो गया. इतना छोड़ रहे थे, की मेरा मूठ निकल गया. बुत वो छोड़े जेया रहे थे जानवरो की तरह.
चाचा: उफफफफफ्फ़ सेयेल मदारचोड़, क्या रंडी है तू आहह ले, और ले.
मैं: आअहह चाचा, आअहह, और छोड़ो मुझे आहह.
फिर चाचा ने भी मेरी गांद के छेड़ के अंदर में मूठ निकाल दिया. उनका गरम मूठ मुझे अपने च्छेद में फील हो रहा था. चाचा झाड़ जाने के बाद भी नही रुके. उसने लंड मेरे च्छेद से निकाला ही नही, और ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगे.
अब उनका माल उनके पुर लंड पे लग गया, और लूब्रिकॅंट की तरह काम करने लगा. उफफफ्फ़, वो चुदाई और ज़्यादा मज़ा दे रही थी. फिर थोड़ी देर और छोड़ने के बाद उन्होने अपना लंड बाहर निकाल लिया, और अपना मूह मेरी गांद में डाल कर फिरसे चाटने लगे. पुर च्छेद को चाट कर सॉफ किया उसने.
फिर मैं झुक कर बैठा, और उनका लंड चूसने लगा. मानना पड़ेगा, करीब 1 घंटे तक लगातार चुदाई के बाद भी लंड खड़ा था. और मैने उसको खूब चूसा.
फिर उन्होने लंड हिला कर मेरे मूह में अपना मूठ निकाल दिया. मैं भी उनके लंड को चाट-चाट कर चूस-चूस कर सारा मूठ पी जाता हू. फिर जब ध्यान देता हू, तो एक लड़का जो मेरा क्लासमेट था, वो खिड़की से देख कर लंड हिला रहा होता है.
अब मैने खुद को सॉफ किया, और कपड़े पहन कर निकल रहा था. चाचा पसीना-पसीना हो गये थे. उनकी हालत थकावट के मारे चूर-चूर हो गयी थी.
चाचा: मज़ा आ गया तुझे छोड़ कर मेरी रंडी.
मैं कॅंटीन की खिड़की के पास गया तो देखा वो लड़का जेया चुका था. पर ज़मीन पर उसका मूठ गिरा हुआ था. मैं समझ गया मुझे देख कर उसका भी निकल गया था.
तो कैसी लगी आप लोगों को ये कहानी? पसंद आए तो कॉमेंट्स या मुझसे बात करने के लिए इंटेस्टाइनल.टूट86@गमाल.कॉम में मैल करे. ऐसे ही और रियल स्टोरीस आएँगी, तो पढ़ते रहिए और लंड हिलाते रहिए.