Meri Kunvari Gaand Ki Shaamat Aa Gai- Part 1

मुझे गर्म करके तड़पाते रहे
लेकिन अब मेरी सब्र की सीमा टूट चुकी थी, मैंने उन्हें मेरी चूत में लण्ड फंसाने के लिए कहा, पर वो इतनी जल्दी कहाँ मानने वाले थे, वो तुरन्त ही नंगे होकर मेरे सामने आये, उनका लण्ड अभी आधा ही खड़ा हुआ था, उन्होंने उसे चूसने के लिए बोला पर मुझसे अब और नहीं सहा जा रहा था।

तभी वो एक और दुपट्टा अलमारी से निकाल कर लाये और लण्ड चूसने के लिए फिर से बोला, मुझे पता था कि बिना उनका लण्ड मुंह में लिए वो मुझे नहीं चोदेंगे, पहले तो लंड को मुंह के करीब लाते और दूर हटा लेते, ऐसा करने में उन्हें बड़ा मजा आ रहा था।

पर मेरे सब्र की सीमा टूट रही थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मेरी हालत देखकर उन्होंने तुरन्त ही उनका लण्ड मेरे मुंह में डाल दिया, उनके लण्ड की लम्बाई 8.5 इंच और मोटाई 3-3.5 इंच है जो मेरे मुँह में पूरी तरह से सिर्फ वो ही भर सकते हैं।

पूरा लण्ड मुँह में भरने के बाद मेरे मुंह को भी बुरी तरह से चोदने लगे जो की मेरे गले से टकराने के बाद भी थोड़ा बाहर था।
पतिदेव मेरे मुँह को इतनी तेज चोद रहे थे कि मेरा मुँह भी दुखने लगा था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उनका लण्ड पूरी तरह से तैयार हो गया।
कुछ थूक भी मुँह से बाहर निकल रहा था जो बीच बीच में मेरे मुँह पर ही पौंछ देते और दुपट्टे से मेरा मुंह बांध दिया।

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शायद झटके से मेरी चीख ज्यादा तेज नहीं निकले इसलिए… लेकिन मेरा सोचना गलत था।
मुझे वे फिर कुतिया बनाकर मेरी चूत चोदने लगे और सिर्फ 2 झटकों में ही उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में समा गया जो सीधा बार बार मेरी बच्चेदानी से लग रहा था।

मेरी चीख निकल गई थी पर मुंह पर कपड़ा बंधा होने से वो वहीं पर दब कर रह गई। मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि 40-50 धक्कों के बाद मेरी चूत ने अपना रस बहा दिया।

मेरी गांड की पहली चुदाई
अब वो होने वाला था जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था, उन्होंने लण्ड निकाल कर मेरी चूत को एक कपड़े से साफ किया फिर उनके लण्ड को और मेरी कमर कुछ ज्यादा ही कसकर पकड़ी फिर मेरी चूत मारने लगे।

10-15 धक्के लगाने के बाद अचानक ही उन्होंने लण्ड को मेरी गांड के छेद पर टिका दिया और पूरी ताकत और बेरहमी से गांड घुसा दिया, लगभग 2 इंच मेरी गांड में घुसाने के बाद लण्ड बाहर निकाला और फिर अंदर डाल दिया।

इसी तरह 4 बार में उन्होंने पूरा लण्ड गाण्ड में अंदर तक डाल दिया और लण्ड बाहर निकालकर अलग बैठ गए।
मुश्किल से 7-8 सेकंड लगे होंगे ये सब करने में।

असहनीय पीड़ा
ये सब मैं बिल्कुल सहन नहीं कर पाई और इतना दर्द हो रहा था कि बिन पानी की मछली की तरह बिस्तर पर ही तड़पने लगी, दर्द से मेरे आंसू निकलने लगे बिस्तर पर पैर पटकने लगी।

यहाँ तक की बिस्तर पर चारों ओर घूम गई थी पूरी ताकत से रोने भी लग गई थी लेकिन दुपट्टे से मुंह बंधा होने के कारण आवाज ज्यादा बाहर नहीं निकल पाई और कमरे में ही दब कर रह गई।

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इन 4 झटकों से ही इतना दर्द हो रहा था, जितना मेरे पहले बच्चे के जन्म के समय भी नहीं हुआ था।
इस दर्द का अनुभव सिर्फ पहले बच्चे को जन्म देने वाली माँ ही कर सकती है दूसरा कोई नहीं।

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