भाभी ने दिया चूत चोदने का आनन्द

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नमन शर्मा है, मैं आगरा से हूँ।
मैं 22 साल का जवान लड़का हूँ और मैं अपने माँ-बाप का इकलौती सन्तान हूँ। पापा की सरकारी नौकरी है और माँ गृहणी हैं।

मैं पिछले कई सालों से अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स कहानी पढ़ता आ रहा हूँ। अन्तर्वासना साईट मेरी बहुत अच्छी दोस्त है.. मैं जब भी अकेला होता हूँ, तो मैं अपना सारा समय यहीं गुजारता हूँ।

मैं भी अन्तर्वासना पर अपनी एक सेक्स कहानी लेकर आया हूँ। यह मेरी पहली कहानी होगी।

यह कहानी मेरी और मेरे दोस्त की भाभी की है। मेरे दोस्त का नाम राहुल है, मेरा राहुल के घर रोज का आना-जाना था।
राहुल का भाई एक इंजीनियर है, उसकी भाभी का नाम रीतू है।
राहुल जाट है।

मैं और राहुल बचपन के दोस्त थे.. एकदम पक्के, वो बोलते हैं ना.. लंगोटिया यार, हम दोनों ठीक वैसे ही थे। साथ में खाना.. साथ में पीना.. साथ में सोना.. क्योंकि हम दोनों के घर पास-पास में थे।

दोस्त की भाभी
रीतू भाभी की शादी को अभी 8 महीने ही हुए थे। उनकी उम्र 26 की है और वो एक अमीर घर से हैं। वे पढ़ी-लिखी भी ज्यादा हैं।

रीतू भाभी बहुत ज्यादा सुन्दर हैं। एकदम गोरी, काले-काले लंबे बाल, पतले होंठ.. बड़ी-बड़ी आँखें, बाहर को निकली हुई गाण्ड और 36 नाप के बड़े-बड़े मम्मे थे।
कहने का मतलब वो एकदम पटाखा माल थीं.. जो भी उन्हें एक बार देख ले.. तो वो बस ऊपर वाले से यही दुआ मांगे.. कि ज़िन्दगी में कुछ मिले या न मिले.. लेकिन चोदने के लिए रीतू भाभी की चूत मिल जाए।

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राहुल का भाई दिल्ली में जॉब करता है, वो हफ्ते में 2 दिन शनिवार और रविवार को घर आता है।
इधर राहुल भी अब मर्चेंट नेवी में जाने की तैयारी कर रहा है।

भाभी की और मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.. क्योंकि मैं कभी-कभी राहुल के साथ उसी के घर में सो जाता था। तो मेरी और भाभी की अच्छी जमती भी थी।

कुछ दिनों बाद राहुल को मुम्बई जाना था अपना कोर्स करने के लिए… राहुल मुम्बई चला गया।
अब मैं उसके घर कम आता जाता था।

एक दिन राहुल की मम्मी ने फ़ोन करके मुझे अपने घर बुलाया.. तो मैं तुरंत चला गया।
वो बोलीं- नमन रीतू को बाजार जाना है.. तू ले जा इसको।
मैंने कहा- ठीक है आंटी।

भाभी से दोस्ती
फिर मैंने राहुल की बाइक निकाली और मैं और भाभी बाजार चल दिए। भाभी मुझसे चिपक कर बैठी थीं।
वे मुझसे कहने लगीं- तुम अब घर क्यों नहीं आते हो।
मैंने कहा- भाभी अब मैं घर आकर क्या करूँगा। मेरा दोस्त तो है नहीं।

तो वो कहने लगीं- अच्छा तो आप उनके लिए घर आते थे। मैंने सोचा मेरे लिए आते हो।
मैंने कहा- क्या..
तो वो हँसने लगीं और बोलीं- मैं आपकी दोस्त नहीं हूँ क्या?
मैंने कहा- हाँ हो..
तो कहने लगीं- तुम मेरे पास आ जाया करो.. टाइम पास हो जाया करेगा.. मैं भी अकेले-अकेले घर में बोर हो जाती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है।

हम मॉल में पहुँच गए, मैंने गाड़ी पार्क की और हम दोनों मॉल में चल दिए।

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भाभी ने अपनी रोज की जरुरत वाली चीजें खरीद लीं। फिर हम दोनों एक रेस्टोरेंट में गए.. वहाँ हमने डोसा खाया.. उसके बाद हम दोनों घर आ गए।

हम दोनों की दोस्ती कुछ ज्यादा ही अच्छी हो गई थी। अब भाभी को कोई भी काम होता.. तो वो तुरंत मुझे फ़ोन करके बुला लेतीं।

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